अमरावती/दि.13 – केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम एवं मोटर वाहन कानून के अनुसार देश में प्रत्येक मोटर वाहन के लिए बीएस-1, बीएस-2, बीएस-3 तथा बीएस-4 सहित सीएनजी व एलपीजी जैसे सभी वाहनों के लिए पीयूसी प्रमाणपत्र निकालना अनिवार्य है. साथ ही पीयूसी नहीं रहने वाले वाहन धारकों पर वाहन के प्रकारानुसार 1 हजार से 2 हजार रुपए तक का दंड लगाया जाता है. परंतु वहीं दूसरी ओर राज्य परिवहन निगम की धुआं व प्रदूषण फैलाते हुए दौडने वाली सरकारी एसटी बसों के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई होती दिखाई नहीं देती. ऐसे में अपने पीछे बडे पैमाने पर काला धुआं छोडते हुए दौडने वाली सरकारी बसों को देखकर सर्वसामान्यों द्बारा सवाल पूछा जा रहा है कि, आखिर यातायात विभाग एवं परिवहन विभाग द्बारा लालपरी बसों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती.
बता दें कि,रापनि के अमरावती विभाग अंतर्गत रहने वाले अमरावती, बडनेरा, दर्यापुर, परतवाडा, चांदूर बाजार, मोर्शी, वरुड व चांदूर रेल्वे इन 8 आगारो में उपलब्ध रहने वाली कुल 363 एसटी बसें विभिन्न मार्गों पर अपनी फेरियां पूर्ण करती है. जिसमें से कुछ बसों को छोडकर अधिकांश बसें काफी पुरानी हो चुकी है और रास्तें पर चलते समय बडे-पैमाने पर धुआं छोडती है. जिसकी वजह से काफी हद तक प्रदूषण होता है. किंतु इसके बावजूद ऐसी बसों के खिलाफ विभिन्न चौक-चौराहों पर खडे यातायात पुलिस द्बारा कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाती.
* किस आगार में कितनी बसें
अमरावती 61
बडनेरा 46
परतवाडा 58
वरुड 43
चांदूर रेल्वे 36
दर्यापुर 44
मोर्शी 36
चांदूर बाजार 39
* 11 माह में किसी बस पर कार्रवाई नहीं
अमरावती शहर सहित जिले के कई रास्तों पर अपने पीछे काला धुआं फेंकने वाली दर्जनों बसों को खुली आंखो से देखा जा सकता है, लेकिन इसके बावजूद विगत 11 माह के दौरान किसी भी रापनि बस के खिलाफ प्रदूषण फैलाने के मामले को लेकर यातायात पुलिस अथवा परिवहन अधिकारी कार्यालय द्बारा एक भी कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं इस दौरान सर्वसामान्य नागरिकों के दुपहिया, तीपहिया व चारपहिया वाहनों के खिलाफ पीयूसी नहीं रहने को लेकर दनादन कार्रवाई करते हुए संबंधित वाहन धारकों से भारी भरकम दंड वसूला गया है.
* सुरक्षा की द़ृष्टि से रापनि बसों की साल भर के दौरान 4 बार जांच की जाती है और प्रत्येक वर्ष आरटीओ से बस का फिटनेस प्रमाणपत्र लेना होता है. पीयूसी प्रमाणपत्र के बिना आरईओ से बस की पासिंग नहीं होती. ऐसे में सभी बसों का पीयूसी प्रमाणपत्र अनिवार्य तौर पर बनाना भी होता है और पीयूसी प्रमाणपत्र के लिए बस की तमाम आवश्यक जांच की जाती है. जिसके तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि, संबंधित बस द्बारा कोई प्रदूषण नहीं फैलाया जा रहा.
– नीलेश बेलसरे,
विभाग नियंत्रक,
रापनि, अमरावती.