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कौन मारेगा बाजी, किसका सिक्का चलेगा

एक्जीट पोल के चलते नवनीत राणा आश्वस्त

* वानखडे, बूब व आंबेडकर को भी परिवर्तन का विश्वास
अमरावती/ दि. 3-अब लोकसभा चुनाव के लिए सातों चरणों के तहत देशभर में मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब कल 4 जून को देशभर में संसदीय चुनाव की मतगणना होनी है. ऐसे में चुनावी नतीजों को लेकर जबर्दस्त उत्सुकता देखी जा रही है. जिससे अमरावती संसदीय क्षेत्र भी अछूता नहीं है. विगत शनिवार 1 जून को लोकसभा चुनाव के लिए सातवें चरण के तहत मतदान की प्रक्रिया निपटते ही एक्जीट पोल के जरिए अनुमानित व संभावित नतीजे विभिन्न न्यूज चैनलों एवं सर्वेक्षण एजेंसियों द्बारा जारी करने श्ाुरू कर दिए गए. जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलता दिखाई दे रहा है. इसे देखते हुए अमरावती संसदीय क्षेत्र की भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा अपनी जीत को लेकर काफी हद तक आश्वस्त है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी बलवंत वानखडे सहित प्रहार पार्टी के प्रत्याशी दिनेश बूब और रिपाई प्रत्याशी आनंदराज आंबेडकर को इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र में बडा उलटफेर होने की उम्मीद हैं. ऐसे में तमाम दागो- प्रतिदागों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि देश की 18 वीं लोकसभा के लिए कराए गए चुनाव में अमरावती संसदीय क्षेत्र से कौन बाजी मारता है तथा किसका सिक्का चलता है.
बता दें कि अमरावती संसदीय क्षेत्र में विगत 26 अप्रैल को दूसरे चरण के तहत मतदान की प्रक्रिया संपन्न हुई थी और तब से लेकर अब तक 39 दिनों का समय बीत चुका है. इस दौरान अमरावती संसदीय क्षेत्र में हुए मतदान को अपने भीतर समेटे सभी ईवीएम मशीनें विद्यापीठ रोड स्थित लोकशाही भवन में कडी सुरक्षा के बीच रखी गई है. साथ ही इन 39 दिनों के दौरान ईवीएम मशीनों में कैद मतदान के संभावित नतीजों को लेकर सभी प्रत्याशियों सहित आम नागरिकों में जबर्दस्त उत्सुकता रही. वही अब जब कुछ घंटे बाद इन सभी ईवीएम मशीनों को खोलकर मतगणना की जानी है और कल दोपहर बाद तक मतदान के नतीजे आने हैं तो प्रत्याशियों सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारी एवं आम नागरिकों की उत्सुकता अपने चरम पर है. साथ ही चुनावी नतीजों को लेकर सभी की धडकने तेज और पूरे संसदीय क्षेत्र में केवल इस बात की ही चर्चा है कि इस बार किसका सिक्का चलेगा और कौन बाजी मारेगा.
विशेष उल्लेखनीय है कि इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र में हुए लोकसभा चुनाव ने कई इतिहास रच दिए है. सबसे अव्वल तो यह रहा कि भाजपा ने पहली बार अमरावती संसदीय क्षेत्र में अपने कमल चुनाव चिन्ह के जरिए चुनाव लडते हुए अपना प्रत्याशी खडा किया. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने करीब 28 वर्ष के बाद अमरावती संसदीय सीट पर चुनाव लडा, ऐसे में दोनों राष्ट्रीय दलों ने अमरावती संसदीय क्षेत्र में चुनावी लडाई को प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया था. इसके अलावा इस बार के चुनाव में खास बात यह भी रही कि इस बार चुनावी मैदान में नोटा के पर्याय सहित कुल 38 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसके चलते मतदान कराने हेतु 3-3 ईवीएम मशीनें लगानी पडी और सबसे खास बात यह रही कि इस बार के मतदान में विगत तीन दशकों के रिकार्ड को तोड दिया और इस बार जमकर मतदान हुआ. यह तीनों ही बातें अमरावती संसदीय क्षेत्र के लिए लिहाज से बेहद विशेष और ऐतिहासिक रही. हालांकि मतदान अधिक होने की वजह से प्रत्याशियों की चिंताएं थोडी बढ गई है और स्पर्धा में रहनेवाले प्रमुख प्रत्याशियों द्बारा खुद को मिले वोटों का गणित लगाने के साथ-साथ वोटों में हुए विभाजन के भी समीकरण जोडे जा रहे हैं.
* तीन प्रमुख प्रत्याशियों के नामों की चर्चा, त्रिकोणीय मुकाबला स्पष्ट
बता दें कि अमरावती संसदीय क्षेत्र में मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी व निवर्तमान सांसद नवनीत राणा तथा कांग्रेस प्रत्याशी व दर्यापुर के विधायक बलवंत वानखडे के बीच माना जा रहा था. वहीं ऐन समय पर महायुति में शामिल रहनेवाले प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व विधायक बच्चू कडू ने स्थानीय स्तर पर महायुति के खिलाफ रहते हुए दिनेश बूब को अपने प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतार दिया. जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया. साथ ही साथ रिपाई (आंबेडकर) गुट के प्रत्याशी आनंदराज आंबेडकर ने चुनावी अखाडे में कूदकर और खुद के लिए वंचित बहुजन आघाडी का समर्थन हासिल करते हुए चुनाव को और भी अधिक रोचक बना दिया. जिससे ऐन मतणगना के मुहाने तक यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि इस बार उंट किस करवट बैठेगा और किसका सिक्का चलते हुए कौन बाजी मारेगा.
नवनीत राणा को भीतराघात का खतरा
उल्लेखनीय है कि भाजपा द्बारा ऐन नामांकन प्रक्रिया के समय अमरावती के निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को पार्टी में प्रवेश देते हुए पार्टी की ओर से प्रत्याशी बनाया गया था. इससे एक दिन पहले तक भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों द्बारा नवनीत राणा को पार्टी में प्रवेश देने और पार्टी प्रत्याशी बनाए जाने का विरोध किया जा रहा है. लेकिन स्थानीय पदाधिकारियों के विरोध को लगभग अनदेखा करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने नवनीत राण को पार्टी में प्रवेश देने के साथ ही उन्हें अपना प्रत्याशी भी बनाया. जिसके चलते भाजपा के कई पदाधिकारियों ने खुद को नवनीत राणा के प्रचार से पूूरी तरह दूर कर लिया. साथ ही जो पदाधिकारी प्रचार में शामिल हुए, उनमें से कई पदाधिकारियों ने अनमने ढंग से प्रचार किया. ऐसे में नवनीत राणा को भाजपा पदाधिकारियों के भीतराघात का पूरा खतरा हैं. साथ ही साथ पिछली बार कांग्रेस और राकांपा के समर्थन से चुनाव लडनेवाली नवनीत राणा को समाज के जिन तबको से भरपूर वोट मिले थे. इस बार नवनीत राणा द्बारा भाजपा का दामन थामे जाते ही वह वोट बैंक भी नवनीत राणा के पास से छिटक गया है. इस बात का नवनीत राणा को कुछ हद तक नुकसान हो सकता है.
* बलवंत वानखडे को मिल सकता है कांग्रेसियों व मविआ की एकजुटता का फायदा
उधर दूसरी ओर 28 साल बाद पंजा चुनाव चिन्ह के साथ अमरावती संसदीय क्षेत्र के चुनावी अखाडे में अपना प्रत्याशी उतारनेवाली कांग्रेस के स्थानीय पदाधिकारी इस बार काफी उत्साहित नजर आए और अपने प्रत्याशी की जीत हेतु काफी हद तक एकजुट भी दिखे. ताकि अमरावती संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के लिए विगत कई वर्षो से चले आ रहे सूखे को खत्म किया जा सके. साथ ही साथ नवनीत राणा एवं उनके पति व विधायक रवि राणा से भी अपने हिसाब किताब को चुकता किया जा सके. क्योंकि नवनीत राणा ने इससे पहले दो बार कांग्रेस और राकांपा की ओर से ही चुनाव लडा था. जिसमें से पहली बार तो वे राकांपा की अधिकृत प्रत्याशी थे और दूसरी बार उन्होेंने कांग्रेस और राकांपा का समर्थन लेते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपनी दावेदारी पेश की थी. लेकिन चुनाव में विजयी होते ही नवनीत राणा ने केन्द्र की सत्ताधारी भाजपा सरकार का समर्थन कर दिया था. लगभग ऐसा ही कुछ कांग्रेस व राकांपा के समर्थन से चुनाव लडकर विजयी होनेवाले विधायक रवि राणा ने भी विधानसभा में किया था. जब उन्होंने कांग्रेस और राकांपा का समावेश रहनेवाली महाविकास आघाडी को समर्थन देने की बजाय भाजपा का समर्थन किया था और इस समय भी वे भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति में शामिल है. ऐसे में कांग्रेस एवं राकांपा शरद पवार गुट सहित शिवसेना उबाठा के स्थानीय पदाधिकारी इस बार राणा दंपत्ति से हिसाब किताब पूरा करने के लिए पूरी तरह एकजुट दिखाई दिए.
* दिनेश बूब कर सकते हैं बडा उलटफेर
इस बार के चुनाव में पहले पहल भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी के बीच सीधा मुकाबला दिखाई दे रहा था. परंतु ऐन समय पर प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व विधायक बच्चू कडू ने दिनेश बूब को अपनी पार्टी की ओर से प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारते हुए चुनाव में रोचकता पैदा कर दी, जिससे दोनों प्रमुख प्रत्याशियों के समीकरण काफी हद तक गडबढा गये. ऐसे में दिनेश बूब की दावेदारी को ‘अंडर करंट’ माना गया और यह भी अनुमान लगाया जाने लगा कि इस बार दिनेश बूब की दावेदारी कोई बडा उलटफेर कर सकती है तथा चुनावी नतीजे अप्रत्याशित भी रह सकत हैं. खास बात यह है कि विधायक बच्चू कडू और विधायक रवि राणा के बीच में विगत लंबे समय से अच्छी खासी अदावत चली आ रही है. ऐसे में यद्यपि दोनों की विधायक राज्य की महायुति सरकार में शामिल हैं. लेकिन इसके बावजूद भी स्थानीय स्तर पर अपनी ताकत दिखाने और अपना हिसाब किताब चुकता करने के लिए विधायक बच्चू कडू ने महायुति प्रत्याशी के खिलाफ अपना प्रतयाशी चुनावी अखाडे में उतारा. जिसमें महायुति प्रत्याशी नवनीत राणा को अच्छी खासी टक्कर दे दी. ऐसे में दिनेश बूब क्या उलटफेर करते है इसकी ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.
अब दावों प्रतिदावों का दौर हुआ शुरू
ऐन मतगणना के मुहाने पर अब सभी प्रत्याशियों व उनके समर्थको सहित तमाम राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों द्बारा अपनी अपनी जीत को लेकर दावे किए जा रहे है. जिसके तहत भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा के पति व विधायक रवि राणा ने दावा किया है कि पूरे देश की जनता के साथ साथ अमरावती संसदीय क्षेत्र की जनता भी नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री बनता देखना चाहती है. इस हेतु भाजपा सहित एनडीए के सभी घटक दलों के पदाधिकारियों ने पूरी ताकत के साथ काम किया है. जिसके चलते इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा दो लाख वोटो की लीड से विजयी होने जा रही हैं. उधर दूसरी ओर जिले की वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री व विधायक यशोमती ठाकुर ने प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा के प्रति अमरावती संसदीय क्षेत्र में जबर्दस्त असंतोष की लहर रहने की बात कहते हुए दावा किया कि इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी बलवंत वानखडे की जीत पूरी तरह से सुनिश्चित है. इसके साथ ही प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया और विधायक बच्चू कडू ने इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र में बडा उलटफेर होने का अनुमान जताते हुए इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र से प्रहार जनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी दिनेश बूब के ही विजयी रहने का अनुमान जताया है. साथ ही साथ रिपाई आंबेडकर गुट के प्रत्याशी आनंदराज आंबेडकर ने अनुसूचित जाति हेतु अमरावती संसदीय क्षेत्र में खुद को आंबेडकरी जनता का भरपूर समर्थन व प्रतिसाद मिलने की बात कहते हुए अपनी जीत का दावा किया है. ऐसे में तमाम दावों व प्रतिदावों के बीच यह देखना दिलचस्प रहेगा कि इस बार किसका दावा सच साबित होता है और सांसद निर्वाचित होकर जीत का सेहरा किसके सिर पर बंधता है.

* रिकार्ड 63.67 फीसद हुआ था मतदान
विशेष उल्लेखनीय है कि इस बार के लोकसभा चुनाव के रिकार्ड 63.67 फीसदी मतदान हुआ था. यह विगत तीन दशकों के दौरान यह मतदान की सर्वाधिक संख्या रही. जितने सभी प्रत्याशियों की चिंता को बढा दिया है. बता दें कि अमरावती संसदीय क्षेत्र में कुल 18 लाख 36 हजार 78 मतदाता हैं. इनमें से 11 लाख 69 हजार 121 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. वहीं इससे पहले वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के समय अमरावती संसदीय क्षेत्र में कुल 18 लाख 30 हजार 561 मतदाता थे. जिनमें से 11 लाख 12 हजार 385 यानी 60. 47 फीसद मतदाता द्बारा अपने मताधिकार का प्रयोग किया गया था. ऐसे में अब यह देखना काफी दिलचस्प हो गया है कि इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र में हुआ रिकार्ड तोड मतदान किसके पक्ष में जाता है.
* महिलाओं के मतदान पर टिकी सभी की निगाहें
विशेष उल्लेखनीय है कि इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र में कुल मतदान का आंकडा बनने के साथ -साथ महिलाओं द्बारा किए गये मतदान का प्रतिशत भी काफी अधिक रहा. अमरावती संसदीय क्षेत्र में 8 लाख 91 हजार 780 महिला मतदाताओं में से 5 लाख 37 हजार 183 यानी 60.24 फीसद महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. वही अमरावती संसदीय क्षेत्र में पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 44 हजार 213 है. जिसमें से 6 लाख 31 हजार 920 यानी 66.93 फीसद पुरूषों द्बारा वोट डाले गये. चूकि प्रमुख प्रत्याशियों में भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा ही एकमात्र महिला प्रत्याशी थी. ऐसे में माना जा रहा है कि महिला मतदाताओं का रूझान नवनीत राणा की ओर हो सकता है. जिसके चलते महिलाओं के वोट अमरावती संसदीय क्षेत्र में काफी निर्णायक माने जा रहे है.
* मेलघाट पर टिकी सभी की निगाहें
अचलपुर, दर्यापुर व तिवसा भी रहेंगे निर्णायक
विशेष उल्लेखनीय है कि इस बार के संसदीय चुनाव में शहरी क्षेत्र में रहनेवाले अमरावती व बडनेरा निर्वाचन क्षेत्रों में बेहद कम मतदान हुआ. इसके तहत अमरावती में मात्र 57.52 व बडनेरा में केवल 55.78 फीसद वोट पडे. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान का प्रमाण व प्रतिशत अपेक्षाकृत तौर पर अधिक रहे. इसमें भी आदिवासी बहुल मेलघाट विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 71.55 फीसद वोटिंग हुई. ऐसे में सभी की निगाहें मेलघाट क्षेत्र से निकलनेवाले जनादेश की ओर टिकी हुई हैं. इसके अलावा अचलपुर में 68.84, दर्यापुर में 66.88 व तिवसा में 64.14 फीसद वोटिंग हुई है. जिसके चलते सभी की निगाहें इस बात की ओर भी लगी हुई है कि ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं ने इस बार इस प्रत्याशी के पक्ष में अपने निर्णायक वोट दिए है. इसका खुलासा कल 4 जून को होनेवाली मतगणना के साथ ही हो जायेगा.

* अमरावती संसदीय क्षेत्र में हुए मतदान के आंकडे (विधानसभा क्षेत्र निहाय )
निर्वाचन क्षेत्र
बडनेरा
अमरावती
तिवसा
दर्यापुर
मेलघाट
अचलपुर
कुल

पुरूष
171908
177119
146464
155128
149051
144543
944213

महिला
166130
169272
137790
144489
137830
136269
891780

अन्य
41
25
02
03
09
05
85

कुल
338079
346416
284256
299620
286890
280817
1836078

कुल मतदान
पुरूष
100852
107184
100121
110108
108156
105499
631920

महिला
87734
92055
82192
90276
97123
87803
537183

अन्य
08
03
00
00
05
02
18

मतदान प्रतिशत
पुरूष
58.67
60.52
68.36
70.98
72.56
72.99
66.93

महिला
52.81
54.38
59.65
62.48
70.47
64.43
60.24

अन्य
19.51
12.00
0.00
0.00
55.56
40.00
21.18

कुल
55.78
57.52
67.14
66.88
71.55
68.84
63.67

 

 

 

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