अमरावतीमहाराष्ट्र

कल कौन बनेगा अचलपुर मंडी का सभापति?

सभापति पद की चयन प्रक्रिया होगी बेहद रोमांचक

अचलपुर /दि. 20– स्थानीय कृषि उत्पन्न बाजार समिति के सभापति राजेंद्र गोरले द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद अब नए सभापति का चयन कल शुक्रवार 21 फरवरी को किया जाना है. परंतु अचलपुर फसल मंडी में बहुमत में रहनेवाले सहकार पैनल द्वारा अब तक किसी भी उम्मीदवार के नाम पर मुहर नहीं लगाई गई है. ऐसे में अचलपुर मंडी का सभापति पद किसे मिलेगा, इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है. अचलपुर मंडी के सभापति पद हेतु कल होने जा रहे चुनाव को लेकर चल रही चर्चा के मुताबिक सभापति पद की रेस में प्रतिभा प्रशांत ठाकरे, बाबूराव गावंडे व रवींद्र पाटिल के नाम फिलहाल सबसे आगे बताए जा रहे है. परंतु इसमें से ही कोई नाम अंतिम तौर पर तय होगा या फिर ऐन समय पर कोई नया नाम सामने आएगा. इसे लेकर अब भी अनिश्चीतता कायम है.
बता दें कि, अचलपुर कृषि उत्पन्न बाजार समिति में कुल 18 संचालक है और सभापति पद हासिल करने हेतु कम से कम 10 संचालकों का समर्थन मिलना आवश्यक है. अचलपुर मंडी में सहकार पैनल के 8 संचालक है और उन्हें 2 संचालकों के समर्थन की जरुरत है. परंतु बबलू देशमुख के नेतृत्ववाले सहकार पैनल ने यदि कांग्रेस गुट के किसी संचालक का नाम सभापति पद हेतु आगे किया तो खुद बबलू देशमुख गुट के ही दो संचालक सहकार पैनल से दूर हो सकते है और बबलू देशमुख के साथ रहनेवाले संचालकों की संख्या 6 पर जा सकती है. वहीं यदि भाजपा के दो संचालकों ने बबलू देशमुख गुट को समर्थन दिया तो फसल मंडी में कुछ अलग समिकरण दिखाई दे सकता है. इसके अलावा समता पैनल से प्रतिभा ठाकरे का नाम चर्चा में है. इस पैनल के तीन तथा भाजपा के पांच संचालक एकजुट होने पर प्रतिभा ठाकरे के साथ रहनेवाले संचालकों की संख्या पांच पर पहुंच सकती है. ऐसे में यदि चार संचालक रहनेवाली प्रहार पार्टी के कुछ संचालकों तथा सहकार पैनल के दो संचालकों का समर्थन प्रतिभा ठाकरे को मिलता है तो यह संख्या 8 से अधिक हो सकती है. तब फसल मंडी में राजनीतिक समिकरण पूरी तरह से बदल सकता है.
बता दें कि, बाजार समिति में सभापति पद हेतु बबलू देशमुख गट व अजय पाटिल गट की ओर से दावा किया गया, परंतु दोनों ही दावेदारों में आम सहमति नहीं बनने पर किसी नए व तीसरे उम्मीदवार को मौका मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. सभापति चयन का निर्णय आपसी समन्वय के होने पर निष्ठावान संचालक को मौका मिल सकता है. वहीं यदि दोनों गट आपस में सामंजस्य नहीं स्थापित कर पाए तो सभापति पद किसके हिस्से में आएगा यह अंतिम समय तक नहीं बताया जा सकता.

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