जन्म के बाद नवजात को कांच की पेटी में क्यों रखा जाता है?
कम वजन और समय से पूर्व जन्मे बालक पर विशेष ध्यान देना आवश्यक
अमरावती/दि.21– कम वजन और समय से पूर्व जन्मा बालक शारीरिक रुप से विकसित नहीं रहता. बाहर के वातावरण में और पूर्ण समय के बालक के मुताबिक संक्रमण करने में सक्षम नहीं रहता. साथ ही बालक की रोग प्रतिकार शक्ति कम रहती है, ऐसे नवजात विविध बीमारियों से लड नहीं पाते है. इस कारण कम समय के और कम विकसित बालको को कांच की पेटी में रख औषधोपचार करना आवश्यक रहता है.
जिला महिला अस्पताल में पूरे वर्ष में दो हजार के करीब बालको पर कांच की पेटी में रख उपचार किए जाने की जानकारी अस्पताल प्रशासन ने दी. अपना बालक सुदृढ और निरोगी जन्म लें, इसके लिए गर्भावस्था में महिलाओं को विशेष ध्यान रखना आवश्यक है.
* एनआयसीयू में भर्ती होने के कारण क्या?
– अपूर्वकालीन प्रसूति : महिलाओं ने गर्भधारणा के 9 माह का कार्यकाल पूर्ण करना तय है. लेकिन समय के पूर्व जन्मे बालक की पूरी तरह बढोतरी हुई नहीं रहती है.
– व्यंग रहनेवाले बालक : गर्भ के बालको में विविध तरह के शारीरिक व्यंग रहे बालको को एनआयसीयू में रख उन पर औषधोपचार किया जाता है.
– कम वजन के बालक : जन्मे बालक कम वजन के रहे तो ऐसे बालको को भी उपचार के लिए कांच की पेटी में रखा जाता है. ढाई किलो से अधिक वजन के बालक सुदृढ रहते है.
– गंभीर बीमारी के बालक : बालक जन्म लेने के बाद यदि उसे न्यूमोनिया, पीलियां व अन्य गंभीर बीमारी रही तो ऐसे बालक को कांच की पेटी में रखा जाता है.
* कौनसी सावधानी आवश्यक?
– गर्भवती के पूर्व : गर्भवती महिला को पोषण आहार की तरफ ध्यान देना चाहिए. समय-समय पर डॉक्टरों की सलाह से जांच और औषधोपचार करना चाहिए. सोनोग्राफी भी करनी चाहिए. शारीरिक गतिविधियां करना आवश्यक है.
– गर्भवती होने के बाद : मां ने स्वच्छता रखनी चाहिए. हालत में कोई बदलाव लगा तो तत्काल डॉक्टर को दिखाना आवश्यक है. बालक और माता के पोषण आहार की तरफ विशेष ध्यान देना आवश्यक रहता है.