मोर्शी/दि.16–संतरा उत्पादन के प्रसिद्ध विदर्भ के कॅलिफोर्निया के संतरे के लिए पंजाब की तर्ज पर गुणवत्तापूर्व संतरा फलों का उत्पादन लेना संभव हो, इस उद्देश्य से राज्य में 2019 में मोर्शी तहसील के उमरखेड सिट्रस इस्टेट की घोषणा की गई थी. लेकिन सरकार की उदासीन नीति के कारण तथा राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभव में उमरखेड का संतरा इस्टेट कागजों पर ही है. इसका कोई उपयोग संतरा उत्पादक किसानों को अब तक नहीं हुआ, यह आरोप प्रगतिशील संतरा उत्पादक किसान व ग्राम पंचायत सदस्य रूपेश वालके ने किया.
पंजाब सरकार ने किन्नू (संतरा) उत्पादकाेंं को विविध स्तर पर मार्गदर्शन मिलने के लिए संतरा इस्टेट यह संकल्पना रखी. महाराष्ट्र मेंयह संकल्पना नागपुरी संतरा उत्पादकों के लिए लागू की जाए, यह मांग किसान कई वर्षों से कर रहे थे. राज्य सरकार ने इस पर ध्यान केंद्रीत कर वर्धा, अमरावती और नागपूर इन तीन जिले में संतरा इस्टेट प्रकल्प की घोषणा की. सरकारी फल रोपवाटिका की जगहों पर यह प्रकल्प जाएगा. शुरुआत में प्रत्येक इस्टेट के लिए 3 करोड का प्रावधान किया गया था, लेकिन इसके बाद कोरोना का प्रभाव बढने से प्रकल्प के लिए कम निधि दी गई. राज्य में सर्वाधिक संतरा लागत क्षेत्र रहने वाले अमरावती जिले में मोर्शी तहसील के उमरखेड में स्थित सिट्रस इस्टेट यह प्रकल्प विगत कई वर्षों से आगे नहीं बढ गया, जिससे संतरा उत्पादक किसान संकट में आ गए है.
किसान हित का यह प्रकल्प उपेक्षित रहने से संतरा उत्पादक किसान रुपेश वालके ने राज्य के कृषि मंत्री को ज्ञापन भेजा है. तथा प्रकल्प का काम पूरा होने मंजूर संपूर्ण अधिकारी व कर्मचारियों की पदभर्ती व बडे पैमाने पर निधि उपलब्ध कराने की मांग की है.