अधिकार की पेंशन, इलाज का बिल, एनओसी के लिए रिश्वत क्यों?
जिला, परिक्षेत्र में ट्रेप बढते ही जा रहा
* उपरी कमाई पर ज्यादा ध्यान
अमरावती/ दि.17 – रिश्वत लेते समय पकडे गए, तो निलंबित होेने के साथ पुलिस हवालात का भी स्वाद चखना पडता है. बदनामी होती है वह अलग ही. फिर भी रिश्वतखोरी रुकने का नाम नहीं ले रही है. कम-ज्यादा प्रमाण उस पर अंकुश आया है. यह सकारात्मक बात है, फिर भी ृ5-6 आंकडे का वेतन लेने वाले लोग रिश्वत क्यों लेते है, ऐसा प्रश्न सामान्य जनता के सामने उपस्थित हो रहा है.
जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र से लेकर विभिन्न कामों के लिए बडे ही अधिकार के साथ रिश्वत मांगी जाती है. वह नहीं दी गई, तो त्रुटिया निकाली जाती. फाइल की धुल भी रिश्वत की रकम निश्चित होने के बाद झटकी जाती है. अधिकार की पेंशन हो या कोई एनओसी हो या इलाज का बिल निकालने के लिए भी रिश्वत ली जाती है. शहर तथा जिले में 200 रुपयों से लेकर 5 लाख रुपए तक रिश्वत स्वीकारने के उदाहरण है. जिले में इस बार 4 छापामार कार्रवाई की गई. जिसमें अनुक्रम से 32 हजार, 1 हजार, 300 रुपए और 3 हजार रुपए की रिश्वत स्वीकार की गई. 1 जनवरी से 10 मार्च के बीच अमरावती परिक्षेत्र में 17 छापामार कार्रवाई सफल रही और जिले में किये गए चार ट्रैप फरवरी माह में हुए. जिसमें सरपंच, ग्रामविकास अधिकारी, लिपिक, टंकलेखक, वरिष्ठ लिपिक को गिरफ्तार किया गया. क्लास वन अधिकारी हो या फोर क्लास कुछ लोगों को छोडा जाए, तो बगैर रिश्वत दिये काम होता ही नहीं. जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र से लेकर हर काम के लिए रिश्वत मांगी जाती है. फिर वेतन किस चीज के लिए ऐसा प्रश्न सामान्य जनता के सामने उपस्थित हो रहा है. सभी सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों को वेतन 50 हजार से आगे 2-2.50 लाख तक है, फिर भी रिश्वत क्यों, ऐसा प्रश्न निर्माण हुआ है.
किस विभाग में कितने रिश्वतखोर?
विभाग रिश्वतखोर
ग्राम विकास 01
सरपंच 01
राजस्व 01
महामंडल 01
एसीबी को शिकायत करे
रिश्वत स्वीकार करने के लिए बिचोलिए का उपयोग किया जाता है. रिश्वत देने और लेने यह दोनों अपराध है. रिश्वत की मांग की गई, तो तत्काल एन्टीकरप्शन विभाग से संपर्क साधे.
– अरुण सावंत, अपर पुलिस अधिक्षक, एसीबी