कौन होगा अमरावती सीट का सिरमौर?
‘कमल’ खिलने को बेताब, ‘पंजा’ लगा रहा ताकत, ‘सीटी’ भी बजने को तैयार
अमरावती /दि.25- लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत कल 26 अप्रैल को अमरावती संसदीय क्षेत्र में मतदान होना है. चुनाव प्रचार का दौर खत्म होने तथा ऐन मतदान के मुहाने पर अब राजनीतिक समीकरणों के साथ-साथ जातिगत समीकरणों को भी जमकर देखा, टटोला व खंगाला जा रहा है. क्योंकि शुरुआती दौर में यह चुनाव जितना एकतरफा और आसान लग रहा था, अब उससे उलट यह कांटे की टक्कर और कडे संघर्ष में बदल गया है तथा कल होने वाले मतदान की पूर्व संध्या तक यह साफ तौर पर स्पष्ट नहीं दिखाई दे रहा है कि, इस बार बाजी कौन मारने वाला है. क्योंकि चुनावी मैदान में मौजूद 3 प्रमुख प्रत्याशी जबर्दस्त ढंग से संसदीय क्षेत्र पर अपनी पकड बनाये हुए है तथा तीनों से अधिक से अधिक मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए जमकर शक्ति प्रदर्शन करने के साथ ही जोरदार ढंग से चुनाव प्रचार करते हुए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. लेकिन अन्य चुनावों की तुलना में इस बार के चुनाव में लोकतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण रहने वाले मतदाताओं ने अब तक किसी को भी अपने मन की थाह नहीं लेने दी है और अब तक किसी के भी पक्ष में अपने पत्ते नहीं खोले है. ऐसे में इस बार उंट किस करवट बैठता है और चुनावी बाजी किसके पक्ष में पलटती है तथा चुनावी मैदान को अपने नाम करते हुए कौन अमरावती सीट का सिरमौर बनता है. यह देखना काफी दिलचस्प होगा.
* अमरावती में पहली बार ‘पंजा’ और ‘कमल’ आमने सामने
अमरावती संसदीय क्षेत्र में इस बार देश के दो सबसे प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस एवं भाजपा द्वारा अपने-अपने चुनावी चिन्ह पर प्रत्याशी खडे किये गये है. जिसमें से भाजपा द्वारा पहली बार अमरावती संसदीय क्षेत्र में ‘कमल’ चुनावी चिन्ह के साथ अपना प्रत्याशी खडा किया गया है और निवर्तमान सांसद नवनीत राणा को अपना प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं दूसरी ओर करीब 30 वर्ष के अंतराल पश्चात कांग्रेस द्वारा अमरावती संसदीय सीट को अपने पास रखते हुए पंजा चुनावी चिन्ह पर प्रत्याशी खडा किया गया है और दर्यापुर के विधायक बलवंत वानखडे को कांग्रेस ने महाविकास आघाडी की ओर से प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के बीच मुकाबला काफी हद तक रोचक होता दिखाई दे रहा है. साथ ही साथ प्रहार जनशक्ति पार्टी के विधायक बच्चू कडू ने दिनेश बूब को अपना प्रत्याशी बनाते हुए मैदान में उतारकर चुनावी रोमांच को और अधिक बढा दिया है. क्योंकि विधायक बच्चू कडू की प्रहार जनशक्ति पार्टी और उनके प्रत्याशी दिनेश बूब द्वारा दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को कडी टक्कर दी जा रही है. ऐसे में जहां एक ओर अमरावती संसदीय क्षेत्र में ‘कमल’ खिलने को बेताब है. वहीं ‘पंजा’ भी अपनी पूरी ताकत लगा रहा है. साथ ही साथ प्रहार पार्टी की ‘सीटी’ भी बडे जोरों से बजने के लिए पूरा जोर लगा रही है.
* आगे रहने के बावजूद नवनीत को भीतराघात का खतरा
यहां यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, अपने व्यापक जनसंपर्क तथा अपने साथ देश के सबसे प्रमुख राजनीतिक दल रहने वाली भारतीय जनता पार्टी की ताकत रहने के चलते महायुति प्रत्याशी नवनीत राणा का पलडा कुछ हद तक भारी दिखाई दे रहा है. लेकिन इसके बावजूद नवनीत राणा के लिए इस बार सफर इतना आसान नहीं है. क्योंकि एक ओर तो उन्हें कुछ भाजपा के भीतर भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों के विरोध का सामना करना पड रहा है. वहीं दूसरी ओर अमरावती संसदीय क्षेत्र में शामिल 6 विधानसभा क्षेत्र में शामिल 5 विधानसभा क्षेत्र के विधायक भी उनके विरोध में है. साथ ही साथ नवनीत राणा के लिए वर्ष 2019 के चुनाव की तुलना में इस बार के चुनाव में जातिगत समीकरण भी पूरी तरह से बदल गये है. जिसके चलते नवनीत राणा के समक्ष जीत की राह में कई तरह की चुनौतियां बनी हुई है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि, नवनीत राणा तथा उनके पति व विधायक रवि राणा इन चुनौतियों से किस तरह पार पाते है. उल्लेखनीय है कि, नवनीत राणा ने वर्ष 2014 में अपना पहला चुनाव राकांपा प्रत्याशी के तौर पर लडा था. जिसमें उन्हें हार का सामना करना पडा था. पश्चात उन्होंने वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस व राकांपा का समर्थन प्राप्त करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लडा था. जिसमें जिन्होंने जीत भी हासिल की थी. लेकिन सांसद के रुप में संसद पहुंचते ही नवनीत राणा ने अपनी भूमिका और पाला बदल दिया था तथा पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने के साथ ही पूरे 5 वर्ष तक वे पीएम मोदी की सरकार के हर फैसले के समर्थन में रही. जिसके चलते उन्हें भले ही भाजपा ने इस बार अपना प्रत्याशी बनाया है, लेकिन वर्ष 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में जिन लोगों ने नवनीत राणा को वोट दिया था, वे मतदाता अब उनके साथ खडे दिखाई नहीं दे रहे. साथ ही साथ जहां एक ओर राणा दम्पति द्वारा दिल्ली व मुंबई में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ जमकर नजदीकी साधी जाती रही. वहीें उनका भाजपा के स्थानीय नेताओं के साथ हमेशा ही छत्तीस का आंकडा रहा. जिसकी वजह से भाजपा के कई स्थानीय पदाधिकारियों ने नागपुर जाकर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले से गुहार लगाई थी कि, चाहे जो हो जाये, लेकिन नवनीत राणा को भाजपा द्वारा अपना प्रत्याशी न बनाया जाये. हालांकि इसके अगले ही दिन भाजपा ने नवनीत राणा को अमरावती संसदीय क्षेत्र से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था. जिसके चलते भाजपा के कुछ पदाधिकारियों ने खुलकर अपना असंतोष भी जाहीर किया था. ऐसे में कहा जा सकता है कि, भले ही पार्टी के फैसले का सम्मान करते हुए भाजपा के कई नेता इस समय सांसद नवनीत राणा के साथ दिखाई दे रहे है. लेकिन वे दिल से कितने साथ है, यह निश्चित नहीं है ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि, चुनाव प्रचार में साथ दिखाई देने वाले भाजपा के स्थानीय पदाधिकारी वोट निकालने में नवनीत राणा को कहां तक साथ दे पाते है.
* चुनावी अखाडे में मजबूती दिखा रहा बलवंत का ‘पंजा’
उधर दूसरी ओर कांग्रेस द्वारा भी 30 वर्ष बाद पहली बार अपने ‘पंजा’ चुनावी चिन्ह के साथ अमरावती संसदीय क्षेत्र में चुनाव लडा जा रहा है और पार्टी ने ग्रामपंचायत सदस्य से लेकिन जिप सभापति होते हुए विधायक बनने वाले बलवंत वानखडे को संसदीय चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया है. जिनके चुनाव प्रचार हेतु गत रोज खुद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने अमरावती संसदीय क्षेत्र का दौरा करते हुए परतवाडा में एक चुनावी रैली को संबोधित किया. जिसका सीधा मतलब है कि, कांग्रेस इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र को हलके में नहीं ले रही और विधायक बलवंत वानखडे की जीत के लिए कांग्रेस द्वारा अपनी पूरी ताकत झोंकी जा रही है. विधायक बलवंत वानखडे के पक्ष में सबसे बडी बात यह है कि, भले ही युवाओं सहित देश के आम मतदाताओं ने कांग्रेस को लेकर कोई विशेष आकर्षण या उममीद नहीं है. लेकिन इसके बावजूद भी देश में कांग्रेस का अपना एक वोट बैंक हैा. तथा इस बार कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर का फायदा भी मिल सकता है. विशेष उल्लेखनीय यह भी है कि, अमरावती संसदीय क्षेत्र में दर्यापुर के साथ ही अमरावती व तिवसा निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के विधायक है. साथ ही साथ अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित अमरावती संसदीय क्षेत्र ेमं दलित और मुस्लिम समूदाय हमेशा से ही कांग्रेस के परंपरागत वोटर भी रहे है. जिनका प्रमाण जिले की कुल मतदाता संख्या के अनुपात में लगभग 35 फीसद है. यदि इन दोनो समूदायों का पूरा साथ व समर्थन कोंग्रेस को मिल जाता है, तो उस स्थिति में कांग्रेस प्रत्याशी वानखडे सही मायनों में ‘बलवंत’ साबित हो सकते है.
* बच्चू कडू और दिनेश बूब ‘सीटी’ बजाने लगा रहे जोर
इसके अलावा जिले के तेजर्रार नेता के तौर पर पहचान रखने वाले विधायक बच्चू कडू की प्रहार जनशक्ति पार्टी जैसे आक्रामक राजनीतिक दल ने किसी समय अमरावती में शिवसेना का सबसे सशक्त चेहरा रहने वाले मनपा के पूर्व पार्षद दिनेश बूब को अपना प्रत्याशी बनाया है. दिनेश बूब की पहचान भी एक आक्रामक नेता व सेवाभावी कार्यकर्ता के तौर पर है. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक दिनेश बूब के लिए जीत की मंजिल पर पहुंचना यद्यपि आसान नहीं है, लेकिन बहुत मुश्किल और बिल्कुल असंभव भी नहीं है. क्योंकि जहां एक ओर अमरावती शहर में अपने सेवाकार्यों व सामाजिकता के चलते दिनेश बूब का अपना व्यक्तिगत संपर्क व जनाधार है. वहीं जिले के ग्रामीण इलाकों में प्रहार जनशक्ति पार्टी और विधायक बच्चू कडू का अपना प्रभाव है. विशेष तौर पर प्रहार पार्टी की अचलपुर, चांदूर बाजार व मेलघाट क्षेत्र में अच्छी खासी ताकत है. वहीं खुद दिनेश बूब की भी मराठी व गैरमराठी समाज में गहरी पैठ है. जिसके चलते वे अच्छे खासे वोटों में सेंध लगा सकते है और यदि मतदान का प्रतिशत थोडा भी इधर उधर होता है तथा दो प्रमुख प्रत्याशियों के बीच राजनीतिक समीकरण जरा से भी गडबडाते है, तो दिनेश बूब भी एक ताकत के तौर पर उभरकर सामने आ सकते है.
* बेहद प्रतिष्ठापूर्ण बन गई है अमरावती की सीट
– कल ही अमित शाह व राहुल गांधी की हुई प्रचार सभाएं
– दोनों पक्षों के कई बडे नेताओं के भी हो चुके दौरे
– प्रचार के अंतिम दिन बच्चू और बूब ने भी दिखाया दमखम
अमरावती संसदीय सीट इस समय महायुति और महाविकास आघाडी के लिए कितनी प्रतिष्ठापूर्ण बन गई है. इस बात का अंदाजा केवल इस बात से ही लगाया जा सकता है कि, जहां एक ओर कांग्रेस प्रत्याशी बलवंत वानखडे के प्रचार हेतु महाविकास आघाडी के तमाम बडे नेताओं ने अमरावती का दौरा किया. जिनमें राकांपा सुप्रीमों शरद पवार, शिवसेना उबाठा के मुखिया उद्धव ठाकरे सहित कांग्रेस के तमाम बडे नेताओं का समावेश रहा. साथ ही साथ गत रोज कांग्रेस के सबसे बडे नेता राहुल गांधी ने अमरावती संसदीय क्षेत्र का दौरा करते हुए परतवाडा में जनसभा को संबोधित किया और रोड शो भी किया. वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा के प्रचार हेतु राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के अमरावती संसदीय क्षेत्र में एक माह के दौरान ही आधा दर्जन से अधिक दौरे हो चुके है. साथ ही साथ महायुति में शामिल राकांपा नेता व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार भी अमरावती आकर भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा के पक्ष में प्रचार कर चुके है. वहीं गत रोज भाजपा के दूसरे सबसे बडे नेता एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अमरावती आकर विशालकाय जनसभा को संबोधित किया. इस जनसभा में राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं डेप्यूटी सीएम देवेंद्र फडणवीस सहित भाजपा व महायुति के अनेकों प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित थे. वहीं अपने नाम पर आरक्षित सायंस्कोर मैदान की अनुमति ऐन समय पर खारिज कर दिये जाने के चलते बुरी तरह से संतप्त हुए. विधायक बच्चू कडू ने गत रोज ही अमरावती शहर में अपने प्रत्याशी दिनेश बूब के प्रचार हेतु विशालकाय महापदयात्रा निकालकर जबर्दस्त शक्ति प्रदर्शन किया. जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि, अब तीनों प्रमुख प्रत्याशियों एवं उनके नेताओं व समर्थकों ने अमरावती संसदीय सीट से जीत को ‘नाक की लडाई’ मानते हुए बेहद प्रतिष्ठापूर्ण बना लिया है.