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नॉन कोविड मरीजों के ऑपरेशन आगे टले
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मरीजों को करना पड रहा स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना
अमरावती/दि.28 – जिले में जनवरी माह के बाद कोविड संक्रमण की दूसरी लहर फैलनी शुरू हुई और बडे पैमाने पर कोविड संक्रमित मरीज पाये जाने लगे. जिसके चलते शहर के कई प्रमुख निजी अस्पतालों में अब निजी कोविड हॉस्पिटल शुरू कर दिये गये है. ऐसे में अब अन्य बीमारियों से जूझ रहे नॉन कोविड मरीज अपने इलाज हेतु कहां जायें, यह इस समय सबसे बडा सवाल है. हालांकि नॉन कोविड मरीजों के लिए अब भी कुछ अस्पताल उपलब्ध है. किंतु कई अस्पतालों द्वारा कोविड संक्रमण की भय की वजह से शल्यक्रियाओं को आगे टाल दिया गया है. ऐसे में कोरोना काल के दौरान नॉन कोविड मरीजों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पड रहा है.
बता दें कि, जिले में विगत वर्ष अप्रैल माह से कोविड संक्रमण की शुरूआत हुई थी और पहली लहर के दौरान सितंबर माह में कोविड संक्रमण को लेकर हालात काफी विस्फोटक हो गये थे. पश्चात कोविड संक्रमितों की संख्या में कुछ हद तक कमी आनी शुरू हुई और कई निजी कोविड अस्पतालों ने पहले की तरह काम करना शुरू कर दिया था. किंतु दीपावली के बाद एक बार फिर मरीजों की संख्या धीरे-धीरे बढने लगी. इस समय अमरावती जिले में सुपर स्पेशालीटी अस्पताल में सबसे बडा सरकारी कोविड अस्पताल है. साथ ही शहर सहित जिले में चार-पांच स्थानों पर भी सरकारी कोविड अस्पताल शुरू किये गये है. साथ ही साथ मरीजों की बढती संख्या को देखते हुए निजी अस्पतालों को भी कोविड अस्पताल के तौर पर काम करने की अनुमति दी गई है. जिसके चलते शहर के अधिकांश प्रमुख निजी अस्पताल अब कोविड हॉस्पिटल बन गये है. जहां पर केवल कोविड संक्रमित मरीजों का ही इलाज चल रहा है. ऐसे में अन्य बीमारियों से जूझनेवाले मरीजों को इलाज व चिकित्सा सुविधा मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है.
सामान्य मरीजों को जिला सामान्य अस्पताल का आधार
इस समय जिले में सर्वसामान्य मरीजों के लिए जिला सामान्य अस्पताल काफी उपयोगी साबित हो रहा है. जहां पर सामान्य मरीजों के लिए ओपीडी चलाई जा रही है और यदि मरीज की स्थिति भरती करने लायक है, तो उसे इलाज के लिए भरती भी किया जाता है. किंतु कई निजी अस्पतालों में इन दिनों कोविड वॉर्ड शुरू हो जाने की वजह से वहां पर सामान्य मरीजों का इलाज करने से इन्कार किया जा रहा है. जिसकी वजह से मरीजों को काफी असुविधाओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है. वहीं जिन निजी अस्पतालों में कोविड वॉर्ड नहीें है, वहां पर भी इलाज हेतु आनेवाले मरीजों से पहले कोविड टेस्ट रिपोर्ट मांगी जाती है, जिसके लिए मरीजों को कोविड टेस्ट सेंटरों के चक्कर काटने पडते है और रिपोर्ट आने तक ये मरीज इलाज से भी वंचित रहते है.
डॉक्टरों की कमी के चलते टल रहे ऑपरेशन
इस समय शहर के निजी कोविड अस्पतालों में कई नामांकित डॉक्टरों द्वारा कोविड संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है. ऐसे में स्वाभाविक तौर पर अन्य बीमारियों से पीडित मरीजों की अनदेखी हो रही है और कई शल्यक्रियाओं को आगे टाल दिया गया है, क्योंकि शल्यक्रिया करने हेतु नॉन कोविड अस्पतालों में डॉक्टर ही उपलब्ध नहीं है. इसके साथ ही इस समय यह भी समझ में नहीं आता कि, कौनसा निजी हॉस्पिटल अब कोविड हॉस्पिटल है और कौनसा नॉनकोविड, क्योंकि कई मरीज इससे पहले जिन निजी अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे थे. अब वे अस्पताल कोविड हॉस्पिटल बन गये है और वहां उनके इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं है.
- कोविड संक्रमण काल के दौरान नॉन कोविड मरीजों को कुछ हद तक असुविधा का सामना करना पड रहा है, लेकिन शहर में कई अस्पतालों को नॉन कोविड हॉस्पिटल के तौर पर आरक्षित रखा गया है. जहां पर नॉन कोविड मरीजों को इलाज हेतु भरती किया जाता है. इसमें जिला व मनपा प्रशासन की भुमिका बेहद सराहनीय है. साथ ही इसमें हम लोग भी अपनी ओर से पूरा सहयोग कर रहे है. इसके तहत शहर सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कई नॉनकोविड अस्पतालों में सामान्य मरीजों का इलाज जारी है.
– डॉ. अनिल रोहणकर
पूर्व अध्यक्ष आयएमए, अमरावती.