अमरावती

पत्नी मरी एक की, दावा किया तीन ने!

50 हजार के लिए कुछ भी करेगा

  • कोरोना मृतक के अनुदान हेतू वारिसों का प्रशासन को आवेदन

अमरावती/दि.22 – कोरोना संक्रमण के चलते मृत हुए व्यक्ति के रिश्तेदारों, वारिसों को अब शासन की ओर से 50 हजार रुपए की सहायता दी जा रही है. आवेदन में वारिस के रुप में कई लोगों ने आवेदन किया. मगर इसमें एक चौकाने वाली भी बात सामने आयी है. एक व्यक्ति की पत्नी का कोरोना के कारण निधन हो गया और 50 हजार रुपए अनुदान के लिए तीन लोगों ने आवेदन किया. अनुदान के लिए कुछ भी करेगा ऐसा वाक्या प्रत्यक्ष देखने को मिल रहा है.
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से कोरोना मृतक के रिश्तेदारों को 50 हजार रुपए की सहायता मिल रही है. इसके लिए मृतक के रिश्तेदारों को निर्धारित आवेदन के साथ जरुरी दस्तावेज पोर्टल पर प्रस्तुत करना पडता है. जिले मेें अब तक 1587 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हुई. उसके अलावा अन्य जिले से भी अमरावती जिले में इलाज के लिए आये मरीजों की मौत हुई. उन्हें भी यहीं आवेदन करना पड रहा है. अब तक सानुग्रह अनुदान के लिए 3610 आवेदन प्राप्त हुए है. इसमें 2628 आवेदन मनपा क्षेत्र के है. मृतक से ज्यादा अनुदान के लिए आवेदन प्राप्त होने के कारण समिति व्दारा कडी जांच करने पर शासन से मदद मांगने के लिए शुरु रहने वाला ऐसा किस्सा सामने आया है.

इस वजह से अनुदान खारिज

कोरोना के कारण मृत्यु होने वाले व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र में गलती होने से आवेदन नामंजूर करने का या त्रुटी होना मुख्य कारण है. इसके अलावा मृतक के वारिसदार के आधार क्रमांक व उसके बारे में जानकारी अधुरी रहने, बैंक की जानकारी पर्याप्त न होने, मृतक का कोरोना पॉजिटीव रिपोर्ट न होने, अन्य रिश्तेदारों का एनओसी देने वाला घोषणापत्र में गलती आदि कारणों के कारण आवेदन खारिज किये जाते है.

एक मृतक के लिए कई वारिश

एक मृतक के लिए कई वारिस सामने आये है. प्राथमिक जांच में ही कुछ आवेदन में त्रुटियां होती है, इसके बाद आरडीसी व उसके पश्चात उसके आगे समिति की ओर आवेदन जाते है. शहर में 2628 आवेदन प्राप्त और 1475 मंजूर किये गए है.
– डॉ.विशाल काले, एमओएच

गलत वारिस भी लाभ ले सकता है.

मृतक के एक से अधिक वारिश व रिश्तेदार ने सानुग्रह अनुदान के लिए आवेदन किया हेै. समिति की जांच में यह बात उजागर हुई है. कुछ मामलों में गलत वारिस भी लाभ ले सकता है, इसकी संभावना को नकार नहीं सकते.
– आशिष बिजलवाल, आरडीसी

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