अमरावती

छत्रपती संभाजी राजा का जन्मदिन मराठी भाषा गौरव दिन क्यों नहीं ः डॉ. सतीश तराल

श्री शिवाजी शिक्षण महाविद्यालय में मराठी भाषा दिन मनाया

अमरावती/दि.1-छत्रपती संभाजी राजा को सभी भारतीय भाषाओं का अभ्यास था. उन्होंने प्रज्ञावान, बुद्धभूषण सरीखे ग्रंथ लिखे.तलवार व लेखनी में प्रसिद्ध संभाजी राजा का जन्मदिन मराठी गौरव भाषा दिन के रुप में क्यों नहीं मनाया जाता? ऐसा संतप्त सवाल सुप्रसिद्ध साहित्यिक व विचारक डॉ. सतीश तराल ने किया. वे स्थानीय श्री शिवाजी शिक्षण महाविद्यालय में आयोजित मराठी भाषा गौरव दिन कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रुप में बोल रहे थे. इस समय प्रमुख अतिथि के रुप में ज्येष्ठ पत्रकार मनोहर परिमल उपस्थित थे. इस समय कार्यक्रम के संयोजक डॉ. मीना रोकडे, प्रोफेसर डॉ. संजय खडसे, प्रा. डॉ. किशोर क्षत्रिय मंचासीन थे.
अपने जोशपूर्ण व्याख्यान में डॉ. सतीश तराल ने कहा कि बुद्ध, चावार्क, संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम महाराज, छत्रपती शिवाजी महाराज, महात्मा जोतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले आदि संत महात्मा अपने देश में रहते वि.वा. शिरवाडकर का जन्मदिन मराठी भाषा गौरव दिन के रुप में मनाया जाता है, इसके पीछे कोई षड़यंत्र तो नहीं है? ऐसा सवाल कर मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा देने से किसका भला होगा ऐसा प्रश्न भी उन्होंने निर्माण किया. मराठी में 100 बोली है. आज की स्थिति में रोमन भाषा में मराठी लिखी जा रही है. भाषा वैज्ञानिकों का कहना है कि देवनागरी यह सदोष भाषा है. कोई भी भाषा शुद्ध नहीं होती व अशुद्ध नहीं होती. जैसे धर्म का नुकसान हुआ वैसे ही भाषा का भी नुकसान होगा. संस्कृत भाषा भी प्राकृत भाषा से निर्माण हुई है.इस समय उन्होंने अभ्यासकों से विज्ञाननिष्ठ व परिवर्तनशील साहित्य सब तक पहुंचे इसका विचार करने व सद्यस्थिति के कारस्थानों के सखोल में जाकर अभ्यास करने का आवाहन किया.
इस अवसर पर ज्येष्ठ पत्रकार मनोहर परिमल ने कहा कि सात समुद्र पार गई मराठी भाषा ने व साहित्य ने विश्व को नये आचार विचार दिये है. मराठी भाषा जनभाषा, बोली भाषा, लोक भाषा होनी चाहिए. मराठी भाषा ज्ञानभाषा होने पर मराठी का विकास होगा, ऐसा कहते हुए मनोहर परिमल ने कहा कि आने वाली पीढ़ी पर बड़ी जिम्मेदारी होकर भाषा उन्नयीकरण के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए. अध्यक्षीय भाषण में प्राचार्य डॉ. विनय राऊत ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नये राष्ट्रीय शैक्षणिक नियोजन में स्थानीय भाषा को अग्रक्रम दिया गया है.
कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथियों के हाथों शिक्षणमहर्षी डॉ. पंजाबराव देेशमुख की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. इस अवसर पर बीएड के छात्र गौरव गोरले, राहुल खांदे, रुपाली गायकवाड़, सुगराबी मांजरे ने मराठी भाषा गौरव दिन निमित्त अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम का प्रस्ताविक प्रो. डॉ. संजय खडसे ने किया. इस अवसर पर प्रा. डॉ. वनिता काले,प्रा.डॉ.संगीता बिहाडे,प्रा. डॉ. अमित गावंडे,ग्रंथपाल डॉ.वंदना खाकरे सहित बी.एड.के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

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