अमरावती

क्यों गायब होती है लडकियां, उनका आगे क्या होता है?

8 माह में 130 मामले दर्ज, 115 नाबालिगों की हुई खोज

अमरावती/दि.26– इस वर्ष जनवरी से मई माह तक 5 माह की कालावधि के दौरान समूचे राज्य में 5 हजार 610 महिलाएं, युवतियां व नाबालिग लडकियां लापता हुई. इससे पहले नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2016-17 व 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं व लडकियों के गुमशुदा होने के मामले में महाराष्ट्र राज्य सबसे पहले स्थान पर था और अब भी यह प्रमाण कम नहीं हुआ है.
उल्लेखनीय है कि, विगत कुछ महिनों से महिलाओं व लडकियों के लापता होने की घटनाएं बढ गई है. जिसकी वजह से अभिभावकों सहित पुलिस प्रशासन की चिंता बढ गई है. विशेष उल्लेखनीय है कि, युवावस्था व किशोरावस्था की दहेलिज पर रहने वाली लडकियां अपने घर पर किसी को बिना कुछ बताए अचानक ही लापता हो जाती है. ऐसे में उन्हें खोज निकालना पुलिस के लिए भी काफी बडी दिक्कत वाला काम रहता है. इसके साथ ही इस विषय को लेकर प्रशासन सहित अभिभावकों व समाज के जिम्मेदार लोगों द्बारा गंभीर रुप से विचार किए जाने की जरुरत आन पडी है. क्योंकि जिस प्रमाण में महिलाओं, ुयुवतियों व नाबालिग लडकियों के लापता होने के संदर्भ में अपराधिक मामले दर्ज होते है. उसी प्रमाण में उनका पता नहीं चल पाता. इसके अलावा घर की इज्जत मिट्टी में ना मिल जाए. इस बात को ध्यान में रखकर लापता होने वाली कई लडकियों के परिजन पुलिस में जाकर शिकायत देने से बचते है. जिसके चलते ऐसे मामलों की जानकारी भी सामने नहीं आ पाती.
* 8 माह में 130 नाबालिग गायब
अमरावती ग्रामीण पुलिस विभाग अंतर्गत शामिल होने वाले क्षेत्रों से जनवरी से अगस्त इन 8 माह के दौरान 18 वर्ष से कम आयु वाले 130 लडके-लडकियां लापता हुए है. जिनकी गुमशुदगी को लेकर संबंधित पुलिस थानों में शिकायतें दर्ज कराई गई.
* 115 नाबालिगों का चला पता
गुमशुदगी को लेकर दर्ज 130 मामलों में से 115 नाबालिग लडके-लडकियों को दुबारा खोज निकालने में ग्रामीण पुलिस के अनैतिक मानवी व्यापार प्रतिबंधक कक्ष ने सफलता प्राप्त की है.
* लापता होने की वजहें
सोशल मीडिया का अतिरेक, अकेलेपन के चलते आधार खोजने का प्रयास, स्कूल व कॉलेज में युवाओं का सहवास अधिक, फिल्मों व टीवी सीरियलों में दिखाए जाने वाले प्रणयदृष्य तथा प्रेम कथाओं का युवा पीढी पर होने वाला विपरीत परिणाम.
* क्या होता है आगे चलकर
कई बार सोशल मीडिया के भ्रमजाल में फंसकर लडकियां अपने घर से भाग जाती है. जिसमें से कुछ लडकियां अपने प्रेमी युवक के साथ विवाह भी करती है.
परंतु कई बार साल 6 महिने का समय बीत जाने के बाद असलियत उनके सामने आती है, जब उन्हें गलत रास्ते पर डाल दिया जाता है, जिसमें से अधिकांश लडकियों का कभी छूटकारा नहीं हो पाता है.
* अभिभावकों का ध्यान देना जरुरी
अपने बेटे या बेटी के मित्र व सहेली कौन-कौन है, इसके बारे में अभिभावकों को जानकारी होनी चाहिए. इसके साथ ही बच्चों के दोस्तों के अभिभावकों से भी जान-पहचान होनी चाहिए. इसके तहत फोन पर ही सही, लेकिन बच्चों के दोस्तों व उनके अभिभावकों से संपर्क होना चाहिए.

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