अमरावती

जो अन्य की भूल को भूलते नहीं, जगत उन्हें भूल जाता है

राष्ट्रसंत परम गुरुदेव श्री नम्रमुनि महाराज साहेब

पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व का अंतिम दिवस क्षमापना दिवस
अमरावती-/दि.2 हजारों लोगों के नयनों में आंसुओं की धारा बहाकर गया राष्ट्रसंत परम गुरुदेव श्री नम्रमुनि महाराज साहेब के सानिध्य में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व का अंतिम दिवस क्षमापना दिवस ‘आई एम सॉरी’ नाटिका के संवेदनशील दृश्य देखकर भीगी आंखों से भूलों का इकरार करते हजारों भाविकों के दृश्य सर्वत्र क्षमा धर्म की पावनता प्रसारित कर गए.
अन्य की भूलों के स्टॉक को संभाल संभाल कर अपने अंतर्मन को कोयला घर बनाने वाले जीवों को,भूलों को भूलाकर स्वयं को शुद्ध विशुद्ध बना देने का परम हितकारी संदेश प्रसारित कर राष्ट्रसंत परम गुरुदेव श्री नम्रमुनि महाराज साहेब के सानिध्य में मनाया गया पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व का अंतिम दिवस,हजारों नैनों में क्षमा के पावन पवित्र आंसू बहा गया था. राष्ट्रसंत परम गुरुदेव आदि 42 संत सतिजियों के देश विदेश में गूंज रहे कच्छ कल्याणकारी चातुर्मास का समग्र लाभ जब पुनडी के वतनी श्री एस पी एम परिवार की भावभीनी भक्ति के सहयोग से लिया जा रहा है, तब आठ आठ दिन से तप त्याग, साधना आराधना,ज्ञान,ध्यान और सैकड़ों भाविकों की उग्रातिउग्र तप साधना के साथ मनाया जा रहा हैपर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के क्षमापना उत्सव का आज का अंतिम दिवस.समग्र भारत के कोने-कोने से उसी तरह विदेश के 156 से भी अधिक देश के मिलाकर लाखों भाविक परम गुरुदेव के श्रीमुख से जैन दर्शन के सारभूत तत्व स्वरूप क्षमा धर्म का पावन बोध पाकर धन्य धन्य बनें. वर्षों वर्षों से वैर भाव को विस्मृत कर देने वाली अमृतवाणी बहाते हुए परम गुरुदेव ने फरमाया कि,प्रभु को प्रिय ऐसी क्षमा जिसे प्रिय है वे स्वयं देवों के प्रिय और प्रभु के प्रिय बन जाते हैं. आज के दिन बड़े होने के बावजूद छोटों के समक्ष झुक जाइए, जो अप्रिय है उसे प्रिय बनाकर क्षमापना कर लीजिए और अन्य की भूलों को भूलाकर,स्वयं की भूल न होने बावजूद क्षमापना कर लीजिए और हृदय को हल्का बना लीजिए क्योंकि स्वयं की भूल हो तो झुकना सहज हो जाता है.परंतु सामने वाले की भूल हो फिर भी जो स्वयं झुक जाते हैं उनके पर्युषण सार्थक बन जाते है. जो अन्य की भूल भूलते नहीं उनका अंतर कोयला घर जैसा काला बन जाता है. जो अन्य की भूल भूलते नहीं जगत उन्हें भूला देता है. परंतु चंडकौशिक जैसे जहरीले सर्प के दंश भूला देने वाले भगवान महावीर को ढाई हजार वर्ष के बावजूद भी पूरा जगत उन्हें याद कर रहा है. इस भव में विरोधियों के साथ चल रहे कोर्ट केस आने वाले भव में हार्ट की कोर्ट में पहुंचें उससे पहले हर एक केस को क्लोज बंद कर दीजिए. ‘खमाते है,आय एम सॉरी’ इस एक शब्द के साथ भीगे हुए हृदय और भीगी हुई आंखों से क्षमापना कर लीजिए. क्योंकि जो क्षमा करता है वह अरिहंत बनता है,जो अकड़ में रहता है वह कभी अरिहंत नहीं बन सकता.
इस अवसर पर जलती हुई चिता के रचे गए प्रतीक स्वरूप अन्य की भूलों को अंतर में वैर भाव के,द्वेष भाव के अंतिम संस्कार करने के भाववाही दृश्यों के साथ ‘आई एम सॉरी’ नाटिका का दृश्यांकन और उसके ह्रदय स्पर्शी दृश्य अनोखी संवेदना प्रसारित कर गए थे।इस अवसर पर हजारों भाविकों ने लाखों कबूतरों के दाने आदि की व्यवस्था के लिए उदार मन से दिया अनुदान अर्पण करते ही सर्वत्र हर्षनाद छा गया. छोटी सी जगह में जीवन की जरूरतें पूरी करते गरीब परिवारों के लिए अलमारी वितरण योजना में उदार हृदय भाविकों का अभूतपूर्व प्रतिसाद मिला. आत्मा का अनंत हित का सर्जन कर देने वाले आठ आठ दिन के ऐसे तो अनेक प्रकार के कार्यक्रमों के साथ समग्र विश्व को प्रभु के क्षमा,नम्रता और त्याग का संदेश प्रसारित कर विराम पाए पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के क्षमापना उत्सव में विशेष रूप से पुनडी ग्राम के क्षत्रिय, पटेल, गोस्वामी आदि जाति के सैकड़ों भाविकों द्वारा की गई मासक्षमण तप 30 उपवास की आराधना,25 उपवास, 21उपवास,16,11,9 उपवास और अठाई तप की उग्र आराधना के साथ देश-विदेश के 5 पांच वर्ष के बालक से लेकर 80 अस्सी वर्ष के वयोवृद्ध तक सारे 550 भाविकों द्वारा की गई उग्रातिउग्र तपस्या प्रभु के त्याग धर्म को गौरवान्वित कर गई. इसी के साथ ज्ञान साधना,आत्म विशुद्धि कराती प्रतिदिन विशिष्ट ध्यान साधना,अंतर्दृष्टि में सत्य का अलौकिक तेज प्रसारित कर जाते अद्भुत दृश्यांकन,आत्मानुभूति करा देनेवाले अनोखे प्रैक्टिकल प्रयोग,वस्त्र दान- ज्ञान दान-अन्न दान आदि पदार्थ दान की अंतर के श्रद्धा भक्ति भाव की अभिव्यक्ति के साथ,अंतिम दिन की आराधना के साथ पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व अत्र-तत्र-सर्वत्र क्षमा धर्म के जगमगाते प्रज्वलित दिपक की लौ को आलोकित कर धीरे धीरे विराम पाया.

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