* दर्यापुर तहसील में किसान परेशान
दर्यापुर/ दि.16– नगद फसल के रूप में तहसील के किसान प्रति वर्ष बडे प्रमाण में कपास की बुआई करते है. इस बार कपास के दाम अपेक्षित रूप से नहीं बढे. जिससे कई किसानों का सैकडों क्विंटल कपास घर में ही पडा है. किसान चिंतित हैं. अनेक किसान पैसे की नितांत आवश्यकता होने से निजी व्यापारियों को मिले उस दाम पर कपास बेच रहे हैं. पहले 7400 रूपए प्रति क्विंटल दाम मिल रहा था. अब यह घटकर 6600-7000 रूपए तक आ गया है.
* 48736 हेक्टेयर में रकबा
तहसील में इस बार भी बारिश का असमतोल रहा. खरीफ सीजन की फसलों का नुकसान हुआ. किसानों ने 48736 हेक्टेयर में कपास की बुआई की थी. किंतु अंकुरित होने के बाद कई दिनों तक बारिश गायब रही. ऐसे में कपास का उत्पादन बडा प्रभावित हुआ. कुछ गिनती के किसानों ने सिंचाई कर फसल को बचाने का प्रयत्न किया. गत दो माह से कपास चुनना शुरू है. कपास चुनने में भी किसानों को प्रति किलो 10-12 रूपए चुकाने पड रहे है. जिससे लागत मूल्य भी वसूल नहीं हो रही. इसलिए किसानों ने घरों में कपास भर रखा है. दाम 400 रूपए प्रति क्विंटल घसर गए हैं.
* आंदोलन से किया निषेध
किसानों ने गत 22 दिसंबर को यहां आंदोलन कर सरकार का सफेद सोने को उचित दाम न दिलाने के कारण निषेध किया. 10 हजार रूपए क्विंटल दाम दिलाने की मांग को लेकर एसडीओ की कुर्सी को कपास की माला पहनाई गई. उसी प्रकार दर्यापुर बसस्थानक के सामने 25 दिसंबर को रास्ता रोको आंदोलन किया गया. फिर भी अपेक्षित दाम नहीं मिल पा रहे.
* किसान संकट में
कपास का रकबा सर्वाधिक रहने से नवंबर की बेमौसम बारिश के कारण काफी नुकसान हुआ. चुनने का खर्च और फसल को उचित दाम नहीं रहने से किसान आर्थिक संकट में फंसे हैं. सरकार को किसानों को तत्काल मदद करनी चाहिए.
-शंकरराव गुल्हाने, दर्यापुर
* किसानों का कोई नहीं
किसानों का कपास घर बनाने के बाद रेट घटना शुरू हुआ है. जिससे लागत भी वसूल होना मुश्किल है. सरकार द्बारा घोषणाए की जा रही है. प्रत्यक्ष में किसानों को कुछ नहीं मिल रहा. इस बार भी खेतीबाडी घाटे का सौदा रही. पुन: साबित हुआ कि किसानों का कोई नहीं.
– श्रीजीत ठाकरे, गोलेगांव