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पोहरा-मालखेड के जंगल में पहली बार जंगली भैसा दिखा

युथ फॉर नेचर कॉन्सरवेशन संस्था कर रही वन विभाग के साथ संशोधन

* जंगल में लगे ट्रैप कैमरे में दिखे प्राणी
अमरावती/दि. 13 – पोहरा-मालखेड का आरक्षित जंगल यह अमरावती जिले के मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के बाद सबसे बडा जंगल है. इस जंगल में बाघ, तेंदूए, जंगली कुत्ते, हिरण, नीलगाय आदि प्राणियों का नियमित अस्तित्व है. लेकिन जंगली भैसा पहली बार दिखाई दिया है.
युथ फॉर नेचर कॉन्सरवेशन संस्था तेंदूए, बाघ जैसे प्राणियों पर अमरावती वन विभाग के साथ संशोधन कर रही है. इसमें ट्रैप कैमरे की सहायता से वन्यप्राणियों की गतिविधियों पर ध्यान रखा जाता है. इस दौरान अमरावती से सटकर रहनेवाले वन क्षेत्र में विविध तरह के प्राणियों के निशान पाए गए और वह जंगली भैसों के रहने से वहां ट्रैप कैमरे लगाए गए और दुसरे दिन उस कैमरे में जंगली भैसे का फोटो आया है. इस जंगल में इस तरह पहली बार जंगली भैसा दिखाई देने की जानकारी संस्था के अध्यक्ष व वन्यजीव अभ्यासक डॉ. स्वप्नील सोनोने ने दी. अमरावती प्रादेशिक वन विभाग अंतर्गत आनेवाला यह जंगल 100 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है. यहां 275 से अधिक पक्षी दर्ज है. इसमें स्थानीय व स्थलांतर कर आनेवाले पक्षियों का समावेश है. साथ ही विविध कीटक प्रजाति भी है. जंगली भैसे के अस्तित्व से इस जंगल की समृद्धि बढ रही है, ऐसा उपवन संरक्षक धैर्यशील पाटिल ने कहा. जंगली भैसा यह गोवंश कुल का सबसे बडा प्राणी है और यह शाकाहारी है. इसकी विश्व की आबादी में से 85 प्रतिशत संख्या भारत में है. वन्यजीव संरक्षण कानून 1972 अंतर्गत शेड्यूल-1 प्रजाति के रुप में सुचिबद्ध है और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कॉन्झर्वेशन ऑफ नेचर की रेड लिस्ट में ‘असुरक्षित’ के रुप में घोषित किया है, ऐसी जानकारी भी डॉ. स्वप्नील सोनोने ने दी. मुख्य वनसंरक्षक जयोती बैनर्जी, उपवन संरक्षक धैर्यशील पाटिल, सहायक वनसंरक्षक देसाई, वनपरिक्षेत्र अधिकारी श्रीमती हरणे, पवार, वन विभाग के कर्मचारी और यूथ फॉर नेचर कॉन्सरवेशन का दल इन प्राणियों के संवर्धन के लिए साथ में काम कर रहा है.

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