अमरावतीमहाराष्ट्र

छोटे बच्चों को क्यों होता है मोतियाबिंदू

अमरावती /दि.16– अक्सर यह माना जाता है कि, आंखों में मोतियाबिंदू की समस्या बढती उम्र की वजह से होनी शुरु होती है.लेकिन कई बार यह समस्या छोटे बच्चों में भी पायी जाती है. छोटे बच्चों में मोतियाबिंदू रहने के पीछे आनुवांशिकता सबसे प्रमुख वजह है. इसके साथ ही गर्भधारणा के समय यदि मां को कोई संसर्ग अथवा रुबेला सायटोमेगैलॉइस व टॉक्सोप्लाझेसिस जैसी बीमारी रहती है, तो बच्चे में पैदाइशी तौर पर मोतियाबिंदू की समस्या हो सकती है. इसके अलावा जिन बच्चों को पैदाइशी तौर पर डायबिटीज की तकलीफ है, उन्हें भी मोतियाबिंदू हो सकता है. ऐसे में जल्द से जल्द बीमारी का निदान व उपचार आवश्यक है.

* क्या होता है मोतियाबिंदू?
आंखों के प्राकृतिक लेंस का धुंधला होना यह मोतियाबिंदू की निशानी है. सामान्य आंखों में प्राकृतिक लेंस के जरिए ही सभी दृष्य आंखों के पिछले हिस्से में रहने वाले पर्दे पर अंकित होते है. परंतु यदि आंखों का प्राकृतिक लेंस ही धुंधला हो जाता है, तो उस व्यक्ति को सबकुछ धुंधला दिखाई देता है.

* क्या है वजहें?
अनुवांशिकता, वातावरण में बदलाव, गर्भधारणा के दौरान महिला को होने वाला संसर्ग, आंखों में गलत दवाओं का प्रयोग आदि को मोतियाबिंदू की प्रमुख वजह कहा जा सकता है.

* क्या है लक्षण?
आंखों की पुतली के जरिए धुंधला व अपारदर्शक दिखाई देना, आंखों की अनैच्छिक हलचल, प्रकाश संवेदनशिलता पुतली पर सफेद या स्लेटी रंग आदि को मोतियाबिंदू के लक्षण कहा जा सकता है.

* इर्विन में बच्चों की शल्यक्रिया नहीं
स्थानीय जिला सामान्य अस्पताल में छोटे बच्चों पर मोतियाबिंदू की शल्यक्रिया नहीं की जाती. परंतु 20 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी मरीजों के लिए मोतियाबिंदू शल्यक्रिया की सुविधा उपलब्ध है. जिसके चलते जिला सामान्य अस्पताल में प्रतिमाह 400 से 450 मोतियाबिंदू की शल्यक्रियाएं होती है. साथ ही अस्पताल के नेत्ररोग विभाग में प्रतिमाह करीब 5 हजार मरीजों पर मोतियाबिंदू की शल्यक्रिया की जाती है.

* छोटे बच्चों में मोतियाबिंदू की समस्या अनुवांशिकता अथवा गर्भधारणा के दौरान मां को किसी तरह का कोई इंफेक्शन रहने पर हो सकती है. इसके अलावा पैदाइशी तौर पर डायबिटीज की समस्या रहने वाले बच्चों को भी इसकी तकलीफ हो सकती है, ऐसे में इसका त्वरित निदान करते हुए इलाज करना जरुरी है. अन्यथा आंखे पूरी तरह से खराब भी हो सकती है.
– डॉ. दीप्ति उमरे,
नेत्र शल्यचिकित्सक,
जिला सामान्य अस्पताल.

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