अमरावती/दि.21– दूध को पूरी तरह अन्न समझा जाता है. इस कारण अधिकांश सभी लोग दूध पीते हैं, लेकिन हमें मिलने वाला दूध कितना सुरक्षित है इसका विचार करना आवश्यक है. दूध का पाकिट तैयार करते समय उसमें पावडर मिक्स किया जाता है. इस कारण दूध की गुणवत्ता चाहिए वैसी नहीं रहती. लेकिन दूध गाढा दिखाई देने के लिए ऐसे कृत्य किए जाते है. इस कारण हमें मिलने वाला दूध गाय का अथवा भैंस का, उसमें पानी कितना? उसमें मिलावट कितनी? आदि जांच के लिए यंत्रणा काफी कम है.
त्यौहारों के दिनों में मिलावटी दूध के विरोध में कार्रवाई की गई. शासन निर्णय के मुताबिक यह कार्रवाई की गई. दध में मिलावट रोकने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिलास्तरीय समिति भी गठित की गई है. लेकिन अन्न व औषधी प्रशासन व दूग्ध विकास मंडल के पास मनुष्यबल कम रहने से नियमित जांच नहीं हो पा रही है. शहर को हर दिन डेढ लाख लीटर से अधिक मात्रा में दूध लगता है. कुछ मात्रा में दूध समीप के गांव से आता है और अन्य दूध पॉकिटों में आता है. पॉकिट के दूध की जांच नहीं होती है. इसमें फैट कितना है, पानी कितनी मात्रा में है इस बाबत जांच ही नहीं होती है.
शहर में आने वाले दूध विके्रताओं का पीछा करने पर कुछ स्थानों पर दूध के वितरण के बाद उस दूधवाले ने कुछ दूध के पॉकिट खरीदी किए और उस दूध का उसने आगे क्या किया यह पता नहीं चला. इसी तरह रहाटगांव मार्ग से शहर में आनेवाले एक दूधवाले का पीछा करने पर उसके पास रहा दूध वह ग्राहकों को उनके घर तक पहुंचा दिया. दूध भले ही खुला रहा फिर वह दूध संबंधित विके्रता ने दूध के पॉकिट बनाकर लाया था.
* दूध की जांच कौन करेगा?
शहर में आनेवाले दूध की जांच अन्न व औषधी प्रशासन की तरफ से की जाती है. लेकिन अन्न व औषधी प्रशासन के पास मनुष्यबल का अभाव रहने से उसकी नियमित जांच नहीं हो पाती.
* गांव से आने वाले दूध की कभी जांच हुई क्या?
वर्तमान में कोरा दूध मांगने पर भी नहीं मिलता. गांव से शहर में आनेवाले दूध की जांच कहीं नहीं हो पाती. उसमें आधा दूध रहता है. पॉकिट का दूध अन्य जिलों से शहर में पहुंचता है. वह 45 से 50 हजार लीटर रहने की संभावना है.
* दिवाली में लिए 7 नमूने फेल
शहर में त्यौहार निमित्त दूध का जांच अभियान चलाकर 27 स्थानों से नमूने लिए गए. इसमें 7 नमूने सदोष पाए गए. उन पर मामले दर्ज होंगे.
– गणेश परलीकर,
सहाआयुक्त अन्न व औषधी विभाग