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शहर में कहां पार्क करें वाहन?

कुल वाहन संख्या 7 लाख, पार्किंग क्षमता केवल 5 हजार की

* बाजारों में सडकों के किनारे वाहन पार्क करने मजबूर है नागरिक

* पुलिस नो-पार्किंग के नाम पर उठा ले जाती है वाहन

अमरावती/दि.16- इन दिनों शहर के अधिकांश इलाकों में पार्किंग झोन ही गायब हो गये है. ऐसे में सडक के दोनों ओर दुपहिया व चारपहिया वाहन पार्क किये जाते है. जिससे सडकों का आकार कुछ छोटा हो गया है और सडकों पर वाहनों की आवाजाही का अवरूध्द होना एवं ट्राफिक जाम लग जाना जैसी समस्याएं बेहद आम हो गई है. ऐसे में बाजारपेठों में वाहन लेकर जाना बेहद कठीन हो गया है. साथ ही वाहनों को सडक किनारे कहीं पर भी पार्क करने पर उसे यातायात पुलिस द्वारा उठाकर ले जाया जाता है. जिसके परिणाम स्वरूप लोगोें को नाहक ही आर्थिक दंड और कार्रवाई का सामना करना पडता है.
बता दें कि, अमरावती शहर की जनसंख्या करीब 8.5 लाख के आसपास है और शहर में दुपहिया वाहनों की संख्या 6 लाख 40 हजार व चार पहिया वाहनों की संख्या 30 हजार है. ऐसे में कुल 7 लाख की वाहन संख्या रहने के बावजूद शहर में केवल 5 लाख वाहनों के ही पार्किंग की सुविधा व क्षमता उपलब्ध है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, मनपा के नगर रचना विभाग की अदूरदर्शिता तथा नियोजनशून्यता की वजह से शहरवासियों को नाहक ही समस्याओं व तकलीफों का सामना करना पड रहा है.

* फूटपाथ भी अतिक्रमण की भेंट चढे

जहां एक ओर शहर में पार्किंग को लेकर बेहद कम सुविधा उपलब्ध है. जिसके चलते लोगों को सडक किनारे अपने वाहन पार्क करने पडते है. वहीं दूसरी ओर शहर के कई इलाकों में फूटपाथ अतिक्रमण की भेंट चढ गये है. ऐसे में पैदल राहगीरों को भी फूटपाथ की बजाय सडकों पर ही चलना पडता है. जिसके चलते सडक किनारे लगे वाहनों और पैदल राहगीरों की भीड की वजह से सडकों पर वाहनों की आवाजाही के लिए बेहद सकरी जगह उपलब्ध होती है, जो आवाजाही के लिए अपर्याप्त साबित होती है. किंतु इस ओर प्रशासन द्वारा ध्यान ही नहीं दिया जा रहा.

* वाहन तल बाजार से दूर

अमरावती शहर में कुछ स्थानों पर वाहनतल बनाये गये है. किंतु वे बाजार में खरीददारी हेतु आनेवाले वाहन चालकों की सुविधा के लिहाज से काफी हद तक असुविधाजनक है और मुख्य बाजारपेठ से काफी दूर है. ऐसे में ज्यादातर लोगबाग उन वाहनतलों पर अपने वाहन पार्क करने की बजाय वाहन लेकर ही बाजारों में आते है और दूकानों के सामने रास्ते के किनारे अपने वाहन खडे करते है. जिसकी वजह से मुख्य बाजारपेठों के सकरे रास्ते पूरी तरह से अवरूध्द हो जाते है.

* फ्लायओवर के नीचे पार्किंग पड रही कम

यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, शहर के बीचोंबीच से गुजरनेवाले फ्लायओवर के नीचे पार्किंग की व्यवस्था उपलब्ध करायी गई है. जहां पर दुपहिया, तीनपहिया व चारपहिया वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था की गई है. किंतु दुपहिया व चारपहिया वाहनोंवाले पार्किंग झोन में संबंधित क्षेत्रों के दुकानदारों एवं उनके कर्मचारियों के ही वाहन पार्क कराते है. सुबह से लेकर शाम तक यहां पार्क रहनेवाले इन वाहनों की वजह से बाजारों में खरीददारी हेतु आनेवाले ग्राहकों के लिए अपने वाहन पार्क करने हेतु फ्लायओवर के नीचे जगह ही उपलब्ध नहीं रहती. ऐसे में ग्राहकों को मजबूरन दुकानों के सामने या सडकों के किनारे अपने वाहन पार्क करने पडते है. जहां से कई बार यातायात पुलिस उनके वाहनों को उठा ले जाती है और उन्हें आर्थिक जुर्माने के साथ ही कानूनी कार्रवाई का सामना करना पडता है.

* अधिकांश मॉल व हॉस्पिटल में पार्किंग सुविधा नहीं

शहर में इन दिनों बडे पैमाने पर शानदार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मार्केट, मॉल व अस्पताल बन गये है. िेकंतु वहां पर पार्किंग हेतु जो जगह उपलब्ध कराई गई है, उस जगह पर वहीं के व्यवसायियों, कर्मचारियों, डॉक्टरों व हॉस्पिटल स्टाफ के लोगोें के वाहन पार्क रहते है. ऐसे में वहां पर आनेवाले ग्राहकोें या मरीजों के परिजनों को अपने वाहन मजबुरी में सडक किनारे खडे करने पडते है. इसके साथ ही शहर के बीचोंबीच बनाये गये व्यवसायिक संकुलोें में भी पार्किंग के लिए जगह उपलब्ध नहीं करायी गई है. जिससे इन व्यवसायिक संकुलों के सामने सडकोें के किनारे वाहन पार्क होते है.

शहर की जनसंख्या – 8.5 लाख
दुपहिया वाहन – 6.40 लाख
चारपहिया वाहन – 30 हजार
पार्किंग की व्यवस्था – 5 हजार वाहन

* भीडभाड के चलते पैदल चलना ही सुविधाजनक

शहर में वाहनों की भीड और पार्किंग की मर्यादित सुविधा के मद्देनजर नागरिकों ने बाजार में खरीददारी हेतु जाते समय पैदल ही चलना चाहिए. यह काफी हद तक सुविधाजनक है. ऐसा करने से जहां यातायात अवरूध्द होने की समस्या से छूटकारा मिलेगा, वहीं पार्किंग की समस्या भी काफी हद तक हल हो जायेगी.

* पांचगुना बढ गये वाहन, रास्ते पड गये छोटे

पहले की तुलना में शहर में वाहनों की संख्या पांचगुना अधिक बढ गई है. जिसकी वजह से अब रास्ते छोटे पडने लगे है. वहीं अब दुकाने भी फुटपॉथ तक आ गई है और लोगबाग भी पैदल चलने के लिए तैयार नहीं है. जिन स्थानों पर पार्किंग की सुविधा है, वहां दुकानदारों व उनके कर्मचारियों के ही वाहन पार्क रहते है. जिससे आम नागरिकों को वाहन पार्क करने में काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है.

* पार्किंग झोन तय करने का जिम्मा यातायात पुलिस का

यातायात पुलिस शाखा के साथ हुई बैठक में पार्किंग स्थलों को निश्चित करने की जवाबदारी यातायात पुलिस शाखा की ओर सौंपी गई है और पार्किंग हेतु स्थान निश्चित हो जाने के बाद मनपा द्वारा वहां पर सफेद पट्टे मारने का काम किया जायेगा.
– भविष्य में शहर का आकार बढेगा. इस बात के मद्देनजर पार्किंग को लेकर कोई नियोजन ही नहीं किया गया है.
– नो-पार्किंग में खडे वाहनों पर कार्रवाई तो होती है, किंतु शहर में वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त व्यवस्था ही नहीं है.
– शहर में रोजाना वाहनों की संख्या बढ रही है. साथ ही रास्ते सहित फुटपाथ पर फूटकर व्यवसायियों के अतिक्रमण है. ऐसे में कई स्थानों पर तो रास्ते के किनारे भी वाहन पार्क करने के लिए जगह नहीं रहती.
– वाहनतल पर पूरा दिन संबंधित क्षेत्र के व्यापारियों व कर्मचारियों के वाहन पार्क रहते है. ऐसे में वहां अन्य लोगों के वाहन पार्क होने की जगह ही उपलब्ध नहीं रहती.
– इन दिनों लोगबाग पैदल नहीं घुमना चाहते. ऐसे में छोटे-मोटे काम के लिए भी घरों से दुपहिया व चारपहियां वाहन लेकर निकलते है. जिससे सडकों पर वाहनों की भीड बढने के साथ ही पार्किंग की समस्या गंभीर होती जा रही है.
– जहां पर पार्किंग के लिए सफेद पट्टे का निशान लगा होता है, उस जगह तक कई दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण कर लिया जाता है. ऐसे में वाहनों को सडक किनारे पार्क करना पडता है. किंतु ऐसे अतिक्रमण धारकों पर कार्रवाई करने की बजाय पुलिस द्वारा नो-पार्किंग के नाम पर वाहनों को उठा लिया जाता है.

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