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कौन है मेलघाट का मन्नालाल दारसिंबे..? क्या कमल का गणित बिगाडेगा..?

आदिवासियों में खासा प्रचलित नेतृत्व

* कॉग्रेस के लिए खुब काम किया
अमरावती/दि.1- कोरकु समाज का एक युवा नेतृत्व, बोलचाल की भाषा अख्खड हिंदी, मातृभाषा कोरकु उसी झिल्पी गांव में जन्म और रहने वाला जहां राजकुमार पटेल जन्मे है. इन दिनों खासा चर्चा में है. कॉग्रेस ने इस युवा को बैतुल रोड पर हुई राहुल गांधी की सभा में भाषण करने का मौका दिया लेकिन अभी भी मन्नालाल कहता है कि वह कॉग्रेस में नहीं है केवल उसने कॉग्रेस का प्रचार किया है और चाहता है कि भाजपा की आदिवासियों के खिलाफ नितीयों के कारण कॉग्रेस देश में सत्ता मेें आए. कहने को यह युवा आदिवासी कोरकु समाज का है और अपना अधिकांश समय आदिवासियों की सेवा में बिता रहा है लेकिन इसने सोशालॉजी, लोकप्रशासन और मास्टर ऑफ कम्युनिकेशन इन तीन विषयों में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है. इस युवा की सोच एकदम खुली और प्रगतीशील विचारों की है.
हम मन्नालाल बारसिंबे को लेकर पाठको के समक्ष यह जानकारी इसलिए रख रहे है कि इस लोकसभा चुनाव में मेलघाट विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मतदान हुआ है और इस विधानसभा क्षेत्र में दोनों राष्ट्रीय पार्टीयों भाजपा तथा कॉग्रेस की निंदे उडा दी है. यहां लगभग दो लाख मतदाताओं ने वोट डाले. चर्चा और अलग-अलग सर्कल तथा इलाकों से ली गई जानकारी के हिसाब से पता चलता है कि दिनेश बुब की सीटी तीसरे नंबर पर रहेगी. हमारा आकंलन है कि सीटी को पूरे विधानसभा क्षेत्र में 40 हजार से अधिक वोट नहीं पडेगे. ऐसी परिस्थिती में सवाल उठता है कि बचे हुए 1 लाख 60 हजार वोटो का बंटवारा किस तरह होगा. राणा का खेमा कहता है कि मेलघाट विधानसभा ने हमेशा नवनीत राणा को साथ दिया है. इस विधानसभा में भाजपा का कोई खास वजूद नहीं है लेकिन राणा दंपत्ती विशेषकर नवनीत राणा मेलघाट में लोकप्रिय है.
यहां राणा गुट के गणित को मन्नालाल ने बिगाड दिया है. मन्नालाल पिछले लोकसभा चुनाव में नवनीत के साथ थे. फिर मन्नालाल ने 2019 में विधानसभा का अपक्ष चुनाव लडा और 12 हजार वोट लिए. मन्ना का कहना है कि 2019 के चुनाव में उन्हें राणा दम्पत्ती का साथ नही मिला. चुनाव हारने के बाद मन्नालाल नये सिरे से जनसंपर्क में जुट गए. उन्होनें आदिवासीयोें के 1 लाख 60 हजार वोटो में सेंध लगाना शुरु कर दिया. वे हमेशा और हर पल आदिवासियों की सेवा में जुट गए. लोकसभा चुनाव के तीन महिने पहले यशोमती ठाकुर ने मन्नालाल से संपर्क किया और उसे अगले विधानसभा चुनाव में कॉग्रेस की टिकट का वादा कर अपनी तरफ ले लिया. यशोमती ठाकुर ने मन्नालाल को आश्वस्त किया कि वे (यशोमती) मन्नालाल को उचित मान सम्मान भी देगी. समय बितने के साथ ही यशोमती ने मन्नालाल को प्रोजेक्ट करना शुरु कर दिया. दूसरी ओर भाजपा या राणा गुट मन्नालाल की अंदरुनी राजनितीक ताकत का अंदाजा नहीं लगा सकी. आपको याद होगा कि आदिवासीयों ने इस बार नवनीत राणा व्दारा कथित रुप से बाटी गई जालीदार और हल्की साडियों का मामला प्रदेश स्तर पर गुंजा है. इस सबके पीछे मन्नालाल ही थे. मन्नालाल ने ही आदिवासीयों को जागृत किया था.
मेलघाट विधानसभा क्षेत्र और विशेष कर आदिवासीयों को हर लोकसभा चुनाव में पैसे बांटने की खबरें आम है. लेकिन इस बार कॉग्रेस ने भी मन्ना के गुट के व्दारा आदिवासीयों में अच्छा खासा पैसा बाटा.
मन्नालाल दैनिक अमरावती मंडल से बातचीत में बताते है कि उन्होनें पिछले डेढ वर्षो में मेलघाट विधानसभा क्षेत्र के हर गांव का दौरा किया है. हालाकि मन्नालाल के मां-बाप मजदुरी करते है. उसके परिवार के पास केवल तीन एकड जमीन है लेकिन जब एनआरसी की देश में चर्चा हुई तो मन्ना एनआरसी की जानकारी लेकर हर गांव तक पहुंचे और बताया कि एनआरसी कानून आदिवासियों के किस तरह खिलाफ है? मन्ना के अनुसार आदिवासीयों के पास अपने पूर्वजों का कोई डाक्युमेंट नहीं है. आदिवासीयों को अपनी जात सिध्द करने के लिए न तो कास्ट सर्टिफिकेट मिलता है और न कास्ट वेलिडिटी मिलती है. इसीलिए हजारों आदिवासीयों के पास उनकी उम्र सिध्द करने के लिए कोई डाक्युमेंट न होने के कारण श्रावणबाल और संजय गांधी पेंशन योजना का लाभ हजारों आदिवासीयो तक नहीं पहुंच पाया है. आदिवासीयों के 150 गांवो की यही स्थिती है, इस पर कोई बात नहीं करता.

30-35 सालों से आदिवासीयों को जमीन के पट्टे नहीं मिले है. आदिवासीयों को उनका अधिकार दिलाने मन्नालाल ने नागपुर हाईकोर्ट में कई पिटीशन दाखिल कर रखी है. जिस पर सालों लडने के बाद अभी तक कोई नतीजा नहीं आया.
मन्नालाल का कहना है कि अभी तक उन्होनें कॉग्रेस में प्रवेश नहीं किया है उनकी अपनी महाराष्ट्र जनक्रांति सेना बनी हुई है. जिसके आधार पर वे आदिवासीयों की सेवा करते है. मन्ना ने बताया कि लोगों ने चंदा इकठ्ठा कर उन्हें फोर विलर भेट की है. अब मतदान खत्म होने के बाद मन्नालाल का साफ कहना है कि पंजे को मेलघाट विशेषकर धारणी और चिखलदरा तालुका से अच्छी लीड मिलेगी. मन्ना के अनुसार उन्हें लोकसभा का राजनितिक जोड घटना बहुत अधिक नहीें समझता है लेकिन जब 4 जून को काऊटिंग होगी तो इस बार मेलघाट विधानसभा में राणा नहीं पंजा आगे रहेगा. अंत में मन्नालाल यह भी बताते है कि बिजनौर, कांकरमाल, चाखदरा, सोसोखेडा, पाटीया, घोटा, बाळातांडा और रोटा जैसे कई गांव है जहां रात दस बजे तक मतदान चला और यह सभी मतदान कॉग्रेस का था. मन्ना ने कहा कि लोगो ने उनसे पैसे लिए और वोट हमको दिए.

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