अमरावतीमहाराष्ट्र

‘जो ध्यावै फल पावै, दु:ख बिनसे मन का….’

किसी भी एकादशी से कर सकते हैं व्रत प्रारंभ

* राधाकृष्ण समिति की आरती में खिलेश्वर दुबे का कहना
अमरावती/ दि. 8-श्री राधा कृष्ण सेवा समिति की आज जया एकादशी उपलक्ष्य रंगारी गली राधा कृष्ण मंदिर में आयोजित महाआरती में सैकडों भाविकों ने लाभ लिया. सुंदर, अलौकिक दर्शन किए. उसी प्रकार जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी अवि मुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के शिष्य आचार्य खिलेश्वर दुबे ने एकादशी की कथा का महात्म्य विषद किया. आचार्य दुबे ने बतलाया कि केवल उत्पन्ना एकादशी का इंतजार न करते हुए किसी भी एकादशी से व्रत का प्रारंभ किया जा सकता है. उन्होंने स्वस्थ एवं धर्म परायण व्यक्ति को यथा तरीके से एकादशी का व्रत उपवास करने का आवाहन किया. व्रत कैसे करते हैं इसकी संक्षेप में विधी भी बतलाई.
मूर दैत्य की कथा
आचार्य श्री ने मूर दैत्य की कथा का वर्णन कर अपने वक्तव्य को समझाने का प्रयत्न किया. उन्होंने बताया कि बलशाली मूर राक्षस ने इंद्रासन पर काबिज होकर सभी देवताओं को परास्त कर दिया था. वह विष्णु भगवान से भी लडाई के लिए उद्यत था. विष्णु भगवान गुफा में विश्राम कर रहे थे. मूर वहां पहुंचा. तब भगवान विष्णु के तेज से भगवती प्रकट हुई. इस भगवती ने मूर को खाक कर दिया. उसकी चीख से विष्णु भगवान की नींद में खलल आया. वे जागे और उन्होंने देखा कि देवी ने मूर को खत्म कर दिया है. देवी का नाम एकादशी रख विष्णु भगवान ने एकादशी व्रत करनेवालों के जाने अनजाने में किए गये पापों या धतकर्मो का पाप नष्ट करने का वरदान दिया.
* अनेकानेक उत्साहपूर्ण उपस्थिति
आज के यजमानों में भीकमचंद आसाराम भूतडा, रमन कमलकिशोर झंवर, मोहन कासट, कांतादेवी सुरेश राठी खेडवाले, शांतादेवी ओमप्रकाश लढ्ढा, राधेश्याम भूतडा, रामदेवबाबा भक्ति मंडल, गायल माता परिवार, गोपालदास राठी परिवार सायत का समावेश रहा. नगर के अनेक गणमान्य बडे उत्साह से जय जगदीश हरे …. आरती में सहभागी हुए. सुंदर भजनों और हरि कीर्तन के साथ महाआरती की गई. समिति ने पधारे आचार्य और गुरूजनों का पुष्पमालाओं से स्वागत किया और भेंट प्रदान की. जन्मदिन उपलक्ष्य राधेश्याम भूतडा ने भी आशीष ग्रहण किए. मनमोहन जाजू, आत्माराम उपाध्याय और अन्य ने पूज्य गुरूजनों का स्वागत किया.

* भक्तों की एकाग्रता से भाव विभोर
आचार्य खिलेश्वर दुबे ने समिति और माहेश्वरी पंचायत के प्रत्येक पाक्षिक में आरती के सुंदर आयोजन की सराहना की. उन्होेंने कहा कि मंदिर परिसर और भक्तोें की इतनी बडी संख्या एवं एकाग्रता को देखकर वे भाव विभोर हो गये हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा आयोजन उनके जीवनकाल में पहलीबार देखने मिला. उन्होेंने बताया कि जया एकादशी पिशाच योनि से मुक्त करती है. इसका यह अर्थ नहीं कि जानबूझकर कोई पाप किया जाए और उससे हमें एकादशी से व्रत करने के मुक्ति मिल जायेगी. ऐसा नहीं है. अनजाने में हुए पाप से ही एकादशी व्रत मुक्त करता है. राधा कृष्ण भगवान को 51 दीप अर्पित किए गये.

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