अमरावती

छोटे बच्चों में क्यों बढ रही हैं अतिचंचलता?

अमरावती/दि.21 – इन दिनों अपने बच्चों को योग्य संस्कार देना प्रत्येक अभिभावक के लिए काफी चुनौती भरा काम हो चुका है. समवयस्क बच्चों की तुलना में जब अपना बच्चा जरुरत से अधिक चंचल हो, तो उसे नियंत्रण में कैसे रखा जाए, यह सवाल सभी अभिभावकों के सामने होता है. छोटे बच्चे मुलत: चंचल होते ही है, लेकिन यदि यहीं चंचलता काफी अधिक प्रमाण में हो, तो उसे समय पर नियंत्रित करना बेहद जरुरी होता है.
* बच्चों में क्यों बढती हैं चंचलता?
बच्चों में असुरक्षा की भावना, आत्मविश्वास की कमी जन्म से पहले या जन्म पश्चात मस्तिष्क में हुए किसी तरह के नुकसान तथा पौष्टिक व संतुलित आहार नहीं मिलने जैसी वजहों के चलते चंचलता का प्रमाण बढ जाता है.
* टीवी और मोबाइल भी हैं वजह
बच्चों में चंचलता बढने की वजहों में अत्याधिक टीवी देखने और मोबाइल का अमर्यादित प्रयोग करने का भी समावेश किया जा सकता है. इन दिनों यहीं दो वजह सबसे प्रमुख है.
* बच्चों का ध्यान कैसे रखे?
अभिभावकों ने बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए, उन्हें मैदानी खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. साथ ही बच्चों के साथ स्पष्ट संवाद साधना चाहिए. इसके अलावा मोबाइल पर क्या देखा जाए और क्या न देखे तथा अच्छे और बुरे में रहने वाले फर्क को भी प्यार से समझाकर बताना चाहिए.
इन दिनों छोटे बच्चें टीवी और मोबाइल के साथ काफी अधिक समय बिताने लगे है. जिसकी वजह से वे धीरे-धीरे अकेलेपन का शिकार हो जाते है और हकीकत की दुनिया से कटने लगते है. देर रात तक टीवी व मोबाइल देखते हुए जागते रहने की वजह से बच्चों की पर्याप्त नींद भी नहीं हो पाती. जिसके चलते उनकी एकाग्रता पर असर पडने लगता है. यहीं से धीरे-धीरे अतिचंचलता, स्वमग्नता व अध्ययन अक्षमता का छोटे बच्चें शिकार होने लगते है, ऐसे समय तुरंत मानसोपचार विशेषज्ञ से मिलकर समूपदेशन करवाना चाहिए, अन्यथा आगे चलकर बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक विकास पर असर भी पड सकता है.
– अमिता दुबे,
क्लिनिकल सायकोलॉजिस्ट
‘अस्तित्व’ समूपदेशन केंद्र

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