अमरावतीमहाराष्ट्र

विद्यापीठ में किसे मिलेगा कुलसचिव पद का जिम्मा

कार्यभार देने हेतु पात्र अधिकारी की खोजबीन शुरु

अमरावती/दि.17– स्थानीय संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के कुल सचिव डॉ. तुषार देशमुख का कार्यकाल आगामी 19 मई को पूरा हो रहा है. ऐसे में उनका कार्यभार किसे सौंपा जाये. इस हेतु कुलगुरु डॉ. मिलिंद बारहाते द्वारा पात्र अधिकारी की खोजबीन करनी शुरु कर दी गई है.

विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत 5 वर्षों के दौरान विद्यापीठ की दुरावस्था, प्राधिकरणों के सामने उपस्थित विविध प्रश्न, नैक का लगातार नीचे गिरता मानांकन, अधिसभा चुनाव में अनुभवहीन अधिकारियों की मनमानी नियुक्तियों की वजह से अदालत पहुंचे मामले, पूर्व रासेयो संचालक का बहुचर्चित अग्रीम प्रकरण जैसे विविध मामलों की वजह से विद्यापीठ के कुलसचिव पद की जिम्मेदारी काफी अधिक बढ गयी है. ऐसे में किसी पात्र अधिकारी अथवा प्राध्यापक को कुलगुरु द्वारा स्थानापन्न कुलसचिव पद का कार्यभार सौंपा जाये, ऐसी अपेक्षा व्यक्त की जा रही है.

* कौन है योग्य पात्रता धारक?
स्थानापन्न कुलसचिव का कार्यभार स्वीकार करने हेतु फिलहाल कार्यरत एक भी उपकुलसचिव पात्रता की शर्त को पूरा नहीं करता. विद्यापीठ में कार्यरत उपकुलसचिवों में से डॉ. सुलभा पाटिल व डॉ. दादाराव चव्हाण पीएचडी की पदवी प्राप्त तो है, लेकिन अनुभव के मानक को पूर्ण नहीं करते. वहीं मिनल मालधुरे व मोनाली तोटे सहित ऋतुराज दशमुखे, मंगेश वरखेडे, विक्रांत मालवीय व मंगेश जायले जैसे अधिकारी पीएचडी की अहर्ताधारक नहीं है. इसके अलावा मौजूदा लेखा व वित्त अधिकारी डॉ. नितिन कोली, जनसंपर्क अधिकारी डॉ. विलास नांदूरकर सहित डॉ. मो. अतिक, डॉ. अविनाश असनारे व डॉ. प्रशांत गावंडे पात्रता की शर्तों को पूरा करते है. लेकिन वे अर्जदार है. इसी तरह अनुभव का विचार करने पर डॉ. एस. वी. डुडल, डॉ. मोना चिमोटे, डॉ. डी. वाय. चाचरकर व डॉ. अनिता पाटिल में से किसके पास स्थानापन्न कुलसचिव पद का कार्यभार जाता है. यह देखना होगा.

* डॉ. तुषार देशमुख की विदाई कब?
कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख का 5 वर्ष का कार्यकाल रविवर 19 मई को पूरा होने जा रहा है. ऐसे में कुलसचिव को रविवार की बजाय शनिवार को ही कार्यमुक्त करने की तैयारी प्रशासन द्वारा की जा रही है. वहीं खुद डॉ. तुषार देशमुख रविवार को ही कार्यमुक्त होने के लिए आग्रही है. ऐसे में प्रतिमाह कई लोगों को ‘नारीयल’ देने वाले कुलसचिव को विद्यापीठ के नियमबद्ध प्रशासन द्वारा कब ‘नारीयल’ दिया जाता है. इसे लेकर विद्यापीठ में अच्छी खासी चर्चाएं चल रह है.

* क्या होती है स्थानापन्न नियुक्ति?
कुल सचिव का कार्यकाल खत्म होने के बाद जब किसी व्यक्ति को विशिष्ट कालावधि के लिए चार्ज दिया जाता है, तो उसे पूर्ण कालीन कार्यभार माना जाता है और कुल सचिव पद के वेतन हेतु ग्राह्य भी माना जाता है. स्थानापन्न नियुक्ति को पूर्णकालीन नियुक्ति माने जाने और इसके नियमित वेतन श्रेणी अंतर्गत आने के चलते यह नियुक्ति देते समय नियमानुसार कुलसचिव पद हेतु पात्र रहने वाले व्यक्ति को ही स्थानापन्न नियुक्ति देना जरुरी होता है.

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