अमरावती

बच्चे को बराबर सुनाई दे रहा है या नहीं, समय पर करें नि:शुल्क जांच

जांच में विलंब होने पर शल्यक्रिया ही अंतिम पर्याय

अमरावती/दि.16– बच्चा पेट में रहते समय या प्रसूति के वक्त कोई समस्या या दिक्कत पैदा होने पर बच्चे में व्यंग रहने की संभावना रहती है. ऐसे में बच्चे का जन्म होते ही उसका स्क्रीनिंग टेस्टिंग करना जरुरी होता है. इसके तहत बच्चे की श्रवण शक्ति को जांच जाना बेहद आवश्यक होता है. ताकि यह पता लगाया जा सके कि, बच्चे को सहीं ढंग से सुनाई देता है अथवा नहीं. डीईआईसी उपक्रम अंतर्गत इस तरह की जांच सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क तौर पर की जाती है और समय पर जांच कर लेने पर उपचार करना भी आसान होता है. अन्यथा आगे चलकर शल्यक्रिया करना ही अंतिम उपाय व पर्याय रहता है.

बच्चे का जन्म होने के बाद उसे व्यवस्थित ढंग से सुनाई दे रहा है अथवा नहीं, यह देखा जाना बेहद जरुरी होता है. जिसके तहत बच्चे के पास ताली बजाकर या बच्चे को आवाज देकर उसका ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया जाता है. यदि अपने आस पास उत्पन्न की जाने वाली आवाज की ओर देखते हुए बच्चे द्बारा प्रतिसाद दिया जाता है, तब उसकी श्रवण शक्ति को ठीक माना जाता है. अन्यथा ऐसा नहीं होने पर उसकी श्रवण शक्ति को ठीक करने हेतु आवश्यक इलाज किया जाता है.

* पैदा होते ही बच्चे की करें श्रवण जांच
बच्चे का जन्म होते ही उसकी श्रवण जांच करना बेहद आवश्यक होती है. अन्यथा श्रवणदोष रहने पर भविष्य में उसकी भाषा और बोलने की क्षमता विकसित नहीं होती. बच्चे में कोई भी दोष रहने पर उसका तत्काल इलाज कर उसकी समस्या को दूर किया जा सकता है. यह जांच सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क होती है.

* नि:शुल्क होती है सरकारी अस्पताल में जांच
पैदा होने के बाद यदि बच्चे में श्रवण शक्ति कमजोर है. तो आगे चलकर सुनने के साथ-साथ उसके बोलने में भी समस्या पैदा होती है और ऐसे बच्चे कर्णबधिरता का शिकार होते है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, पैदा होने के बाद बच्चे की श्रवण जांच कराई जाए. यह जांच सरकारी अस्पताल में पूरी तरह से नि:शुल्क होती है.

* जल्द निदान होने पर उपचार संभव
यदि नवजात बच्चे को सही तरीके से सुनाई नहीं आ रहा है और उसकी संवेदना ध्यान में नहीं आ रही है. यह बात जांच के जरिए पता चलने पर संबंधित बच्चे का औषधोपचार किया जाता है. शुन्य से 11 वर्ष आयु गुट तक ही कान पर शल्यक्रिया का उपयोग हो सकता है. अन्यथा कर्णदोष हमेशा ही कायम रह सकता है.

* नवजात बच्चों की डीईआईसी के मार्फत नि:शुल्क श्रवण जांच की जाती है. जिसके चलते अभिभावकों ने बच्चे के पैदाइश के बाद अपने बच्चे को बराबर सुनाई आ रहा है अथवा नहीं, इसकी जांच करवानी चाहिए.
– डॉ. दिलीप सौंदले,
जिला शल्यचिकित्सक

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