* जिले के कई नाम होंगे मंत्री पद की रेस में
* बच्चु कडू का प्रमोशन होना है पक्का
* रवि राणा निश्चित तौर पर बन सकते हैं मंत्री
* प्रवीण पोटे को मिल सकता है अनुभव का फायदा
* श्रीकांत भारतीय का भी रहेगा मंत्री पद पर दावा
* प्रताप अडसड को मिल सकता है विरासत का फायदा
अमरावती/दि.23– इस समय राज्य में जिस तरह की राजनीतिक उठापटक चल रही है और जिस तरह से बीती शाम मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे द्वारा अपने सरकारी आवास वर्षा बंगले को आनन-फानन में खाली कर दिया गया है. उससे यह साफ है कि, महाविकास आघाडी सरकार पूरी तरह से अल्पमत में आ गई है और इस सरकार का गिरना तय है. ऐसे में साफ है कि, सेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे द्वारा बनाये जानेवाले गुट के साथ हाथ मिलाते हुए भाजपा द्वारा राज्य में अपनी सत्ता स्थाापित करने हेतु दावा पेश किया जायेगा और शिंदे गुट में शामिल सेना विधायकों एवं निर्दलीय विधायकोें के साथ अगले दो-तीन दिन में भाजपा के नेतृत्ववाली सरकार का गठन होता दिखाई दे सकता है. जाहीर है कि, नई सरकार का नया मंत्रिमंडल भी बनेगा और इस नये मंत्रिमंडल में जगह हासिल करने हेतु इस समीकरण के समर्थन में रहनेवाले लोगों द्वारा अभी से अपनी-अपनी ‘गोटियां’ फिट करनी शुरू कर दी गई है. जिसमें अमरावती जिले से वास्ता रखनेवाले भाजपा विधायकों व निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ भाजपा के दो विधान परिषद सदस्यों का भी समावेश है.
बता दें कि, इससे पहले वर्ष 2014 से 2019 तक सत्ता में रही तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्ववाली भाजपा सरकार ने विधान परिषद सदस्य प्रवीण पोटे को राज्यमंत्री के साथ-साथ जिले का पालकमंत्री बनाया गया था और प्रवीण पोटे ने अब तक के इतिहास में सबसे अधिक समय तक जिले के पालकमंत्री पद पर रहने का रिकॉर्ड भी बनाया. उनके कार्यकाल दौरान अमरावती जिले के ग्रामीण इलाकों में पालकमंत्री पगडंडी योजना और खेत तालाब योजना जैसे महत्वाकांक्षी उपक्रम शुरू होने के साथ-साथ सौर उर्जा व कृषि पंप कनेक्शन जैसी योजनाओं पर जमकर काम हुआ. साथ ही करीब साढे 22 हजार करोड रूपयों की लागत से हाईब्रीड व एन्युईटी योजनाओं के जरिये शहर सहित जिले में बेहतरीन सडकों का जाल बिछाना भी शुरू किया गया. इसके अलावा बेलोरा विमानतल के विस्तार व विकास को भी प्रवीण पोटे के मंत्रित्व काल में गति मिली. ऐसे में अगर अब भाजपा के नेतृत्व में राज्य सरकार का गठन होता है, तो निश्चित तौर पर जिले के कद्दावर भाजपा नेता और वर्ष 2019 के विधान परिषद चुनाव में ‘क्लिन स्वीप’ जीत हासिल करने का कारनामा कर चुके प्रवीण पोटे को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर निश्चित रूप से नई सरकार द्वारा विचार किया जायेगा. ऐसी पूरी संभावना है.
वही दूसरी ओर महाविकास आघाडी की सरकार में सेना के कोटे से मंत्री बनाये गये निर्दलीय विधायक बच्चु कडू इस समय अपनी पार्टी प्रहार के एक और विधायक राजकुमार पटेल के साथ सेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के समर्थन में खडे है और इस वक्त शिंदे गुट के साथ गुवाहाटी में मौजूद भी है. जाहीर तौर पर बच्चु कडू ने काफी सोच-समझकर अपने राज्यमंत्री पद को इस राजनीतिक उठापटक में दांव पर लगाया है. ऐसे में सत्ता परिवर्तन होने के बाद वे शिंदे गुट की ओर से मंत्री पद के निश्चित तौर पर प्रबल दावेदार होंगे और अब उन्हें राज्यमंत्री की बजाय इनाम के तौर पर कैबिनेट मंत्री का पद दिया जायेगा. जिसके लिए खुद बच्चु कडू द्वारा भी दावा किया ही जाना है और संभवत: इस प्रमोशन की चाहत में ही बच्चु कडू ने अपने सहयोगी विधायक राजकुमार पटेल के साथ पाला बदला है. उल्लेखनीय है कि, वर्ष 2019 के चुनाव पश्चात जब शिवसेना और भाजपा के बीच युती टूटने की कगार पर थी और दोनों ही दलों द्वारा सत्त्ता हासिल करने के लिए एक-एक निर्दलीय विधायक से संपर्क साधा जा रहा था, उस वक्त किसी समय शिवसैनिक रह चुके बच्चु कडू ने भाजपा की बजाय शिवसेना का साथ देने की भूमिका अपनायी थी. जिसकी ऐवज में महाविकास आघाडी की सरकार बनने पर बच्चु कडू को राज्यमंत्री बनाये जाने के साथ-साथ अकोला का जिला पालकमंत्री भी बनाया गया था. वहीं अब सीएम उध्दव ठाकरे के हाथ से सत्ता फिसल रही है और आघाडी की सरकार पूरी तरह से डावाडोल हो चुकी है. साथ ही सत्ता के नये समीकरण अब शिंदे गुट द्वारा तय किये जायेंगे. इस बात को भांपते हुए बच्चु कडू अब शिंदे गुट के साथ है, जो निश्चित रूप से विधानसभा में 106 विधायक रहनेवाली भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहा है और इस सरकार में बच्चु कडू को भी उनके साथ व समर्थन का पूरा इनाम जरूर दिया जायेगा.इसके अलावा अगर शिंदे गुट द्वारा भाजपा के साथ मिलकर राज्य में नई सरकार बनाई जाती है, तो बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रवि राणा भी मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने हेतु एक प्रबल दावेदार साबित हो सकते है. उल्लेखनीय है कि, वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र निर्दलीय विधायक निर्वाचित होनेवाले रवि राणा ने उस समय करीब दो माह तक चली राजनीतिक उहापोहवाली स्थिति के बीच भाजपा को साथ व समर्थन दिया था. उस समय भी यह कयास लगाये जा रहे थे कि, अगर भाजपा द्वारा बहुमत जुटाकर सरकार बना ली जाती है, तो विधायक रवि राणा को मंत्रिमंडल में जगह जरूर मिलेगी, लेकिन उस समय भाजपा की सरकार ही नहीं बन पायी. ऐसे में अब भाजपा की सरकार बनने के आसार दिखाई देते ही विधायक रवि राणा की दावेदारी और भी मजबूत हो गई है. उल्लेखनीय है कि, इस दौरान विधायक रवि राणा और उनकी पत्नी व सांसद नवनीत राणा ने शिवसेना से अच्छा-खासा मोर्चा लिया और हनुमान चालीसा के मुद्दे को लेकर सीएम उध्दव ठाकरे सहित शिवसेना को घेरने का जमकर प्रयास भी किया. जिसके चलते राणा दम्पति की शिवसेना के साथ नजदिकियां बढ गई. जिसका सीधा फायदा आगामी दिनों में विधायक रवि राणा को जरूर मिलेगा.
यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत विधानसभा चुनाव में अमरावती जिले की कुल आठ सीटों में से सात सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पडा था और केवल चांदूर रेल्वे, धामणगांव रेल्वे निर्वाचन सीट से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर प्रताप अडसड ने जीत हासिल करते हुए भाजपा की डूबती नैय्या को बचाये रखा था. उल्लेखनीय है कि विधायक प्रताप अडसड के पिता व पूर्व विधायक अरूण अडसड विगत 40 वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के साथ जुडे हुए है और जिले सहित विदर्भ क्षेत्र के दिग्गज भाजपा नेताओं में उनका समावेश होता है. ऐसे में अपने पिता के नक्शे-कदम चलते हुए राजनीति में आये प्रताप अडसड का भी अच्छा-खासा राजनीतिक कद है और वे अमरावती जिले से निर्वाचित एकमात्र भाजपा विधायक है. जिसके चलते उनकी दावेदारी को भी दमदार माना जा रहा है.
वही विगत दिनों विधान परिषद के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज करते हुए विधायक निर्वाचित होनेवाले श्रीकांत भारतीय को भी मंत्री पद की रेस में शामिल माना जा सकता है. उल्लेखनीय है कि, मूलत: अमरावती से वास्ता रखनेवाले श्रीकांत भारतीय हमेशा ही मुख्य धारा की राजनीति से दूर रहे और उन्होंने पार्टी के भीतर संगठनात्मक स्तर पर सक्रिय रहते हुए काम किया. ऐसे में उनके संगठन कौशल्य का फायदा उठाने हेतु पार्टी द्वारा उन्हें विधान परिषद मेें भेजा गया है. साथ ही विधान परिषद चुनाव के तुरंत बाद सरकार के गठन को लेकर बन रही संभावनाओं में भी विधायक श्रीकांत भारतीय द्वारा निश्चित तौर पर अच्छी-खासी भूमिका निभाई जा रही है. वही यदि भाजपा और शिंदे गुट के बीच तालमेल होते हुए नई सरकार अस्तित्व में आती है, तो सरकार में समन्वय साधे रखने के लिए विधायक श्रीकांत भारतीय काफी कारगर साबित हो सकते है.
ऐसे में अब यह कहा जा सकता है कि, राज्य की किस्मत एक नई राह पर बढने जा रही है. ऐसे में किसके मुकद्दर में क्या आता है, यह देखनेवाली बात होगी.