गर्भस्थ एवं नवजात शिशुओं की मौत का जिम्मेदार कौन?
अमरावती/दि. 7 – जिला स्त्री अस्पताल में 1 अप्रैल से 31 अक्तूबर तक 7 मां की कालावधि के दौरान 172 गर्भस्थ शिशुओं व 148 नवजात बच्चों की मांग हुई है. ऐसे में यह सवाल उठाया जा रहा है कि, दुनिया में आने से पहले और दुनिया में आते ही आंख मुंद लेने वाले इन बच्चों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है.
* 7 माह में तीन माता मृत्यु
जिला स्त्री अस्पताल में अप्रैल से अक्तूबर इन 7 माह की कालावधि में 3 गर्भवती महिलाओं की भी प्रसूति के दौरान मौत हुई है.
* 320 बच्चों की मृत्यु
जिला स्त्री अस्पताल में विगत 7 माह के दौरान 4635 महिलाओं को प्रसूति हेतु भर्ती कराया गया. जिनमें से 172 महिलाओं ने मृत बच्चों को जन्म दिया. वहीं 148 नवजात बच्चों की पैदा होने के बाद मौत हुई.
* क्या रही वजहें?
– बाल मृत्यु
गर्भावस्था के दौरान बच्चे को आवश्यक पोषक घटक नहीं मिलना. साथ ही आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में स्वास्थ्य की अपर्याप्त सुविधाएं रहना इन वजहों को बाल मृत्यु के लिए जिम्मेदार कहा जा सकता है.
– माता मृत्यु
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में हिमोग्लोबीन कम होना तथा गर्भावस्था के दौरान ज्यादा प्रमाण में रक्तस्त्राव होना इसके साथ ही अधिक आयु में गर्भधारणा होना आदि को माता मृत्यु की प्रमुख वजह कहा जा सकता है.
* मेलघाट में जनजागृति आवश्यक
मेलघाट में आज भी कई गर्भवति महिलाएं इलाज हेतु अस्पताल में नहीं जाती और गर्भवती रहने वाली अवस्था में आवश्यक रहने वाली स्वास्थ्य जांच व टीकाकरण नहीं करवाती. जिसकी वजह से बालमृत्यु व माता मृत्यु जैसी घटनाएं सामने आती है. ऐसे में आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में स्वास्थ्य को लेकर आदिवासियों के बीच जनजागृति करने की सख्त जरुरत स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा जतायी जाती है.