अमरावतीलेख

युवाओं में दिल का दौरा इतना प्रचलित क्यों हो गया है?

बॉलीवुड के मशहूर गायक केके के अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन से उनके सभी प्रशंसक सदमे में हैं

वह 53 वर्ष के थे. जब उन्होंने अंतिम सांस ली. कोलकाता के नजरुल मंच में लाइव प्रस्तुति देने के तुरंत बाद दिल का दौरा पड़ा.
दुर्भाग्यपूर्ण घटना सेे फिल्म बिरादरी और उनके प्रशसंकों के बीच सदमे की लहर है. जहां कुछ लोग गायक के निधन पर विलाप कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग जीवन कितना अप्रत्याशित है, इस पर बात कर रहे हैं और युवा आबादी में दिल के दौरे के बढ़ते प्रसार पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं. और इसी तरह पिछले साल सितंबर में सिद्धार्थ शुक्ला के असामयिक निधन ने सभी को सदमे और शोक की स्थिति में छोड़ दिय था. रिपोर्ट्स के अनुसार अभिता जो केवल 40 वर्ष का था, को दिल का दौरा पड़ा और उसके बाद उसने दम तोड़ दिया.
हमने इसी विषय पर अमरावती के सुप्रसिद्ध हृदयरोग तज्ञ डॉ. नीरज राघानी से बातचीत की, जिसके प्रमुख अंश हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं,
*हृदयाघात (कशरीीं ईींंरलज्ञ) क्या है?
झेनिथ अस्पताल, अमरावती के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. नीरज राघानी कहते हैं, दिल का दौरा या मायोकार्डियल इंफार्क्शन धमनियों के भीतर बनने वाली रुकावट या रक्त के थक्के को दर्शाता है, जो हृदय में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करता है.
जब प्लाक के निर्माण के कारण हृदय में रक्त का प्रवाह अचानक अवरुद्ध हो जाता है, तो कोलेस्ट्रॉल सहित वसा जमा होने के कारण कोरोनरी धमनियां संकीर्ण हो सकती है. जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है. उन्होंने कहा, अधिकांश दिल के दौरे घातक हो सकते हैं और इसलिए जब भी वे होते हैं, उन्हें तत्काल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है.
* युवाओं में दिल का दौरा पड़ने का क्या कारण है?
हृदय रोग अनादि काल से मौजूद है. यह ऐसी चीज नहीं है, जिसका हाल ही में निदान या पता चला हो, बल्कि लंबे समय से कहर बरपा रहा है. हालांकि वृद्ध आबादी को लक्षित करने के अपने नियमित पैटर्न को बदलते हुए हृदय रोग युवा आबादी को भी प्रभावित कर रहे हैं. इससे चिंता बढ़ गई है. हालांकि दिल का दौरा पड़ने की कोई निश्चित उम्र नहीं होती है आपकी जीवनशैली, आपकी आहार योजना, आपकी कसरत की दिनचर्या औड़ आपके तनाव के स्तर का प्रबंधन आपके दिल का दौरा पड़ने की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है.
* डॉक्टर के अनुसार प्रमुख कारण
डॉ. नीरज राघानी कहते हैं, आजकल युवा कोई पूर्व हृदय जांच (झीर्शींशपींर्ळींश कशरीीं उहशलज्ञणि) नहीं करवाते, लोग बिना पूर्व हृदय जांच के जिम करना शुरु कर देते हैं और फिर जिम के दौरान वेट ट्रेनिंग करते हैं, जिससे हृदय की मोटाई बढ़ जाती है. वे ट्रेडमिल करते हैं. कुछ लोग सप्लीमेंट भी लेते है जो अच्छे नहीं होते और दिल को नुकसान पहुंचाते हैं. जिससे अतालता (ईीहूींहाळर) हो जाती है.
डॉ. राघानी बताते हैं, जब कोई व्यक्ति 21 से 30 वर्ष की आयु में होता है तो वह धीरे-धीरे बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल या अन्य आनुवंशिक कारणों के कारण रुकावटों (इखेलज्ञरसश) का विकास करना शुरु कर देता है. हालांकि, जब व्यक्ति अत्यधिक तनावपूर्ण घटना का सामना करता है तो महत्वपूर्ण शारीरिक परिश्रम से गुजरता है. या गंभीर जैविक तनाव जैसे संक्रमण, हृदय पर परिश्रम के कार पहले से मौजूद रुकावटों (इखेलज्ञरसश) के पास थक्के बनते हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ता है.
डॉ. राघानी कहते हैं, पिछले एक दशक में दिल की बीमारियों में वृद्धि हुई है. पिछले साल मामलों में वृद्धि अधिक चिंताजनक है. ज्यादातर स्वास्थ्य पेशेवर इस वृद्धि को कोविड-19 का प्रत्यक्ष परिणाम समझते हैं क्योंकि यह रोग रोगी की रक्त वाहिकाओं को गंभीर रुप से प्रभावित करता है.
* हार्ट अटैक के प्रमुख लक्षण क्या है?
डॉ. राघानी बताते हैं कि हार्ट अटैक का सबसे सामान्य लक्षण छाती के बीच में तेज और दबाव वाला दर्द होना है जो कि शरीर के बायीं ओर होता है. खासतौर से बायें हाथ, कमर और दो कंधों के बीच में इसका दर्द होता है, यहीं नहीं, कई बार दर्द ठोड़ी (चिन) और जबड़े तक में आ जाता है. व्यक्ति को बहुत ज्यादा पसीना आने लगता है. जब व्यक्ति तेज दर्द का अनुभव करता है तो कुछ हार्मोन्स निकलते हैं. ब्लड प्रेशर और हृदय दर ऊपर चली जाती है और इससे पसीना आता है. डायबिटीज पीड़ित मामलों में तेज दर्द की बजाय पसीना आना, दिमाग का हल्का लगना और कुछ सेकेंड के लिए अंधेरा छा जाना आदि ज्यादा सामान्य लक्षण है. सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना और चेतना-समझ खो देना आदि कुछ अन्य लक्षण हैं. पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द और जलन से बैचेनी होती है, जिससे व्यक्ति कई बार एसिडिटी और दिल में चुभन के साथ कंफ्यूज हो जाता है. उबकाई की तेज फीलिंग भी हार्ट अटैक का एक लक्षण है, जिसमें व्यक्ति गैस और पाचन की परेशानी में कंफ्यूज हो जाता है. थकान, पीलापन, चिंता आदि कुछ अन्य शुरुआती लक्षण हैं.
* क्या व्यायाम और स्वस्थ भोजन पर्याप्त है? या क्या आनुवंशिक कारक भूमिका निभाते हैं?
डॉ. राघानी कहते हैं , इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक स्वस्थ जीवनशैली हृदय रोगों को रोक सकती है और मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और हाइपरग्लाइसेमिया जैसी अन्य पुरानी बीमारियों के विकास के जोखिम को भी कम कर सकती है, नियमित व्यायाम और उचित आहार निश्चित रुप से बीमारियों को दूर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
डॉ. राघानी बताते हैं कि भारतीय आबादी का एक बड़ा वर्ग आनुवंशिक रुप से इन जटिलताओं के प्रति संवेदनशील है, जिससे हृदय रोग होता है. इसे जोड़ते हुए उन्होंने आगे इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछली पीढ़ी में अपने माता-पिता को प्रभावित करने से लगभग 5-10 साल पहले यह आनुवंशिक संचरण युवा पीढ़ी को प्रभावित करता है. जब आनुवंशिक पैटर्न सेट हो जाता है तो हृदय रोग को पूरी तरह से रोकने के लिए बहुत कुछ नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके जोखिम कारकों को कम किया जा सकता है.
* क्या मानसिक तनाव कारक भूमिका निभाते हैं?
हृदय रोगों को अक्सर तनाव और चिंता से जोड़ा गया है. डॉ. राघानी बताते हैं कि लंबे समय तक तनाव से उच्च कोर्टिसोल का स्तर एक व्यक्ति को उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, रक्त शर्करा के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है और उच्च रक्तचाप के जोखिम को बढ़ा सकता है. ये हृदय रोग के लिए सामान्य जोखिम कारक है.
डॉ. नीरज राघानी के अनुसार, युवाओं में प्रदर्शन का तनाव, शहरीकरण से जुड़े तनाव, जीवनशैली जैसे बहुत अधिक तनाव होते हैं जो अक्सर धूम्रपान, शराब पीने, अस्वास्थ्यकर खाने की आदतों और पैटर्न का कारण बनते हैं. यह बदले में हृदय पर तनाव का कारण बनता है, जिससे दिल का दौरा, कार्डियक अरेस्ट होते हैं.
डॉ. राघानी बताते हैं कि कोरोना वायरस महामारी के बीच कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से पीड़ित लोगों को इसका सबसे बुरा हाल हुआ है. कोविड लक्षणों से निपटने से लेकर कोविड के बाद की जटिलताओं के प्रबंधन तक, हृदय रोगी गंभीर संक्रमण और अचानक होने वाली मौतों के लगातार डर में जी रहे हैं.
वे कहते हैं, भारत में हडदय रोग की औसत आयु अब पहले से कही अधिक युवा है जो 40-50 आयु वर्ग के भीतर दर्ज की गई है.
* हार्ट अटैक के समय प्राथमिक चिकित्सा (फर्स्ट एड) या प्राथमिक उपचार किस प्रकार का होना चाहिए?
डॉ. नीरज राघानी के अनुसार, सर्वप्रथम व्यक्ति को लिटाएं फिर उसीक जीभ के नीचे एक एस्प्रीन टेबलेट रखें जो सारबीट्रेट चेबलेट के साथ रखी जानी चाहिए (यदि वह उपलब्ध हो तो) और फिर मरीज को शीघ्रताशीघ्र हार्ट अस्पताल ले जाना चाहिए. जिससे अटैक के प्रथम घंटे में अधिकतम मरीज की चिकित्सा हो सके.
* अपने हृदय के स्वास्थ्य में सुधार करें
डॉ. राघानी कहते हैं- रोकथाम इलाज से बेहतर है, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हर किसी को हृदय की जांच करानी चाहिए. यदि किसी को हृदय संबंधी बीमारियों का पारिवारिक इतिहास है तो उसे हृदय रोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए.
डॉ. नीरज राघानी के अनुसार, ऐसी चीजें हैं जो आप अपने दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं.
* धूम्रपान न करें या तंबाकू उत्पादकों का उपयोग न करें और अन्य लोगों के तंबाकू के धुएं से बचें.
* यदि आपको उच्च रक्तचाप है तो उसका इलाज करें.
* प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें.
* ऐसा स्वस्थ आहार लें, जिसमें वसा, नमक और शर्करा कम हो.
* अपना वजन सामान्य सीमा में रखें.
* यदि आपको मधुमेह है तो अपने रक्त शर्करा को नियंत्रित करें.
*नियमित जांच के लिए अपने चिकित्सक से मिलें और आदेशानुसार अपनी दवाएं ले.

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