कोविड इन्शुरन्स क्लेम फर्जीवाडे का ‘महा-वीर’ कौन?
हर बार श्रीकृष्ण पेठ के ही एक अस्पताल का नाम क्योें उछलता है
* फर्जीवाडे की खबरों के बाद भी इन्शुरन्स कंपनियों की चुप्पी क्यों?
अमरावती/दि.3– कोविड संक्रमण की पहली व दूसरी लहर के दौरान बडे पैमाने पर लोगबाग संक्रमण की चपेट में आ रहे थे. उस दौरान सरकारी अस्पतालों में जगह व व्यवस्था की सीमित क्षमता को देखते हुए प्रशासन द्वारा शहर के कई निजी डॉक्टरों व अस्पतालों को कोविड अस्पताल के तौर पर काम करने की अनुमति प्रदान की गई थी. जहां पर महज पांच से सात दिन के इलाज का खर्च लाखों रूपयों हुआ करता था. ऐसे में कई निजी इन्शुरन्स कंपनियों द्वारा लोगों को आर्थिक सुरक्षा कवच प्रदान करने हेतु कोविड हेल्थ इन्शुरन्स पॉलीसियां शुरू की गई. जिनके जरिये संक्रमण की चपेट में आनेवाले पॉलीसीधारक को इलाज पर खर्च होनेवाली राशि की ऐवज में बीमा लाभ दिया जाता था. किंतु ‘आपदा में अवसर’ की तलाश में रहनेवाले कुछ ‘महा-वीरों’ ने इसमें भी कमाई के अवसर ढूंढ लिये और पॉलीसीधारकों को खोज-खोजकर उन्हेें कोविड संक्रमित दिखाया जाने लगा. इस जरिये बीमा कंपनियों से इन्शुरन्स क्लेम पास कराये गये और क्लेम की राशि की जमकर बंदरबांट हुई. ऐसा नहीं है कि, यह जानकारी आज पहली बार सामने आयी है, बल्कि इससे पहले भी दैनिक अमरावती मंडल द्वारा कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान इसे लेकर पूरी प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित की गई है. जिसके तहत बताया गया था कि, श्रीकृष्ण पेठ स्थित एक निजी कोविड अस्पताल में रैपीड एंटीजन टेस्ट के जरिये जानबूझकर पॉलीसीधारक लोगों की कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटीव दर्शायी जा रही है और उन्हें कोविड संक्रमित बताते हुए बीमा राशि का क्लेम किया जा रहा है. इन्शुरन्स कंपनी से मिलनेवाली बीमा राशि में श्रीकृष्णपेठ स्थित अस्पताल के संचालक तथा बीमा एजेंट का भी हिस्सा हुआ करता है और शेष राशि बीमा धारक को प्रदान की जाती है. किंतु हैरत की बात यह थी कि, स्पष्ट तौर पर पूरी जानकारी उपलब्ध कराने के बाद भी प्रशासन द्वारा उस समय इस मामले को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया. वहीं सबसे बडा आश्चर्य इस बात का है कि, इस फर्जीवाडे की वजह से धडाधड क्लेम बांटनेवाली बीमा कंपनियों की ओर से भी ऐसे मामलों की कोई जांच नहीं की गई.
बता दें कि, गत रोज बोहरा गली परिसर निवासी एक महिला ने खुद सीधे पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह के पास पहुंचकर कोविड इन्शुरन्स हेल्थ पॉलीसी के क्लेम को लेकर पूरे सबूतों के साथ अपनी शिकायत दर्ज करायी है. जिसमें इस महिला ने बताया कि, वह और उसके परिवार का कोई सदस्य कभी भी कोविड संक्रमित नहीं हुए. किंतु इसके बावजूद दस्तावेजों पर उन्हें श्रीकृष्ण पेठ स्थित कोविड अस्पताल में बतौर कोविड संक्रमित भरती दिखाया गया था और उनके नाम पर एक छोड करीब चार बीमा कंपनियों में इन्शुरन्स की रकम के लिए क्लेम किया गया. जिसमें से एक कंपनी ने उसे ढाई लाख रूपये का क्लेम देने की तैयारी दर्शायी. जिसे लेने से उसने मना कर दिया. वहीं दूसरी कंपनी ने तो उसके बैंक खाते में ढाई लाख रूपये जमा भी करा दिये. यानी बिना कोविड संक्रमित हुए उस महिला के नाम पर पांच लाख रूपये का इन्शुरन्स क्लेम पास हो चुका है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, जब वह महिला कोविड संक्रमित ही नहीं हुई और उसने अपनी ओर से किसी क्लेम के लिए आवेदन भी नहीं किया, तो उसके तमाम डॉक्युमेंट अलग-अलग इन्शुरन्स कंपनी के पास कैसे पहुंचे और अमूमन किसी सही मामले में भी इन्शुरन्स क्लेम देने को लेकर तमाम तरह की आनाकानी करने के साथ ही दूनियाभर की जांच-पडताल करनेवाली दो-दो इन्शुरन्स कंपनियों ने इस महिला के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर क्लेम कैसे जारी कर दिया. सबसे विशेष उल्लेखनीय यह है कि, इससे पहले भी कोविड हेल्थ इन्शुरन्स पॉलीसी के फर्जी क्लेम को लेकर श्रीकृष्ण पेठ स्थित एक निजी कोविड अस्पताल का नाम भी सबसे अधिक उछलता था. वहीं गत रोज सीधे पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह के पास पहुंचे मामले में भी किसी निजी कोविड अस्पताल का नाम सामने आया है. ऐसे में अब यह शहर पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि, विगत करीब एक वर्ष से लगातार कोविड इन्शुरन्स पॉलीसी के नाम पर असली-नकली कोविड मरीजों और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर इन्शुरन्स क्लेम का फर्जीवाडा कर रहे ‘महा-वीर’ को खोज निकाला जाये. साथ ही इस बात की भी जांच हो कि, आखिर कोविड की महामारी की आड लेते हुए ‘लक्ष्मी’ की बरसात करने का यह कार्य किस ‘लक्ष्मीकांत’ द्वारा किया जा रहा है.
* एजेंटों से कराया जा रहा दोहरा अपराध
जैसा की इससे पहले बताया जा चुका है कि, शहर में बीमा सहित वित्तीय सेवाएं प्रदान करनेवाले ‘लक्ष्मीकांत’ नामक व्यक्ति द्वारा अपने यहां काम करनेवाले 15-20 कर्मचारियों के जरिये कोविड हेल्थ इन्शुरन्स पॉलीसी व क्लेम के लिए ‘शिकार’ फांसे जाते है, जो पॉलीसीधारक के निजी व महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सेकंड कॉपी तैयार करते हुए उनके नाम से कोविड क्लेम की केस तैयार करते है. इस जरिये इन बीमा एजेंटों द्वारा दोहरा अपराध किया जा रहा है. जिसके तहत पहले तो वे किसी व्यक्ति या परिवार के बेहद निजी व गोपनीय दस्तावेजों की सेकंड कॉपी तैयार करते हुए उसे किसी थर्ड पार्टी को सौंप रहे है. वहीं इन दस्तावेजों के आधार पर कोविड इन्शुरन्स क्लेम करते हुए बीमा कंपनियों की आंखों में धुल भी झोंक रहे है. जिसमें निश्चित तौर पर संबंधीत बीमा कंपनियों के स्थानीय अधिकारियों की भी मिलीभगत होगी. ऐसे में आश्चर्य इस बात को लेकर भी है कि, बीमा कंपनियों के वरिष्ठाधिकारियों द्वारा अब तक इस मामले में कोई ध्यान क्यों नहीं दिया गया. कहीं इसका एक मतलब यह तो नहीं कि, किसी पॉलीसीधारक को मिलनेवाले आर्थिक लाभ की गंगा में सभी लोग साथ मिलकर हाथ धो रहे है.
* ‘उस’ अस्पताल का ऑडिट होना जरूरी
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि विगत एक वर्ष के दौरान कोविड इन्शुरन्स पॉलीसी व क्लेम के संदर्भ में फर्जीवाडा होने की खबरों को लेकर लगातार एक ही अस्पताल का नाम सामने आ रहा है. ऐसे में प्रशासन द्वारा श्रीकृष्ण पेठ स्थित निजी कोविड अस्पताल का जल्द से जल्द ऑडिट कराये जाने की जरूरत है. इसके तहत यह जांचा जाना चाहिए कि, कोविड संक्रमण की पहली व दूसरी लहर के दौरान इस निजी कोविड अस्पताल में आखिर कितने कोविड संक्रमित मरीज भरती हुए और इस अस्पताल में की गई रैपीड एंटीजन टेस्ट में कितने संदेहितों की कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटीव आयी. साथ ही इस अस्पताल के जरिये कितने पॉलीसीधारक संक्रमितों द्वारा बीमा लाभ के लिए इन्शुरन्स क्लेम किया गया. यहां यह भी ध्यान दिलाये जाने की जरूरत है कि, उस समय सभी निजी कोविड अस्पतालों के लिए सरकार की ओर से इलाज की दरें तय की गई थी. लेकिन इसके बावजूद कई निजी कोविड अस्पतालों द्वारा कोविड संक्रमित मरीजों से ओवर चार्जींग करते हुए बिल के नाम पर अनाप-शनाप रकम वसूल की गई. विगत दिनों खबर आयी थी कि, ओवर चार्जींग करनेवाले अस्पतालों से अतिरिक्त रकम की वसूली कर संबंधीत मरीजों को उनकी रकम वापिस लौटायी जायेगी. किंतु फिलहाल इसमें आगे क्या हुआ, यह गुलदस्ते में है. अत: प्रशासन द्वारा इस ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.