अमरावती

होम आयसोलेटेड मरीजों पर किसका नियंत्रण?

कई एसिम्टोमैटिक मरीज कर रहे आयसोलेशन नियमों का उल्लंघन

  • आयसोलेशन अवधि के दौरान भी चल रहा घरों से बाहर घूमना-फिरना

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१७ – अब तक प्रशासन द्वारा कोविड संक्रमितों एवं कोविड संक्रमण की वजह से मरनेवाले लोगों के नाम घोषित नहीं किये जाते है. किंतु अब ऐसा करना जरूरी हो चला है, ताकि कोविड संक्रमण को नियंत्रित किया जा सके. उल्लेखनीय है कि, सौम्य व मध्यम लक्षण रहनेवाले एसिम्टोमैटिक मरीजों को इन दिनों प्रशासन द्वारा होम आयसोलेशन में रखा जाता है. जिसमें से कई लोग आयसोलेशन की अवधि पूर्ण होने से पहले ही अपने घरों से बाहर निकलकर घूमने-फिरने लगते है. जिनके संपर्क में आनेवाले अन्य लोगों के कोविड संक्रमित होने का खतरा होता है. चूंकि प्रशासन द्वारा कोविड संक्रमितोें के नाम घोषित नहीं किये जाते. अत: किसी को यह पता ही नहीं होता कि, कौन व्यक्ति एसिम्टोमैटिक मरीज के तौर पर होम आयसोलेट किया गया है या किस परिवार में कोविड संक्रमण की वजह से गंभीर स्थिति में पहुंचकर किसी व्यक्ति की मौत हुई है. ऐसे में अब यह मांग जोर पकड रही है कि, कोविड संक्रमित मरीजों तथा इस संक्रमण की वजह से मृत होनेवाले लोगों के नाम सार्वजनिक किये जाये.
उल्लेखनीय है कि, गत वर्ष कोविड संक्रमण शुरू होने के बाद सभी लोगोें में इस बीमारी को लेकर काफी भय था. वहीं संक्रमण के खतरे और इसके भय को देखते हुए प्रशासन द्वारा किसी व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजीटीव आने पर उसके नाम को गोपनीय रखा जाता था, ताकि संबंधित मरीज एवं उसके परिवार को सामाजिक बहिष्कार का सामना न करना पडे. इसी वजह के चलते कोविड संक्रमण की वजह से मृत होनेवाले मरीजों के नाम भी प्रशासन द्वारा घोषित नहीं किये जाते थे और इस नियम का अब भी पालन किया जा रहा है. यहां उल्लेखनीय यह भी है कि, गत वर्ष जीतने भी लोगों की रिपोर्ट पॉजीटीव आती थी, उन्हें कोरोंटाईन सेंटर व कोविड अस्पताल में भरती किया जाता था और संक्रमित व्यक्ति के निवासस्थान सहित आसपास के परिसर को सील कर दिया जाता था. ऐसे में अन्य लोग उस परिसर से अलिप्त रहते थे. किंतु अब कोविड संक्रमित मरीज में बीमारी के लक्षण सौम्य रहने की स्थिति में उसे होम आयसोलेशन के तहत घर पर ही रखा जाता है और उसके घर के दरवाजे पर स्थानीय प्रशासन द्वारा एक सूचना फलक लगा दिया जाता है. किंतु परिसर को सील नहीं किया जाता. संबंधित व्यक्ति के घर पर लगाया गया सूचना फलक अगले 14 दिनों तक वहीं पर लगा रहेगा और होम आयसोलेशन में रखा गया मरीज पूरे 14 दिनों तक घर पर ही रहेगा. इसकी कोई गारंटी नहीं है, बल्कि कई बार तो होम आयसोलेटेड किये गये एसिम्टोमैटिक मरीज बिनधास्त तरीके से बाहर घूमते हुए लोगोें से मिलते हुए और मेडिकल स्टोर से दवाई लाते हुए पाये जाते है. कमोबेश कुछ ऐसे ही हालात किसी परिवार में किसी व्यक्ति की कोविड संक्रमण से मौत होने के बाद दिखाई देती है. संबंधित परिवार द्वारा उस व्यक्ति की मौत की वजह निमोनिया या हार्टअटैक को बताया जाता है. किंतु उस व्यक्ति की मौत कोरोना से हुई है, इस बात को जानबूझकर अन्य लोगों से छिपा लिया जाता है. ऐसे में संबंधित परिवारोें को यहां आने-जानेवाले लोग इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ रहते है और जाने-अनजाने वे भी कोविड संक्रमण की चपेट में आ सकते है. ऐसे में अब यह बेहद जरूरी है कि, कोविड संक्रमितों तथा इस संक्रमण की वजह से मृत होनेवाले नागरिकों के नाम सार्वजनिक किये जाये. वैसे भी बीते एक वर्ष के दौरान कोविड संक्रमण की बीमारी अब बेहद आम हो गयी है. अत: किसी मरीज या मृतक व्यक्ति के परिवार का सामाजिक बहिष्कार होने का कोई खतरा नहीं है.

  • कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग है बेहद जरूरी

आज शहर के सभी इलाकों सहित तहसील एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड संक्रमित मरीज पाये जा रहे है और संक्रमण की वजह से सभी क्षेत्रोें में मरीजों की मौत हो रही है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, पहले की तरह कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का काम तेज किया जाये. कोविड संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आनेवाले अन्य लोगों की कोविड टेस्ट कराये जाने पर अन्य लोगोें को इसकी जानकारी पता चल सकेगी. साथ ही पहले की तरह कोविड संक्रमित व्यक्ति के निवास क्षेत्र को कंटेनमेंट झोन घोषित करते हुए सील किये जाने की जरूरत है.

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