अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचार

इलेक्शन के बाद क्यों आया शिवसेना उबाठा में भूचाल

सांसद अरविंद सावंत पर मनमानी और दादागीरी का आरोप

* शिंदे गट में जानेवाले जिला प्रमुख और कार्यकर्ताओं ने किया खुलासा
अमरावती/ दि. 19- मुंबई के बाद शिवसेना का दुर्ग रहे अमरावती में जब उबाठा गुट में उबाल आया और उसके जिला प्रमुख सहित कई तहसील प्रमुखों ने विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद पाला बदल किया तो राजनीतिक जानकारों से लेकर आम शिवसैनिकों के मन में प्रश्न उठे. इस बारे में अमरावती मंडल ने पाला बदल करनेवाले पदाधिकारियों से सवाल किए तो उन्होंने तपाक से कतिपय जिला पदाधिकारियों सहित संपर्क प्रमुख सांसद अरविंद सावंत के विरूध्द आरोपों की झडी लगा दी. इन्हीं नेताओं ने अब शहर और जिले में शिवसेना शिंदे गट को मजबूत बनाने और आनेवाले दिनों में प्रभावी कार्यक्रम व विकास योजनाएं लाने का दम भरा हैं. अमूमन सभी पदाधिकारियों ने स्वयं के निष्ठावान होने का दावा कर कहा कि पार्टी में हो रही घोर अनदेखी और उंगली पर गिनने लायक नेताओं की मनमर्जी के विरूध्द यह विस्फोट हुआ है. इतना ही नहीं आनेवाले दिनों में और बडा धमाका होने का भी दावा किया गया.

बडनेरा में करारी हार, फिर भी किसी को गम नहीं
शिवसेना जिला प्रमुख रहे श्याम देशमुख ने कहा कि वे अनेक ऑफर के बावजूद उबाठा सेना में कायम रहे. काम करते रहे. निष्ठावान शिवसैनिक के रूप में उन्हें सभी जानते हैं. इसीलिए पार्टी में हो रही उपेक्षा और काफी काम करने के बाद भी कभी किसी लीडर ने शाबासी नहीं दी. उपेक्षित महसूस करने के बाद एवं शिवसेना को ही मजबूत करने के लिए शिंदे गट में जाने का निर्णय किया. हमारे नेता और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के माध्यम से अमरावती के विकास प्रकल्पों को गति देंगे. नये प्रकल्प भी लाए जायेंगे. देशमुख ने कहा कि शिवसेना का अमरावती गढ रहा है. यहां पार्टी के सांसद और विधायक एक नहीं कई बार चुनकर आए हैं. पार्टी का संगठन भी मजबूत रहा. किंतु कुछ नेताओं ने निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी की. उन्हें किसी भी प्रकार के निर्णयों में भरोसे में नहीं लिया गया. जिससे लगातार उपेक्षित शिवसैनिकों में नाराजगी बढी. बुधवार को एकनाथ शिंदे का नेतृत्व मान्य कर स्वयं वे और कई तहसील प्रमुख, युवासेना के पदाधिकारी ने धनुष्यबाण उठा लिया. देशमुख ने दावा किया कि आनेवाले दिनों में और बडा धमाका होगा. उनका इशारा और भी उबाठा सेना पदाधिकारियों के शिंदे गुट में शामिल होने की ओर रहा. श्याम देशमुख ने बडनेरा में पार्टी की करारी हार की ओर भी उंगली उठाई. देशमुख ने कहा कि बडनेरा क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी को केवल 7 हजार प्लस वोट मिलना शर्मनाक है. पार्टी को डिपॉजिट जाने के साथ एक तिहाई वोट भी नहीं मिल सके. इसका जिम्मेदार कौन हैं ? यह सवाल उबाठा शिवसेना में किसी ने नहीं उठाया. इतनी करारी पराजय पर कोई मंथन नहीं हुआ. जिसकी समीक्षा होनी ही चाहिए थी. देशमुख ने किसी का नाम नहीं लिया. मगर यह जरूर कहा कि सुनील खराटे शिवसेना उबाठा और मविआ के प्रत्याशी थे. फिर भी इतने कम वोट पर सिमट गये. खराटे के साथ प्रचार कर रहे और उनके लिए उम्मीदवारी मांग कर लानेवाले पार्टी जनों पर किसी ने सवाल नहीं उठाए. यह बात उन्हें घोर आश्चर्यजनक लगी.जिला प्रमुख रहे देशमुख ने कहा कि खराटे की हार की मीमांसा होनी चाहिए थी. वह नहीं की गई है. श्याम देशमुख ने कहा कि वे मातोश्री और ठाकरे परिवार के प्रति निष्ठावान रहे हैं. 16 साल के थे तब बालासाहब के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने शिवसेना को अपनाया. गत 31 वर्षो से शाखा प्रमुख से लेकर विविध जिम्मेदारियों को निभाते हुए जिला प्रमुख बनाए गये थे. देशमुख ने मान्य किया कि पार्टी ने उन्हें मान सम्मान दिया. पद भी दिया. किंतु यह भी कहा कि भूतकाल में उनके अवसर अन्य को दे दिए गये. उनकी अपारचुनिटी छीन ली गई. फिर भी वे कार्य करते रहे. मशाल उठाकर काम करने के साथ उन्होंने कई कार्यकर्ताओं को जोडा. देशमुख ने महायुति की दोबारा सत्ता आने से पाला बदल से इंकार किया. उन्होने कहा कि सत्ता के लिए ही पक्ष बदलना रहता तो वे ढाई साल पहले ही इस ओर आ जाते. उस समय भी उन्हें ऑफर मिल रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि उबाठा सेना में दूसरी पंक्ति के नेताओं का स्थान नहीं था. सीधे उध्दव साहब से संपर्क करना पडता था. यह बहुत मुश्किल काम था. देशमुख ने अमरावती के हित में यहां के शिवसैनिकों की भावना पर शिंदे गुट का दामन थामने की बात कहीं और दावा किया कि जल्द ही शिवसेना का एक बडा सम्मेलन आयोजित किया जायेगा. जिसमें उपमुख्यमंत्री एकनाथा शिंदे और पार्टी के बडे नेता शामिल होंगे. अमरावती ेमें शिवसेना को मजबूत करने का दावा भी उन्होंने किया.

दादागीरी पर उतर आए थे सावंत
शिवसेना ने 17-18 वर्षो से काम कर रहे और अनेक प्रदर्शन व आंदोलन में अग्रणी रहे युवा सेना जिला प्रमुख राहुल माटोडे ने कहा कि उबाठा सेना के निष्ठावानों की पार्टी में अनदेखी हो रही थी. संपर्क प्रमुख सांसद अरविंद सावंत यहां दादागीरी और मनमानी पर उतर आए थे. किसी भी निष्ठावान उबाठा शिवसैनिक को विश्वास में लिए बगैर निर्णय हो रहे थे. हाल ही में उपनेता के मनोनयन के समय भी किसी पदाधिकारी या कार्यकर्ता को भरोसे में नहीं लिया गया. माटोडे ने नाम नहीं लिया. किंतु उनका स्पष्ट संकेत सुधीर सूर्यवंशी की ओर रहा. माटोडे ने कहा कि विधानसभा चुनाव के समय उम्मीदवार तय करने मेें राय नहीं ली गई. फिर भी शिवसैनिकों ने पार्टी द्बारा दिए गये प्रत्याशी का काम किया. 2007 से शिवसेना में एक्टीव युवा नेता माटोडे ने कहा कि शिंदे सेना में शामिल होने के अनेक कारण हैं. निश्चित ही शीघ्र होनेवाले निकाय चुनाव के लिए पार्टी को मजबूत करना है. प्रभाग के लोगों की समस्याएं तत्परता से हल करना हैं. लेकिन सबसे बडा हिन्दुत्व का मुद्दा हैं. हिन्दुत्व के लिए शिवसेना में प्रवेश लेने का दावा माटोडे ने किया. उन्होंने आरोप लगाया कि उबाठा सेना में अरविंद सावंत की जी हुजूरी करनेवाले कथित कार्यकर्ताओं को पद दिए जा रहे थे. उसी प्रकार ठेकेदारों को पद दिए जा रहे थे. जबकि निष्ठावान शिवसैनिकों की उपेक्षा हो रही थी. वाताहत हो रही थी. ज्वलंत हिन्दूत्व के लिए जोर शोर से काम करने का दावा राहुल माटोडे ने किया. माटोडे अनेक आंदोलनों के कारण पूरे जिले में चर्चा का केन्द्र रहे हैं.

रोहित धोटे डैशिंग चेहरा
युवा शिवसैनिक रोहित धोटे भी बुधवार को प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना शिंदे गट में सहभागी हो गये. धोटे के प्रवेश से कहा जा रहा है कि अमरावती में शिंदे सेना को डैशिंग चेहरा मिल गया है. धोटे कई वर्षो से प्रामाणिकता से काम कर रहे हैं. उन्होंने कई आंदोलन कर प्रशासन को जनहित में निर्णय करने और कार्य के लिए विवश किया है. युवाओं ने रोहित धोटे की शिंदे सेना में एन्ट्री का स्वागत किया.


जिन्होंने जिले में शिवसेना लायी, उनका अपमान कैसे सहेंगे
शिवसेना उबाठा के नेता आशीष धर्माले ने बुधवार को उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में शिंदे गट में प्रवेश किया. उनके साथ ही अनेक निष्ठावान शिवसेना पदाधिकारी शिवसेना शिंदे गट में आ गये हैं. उनका उपमुख्यमंत्री शिंदे ने स्वागत किया. धर्माले ने कहा कि जिन लोगों ने अमरावती जिले मेें शिवसेना लायी. उसका संगठन बढाया, मजबूत किया. ऐसे निष्ठावान और प्रखर शिवसैनिकों का दुर्लक्ष कर नये आए लोगों का शिवसेना उबाठा में मान बढ रहा था. उन्हीं के कहने पर विधानसभा की उम्मीदवारी दी. ऐेसे में जिले में शिवसेना के संस्थापक नेताओं की अनदेखी और अपमान कैसे सहन करेंगे ? यह सवाल करते हुए धर्माले ने स्पष्ट रूप से संजय बंड परिवार का नामोल्लेख किया. धर्माले ने कहा कि संजय बंड ने जिले में शिवसेना की स्थापना से लेकर उसे मजबूत राजनीतिक शक्ति बनाया. धर्माले ने कहा कि शिवसेना और मविआ के प्रत्याशी होने पर भी बडनेरा में 7 हजार वोट लेेनेवाले व्यक्ति को टिकट कैसे दिया जाता है. उस व्यक्ति को जिला प्रमुख पद पर करारी हार के बावजूद कायम रखे जाने का भी हमारा विरोध था. उनके नेतृत्व में काम करने में दिक्कते पार्टी के दूसरी पंक्ति के नेताओं को बोलकर बताई थी. कोई सुनवाई नहीं होने पर हमें शिंदे गुट का मार्ग अपनाना पडा. मनपा, जिला परिषद, पंचायत समिति के चुनाव सामने हैं. ऐसे में शिंदे गट को मजबूत करने का निर्णय किया गया. एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री के रूप में शानदार काम किया. उन्होंने साबित कर दिया कि वे सच्चे शिवसैनिक हैं. इसलिए उनका नेतृत्व हम सभी ने अपनाया. धर्माले ने यह भी कहा कि बडनेरा की सीट शिवसेना के लिए प्रतिष्ठा की थी. यहां के विधायक ने मातोश्री जाकर उध्दव ठाकरे के विरूध्द नारेबाजी की थी. प्रदर्शन किया था. जिससे यहां पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का विशेष ध्यान होना जरूरी था. जबकि बडनेरा में बडे नेताओं ने ध्यान नहीं दिया. संजय बंड की पत्नी की बजाय अन्य को उम्मीदवारी दी. जिससे पार्टी की शर्मनाक पराजय चुनाव में हुई. आशीष धर्माले ने कहा कि शिवसेना का बडा गुट अब शिंदे शिवसेना में आ गया है. जिससे अमरावती में पार्टी मजबूत हो गई है. आनेवाले दिनों में और भी लोग आयेंगे.

Back to top button