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क्यों अटक रहा मामला, कहां हो रही देरी !

भाजपा ने अमरावती के नाम का क्यों नहीं किया ऐलान

राणा के साथ वानखडे का नाम भेजा गया था संसदीय बोर्ड में

अमरावती/दि.14– लोकसभा चुनाव की कार्यक्रम घोषणा दो दिनों में होेनेवाली है. राजनीतिक दल पूरे जोश से तैयारी में जुटे हैं. भाजपा ने अपनी दूसरी सूची घोषित कर दी है. विदर्भ में जहां भाजपा निश्चित रूप से चुनाव लडनेवाली है. वहां प्रत्याशियों की घोषणा बुधवार को कर दी गई है. सबकुछ तय हो गया है. फिर भी अमरावती में भाजपा ने नाम की घोषणा क्यों नहीं की. देर क्यों हो रही है ? कहां मामला अटक रहा है, इस बारे में कयास और अटकलें तेज हो रखी हैं.

* अकोला, वर्धा घोषित
16 मार्च तक चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की प्रबल संभावना देखते हुए भाजपा संसदीय बोर्ड ने बुधवार शाम 70-72 सीटों के उम्मीदवार डिक्लेयर किए. जिसमें विदर्भ के अकोला, वर्धा, नागपुर, चंद्रपुर के नाम शामिल हैं. फिर अमरावती का ही प्रकरण क्यों लटका हैं, इसका उत्तर भाजपा के स्थानीय नेता नहीं दे पा रहे हैं.

* शुरू किया प्रचार
इधर राणा दंपत्ति ने अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. वे जिस प्रचार रथ को लेकर प्रचार कर रहे हैं. उस पर कमल निशानी छोडकर भाजपा का सबकुछ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस के चित्र अंकित हैं. आपसी बातचीत में नवनीत राणा और विधायक राणा लगभग प्रत्येक से कह रहे हैं कि उनकी मोदी- शाह से बातचीत हो चुकी है. इधर प्रदेशाध्यक्ष बावनकुले, फडणवीस, प्रवीण दरेकर इन नेताओं ने अलग- अलग इंटरव्यूह में अमरावती से कमल निशानी होगी और नवनीत जीतेगी, ऐसे दावे किए हैं. फिर ऐसा क्या हो रहा है कि घोषणा में देरी हो रही हैं.

*सुुप्रीम कोर्ट का अडंगा ?
दो दिनों में चुनाव आचार संहिता लगनेवाली है. जिससे अमरावती को लेकर हो रहे विलंब के बारे में कयास लग रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में जाति प्रमाणपत्र प्रकरण को लेकर रिजल्ट आने की चर्चा हो रही है. भले ही दोनों खेमे राणा और भाजपा कान्फीडंट हैं कि कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में हैं. फिर भी उनके ही मन में कहीं न कहीं शंका जरूर हैं. जिसके कारण यह देर हो रही हैं. अमित शाह ने पिछले सप्ताह अकोला आकर जो कानमंत्र दिया उसमें कहा गया था कि अमरावती में कमल होगा और उम्मीदवारी कन्फर्म है तो घोषणा क्यों नहीं हो रही.

* इधर मीडिया की यह खबरें
आज कुछ समाचार पत्रों में प्रश्न चिन्ह के साथ खबरे छपी है कि राणा को मेलघाट में भाजपा के नेताओं के फोटो लगाकर प्रचार करने पर रोका गया. यह समाचार कहीं भी कन्फर्म नहीं हो पाया हैं. किंतु पार्टी में दबे स्वर में जिले की भाजपा नवनीत राणा के पार्टी में आने को लेकर राजनीतिक रूप से भयभीत हैं. यह मोदी का चुनाव हैं. इसलिए इसमें भाजपा में वही होगा जो अमित शाह और मोदी चाहेंगे. इन दो को छोडकर किसी की नहीं चलेगी. फिर कन्फ्यूजन और देरी क्यों हो रही है ? सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 15 दिन नहीं आयेगा. तो क्या यही स्थिति रहेगी ? हमें जो जानकारी मिली है भाजपा पार्लियामेंट्री बोर्ड में पहले नंबर पर नवनीत राणा का नाम हैं. दूसरे नंबर पर सिध्दार्थ वानखडे का. अब देखना होगा कि वानखडे की किस्मत बुलंद होती हैं है क्या ? या फिर यहां भी भाजपा का धक्का तंत्र चलाया जायेगा.

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