अमरावती/दि.9– संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में ऑनलाइन एमपेट परीक्षा के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त कर हजारो रुपए हडपनेवाले विद्यापीठ के अधिकारी और कर्मचारियों का मामला सामने आने के बाद खलबली मच गई थी. अब पिछले 5 साल से इस एमपेट परीक्षा में विद्यार्थियों द्वारा जमा किया गया शुल्क कंपनी ने किस खाते में जमा किया इसका पता नहीं चल रहा है. परीक्षा विभाग सहित वित्त विभाग भी संभ्रम में है.
ऑनलाइन एमपेट परीक्षा के लिए जिस कंपनी से करार किया गया उस कंपनी पिछले 4-5 साल में एमपेट परीक्षा के लिए खोले गए खातो पर समय-समय पर शुल्क जमा नहीं किया, ऐसा उजागर हुआ है. इस कारण इस प्रकरण में खलबली मच गई है. करीबन 75 लाख रुपए की निधि किस खाते में टान्सफर की गई. पीएचडी सेल ने इन बातों की तरफ ध्यान क्यों नहीं दिया. इन सवालो के जवाब अब तक नहीं मिल पाए है.
* जिम्मेदार कौन?
पिछले 5 साल से न बदली गई समन्वय समिति ने किया सामंजस्य करार इस प्रकरण से संबंधित है. विद्यार्थियों द्वारा जमा किया गया शुल्क पहले सीधे विद्यापीठ के खाते में जमा करना अपेक्षित था. ऐसा रहते हुए भी संबंधित कंपनी को शुल्क जमा करने का सर्वाधिकार देने के एमओयू के कारण यह दुविधा निर्माण हुई. शुल्क का पता चलेगा लेकिन एमपेट समन्वय समिति और एमओयू बदलने का समय अब आ गया है.
* पीएचडी सेल समिति प्रमुख का तत्काल तबादला
एमपेट परीक्षा की धांधली और युजीसी का निर्णय अमल में न लाते हुए मनमानी कार्यप्रणाली के चलते 31 अगस्त 2024 को प्रशासन ने पीएचडी सेल के उपकुलसचिव डॉ. दादाराव चव्हाण को हटा दिया. अब पीएचडी का कामकाज उपकुलसचिव मीनल मालधुरे को सौंपा गया है. डॉ. चव्हाण के पास अब पिछडावर्ग कक्ष का काम सौंपा गया है.
* रकम विद्यापीठ के खाते में जमा
एमपेट शुल्क के 75 लाख रुपए दिखाई नहीं दिए थे. इस कारण संदेह निर्माण हुआ था. लेकिन यह रकम विद्यापीठ के खाते में जमा हुई है. इसमें कोई भी घोटाला नहीं है. उपकुलसचिव का तबादला नियमित है.
– अविनाश असनारे, कुलसचिव, अमरावती विद्यापीठ.