अमरावती/दि.25– धूप का पारा 44 से 45 अंश सेल्सिअस पर पहुंचा है. अप्रैल महीने में जंगल में आग की घटनाएं बढ़ी है. जिसके चलते जंगल परिसर, व्याघ्र प्रकल्प में उपाय योजनाएं तेज की गई है. लेकिन इस बार जंगल की आग से वन्य जीवों की मृत्यु हुई है, ऐसी एक भी घटना पंजीबद्ध नहीं. तथापि जंगल की आग व तेज धूप से वन्यजीवों को इधर उधर भटकना पड़ रहा है, जिसके चलते उनकी जान को धोखा निर्माण हुआ है.
प्रति वर्ष ग्रीष्मकाल में वनक्षेत्र, व्याघ्र प्रकल्प में जंगल में आग लगने की घटनाएं घटती है. लेकिन इस बार फरवरी से ही जंगल में आग लग रही है. जिसके चलते वन विभाग का नियोजन चरमराया है, विशेषतः विदर्भ में वन क्षेत्र को आग लगने की घटना हर रोज ध्यान में आ रही है. जंगल में आग लगने की घटना के नियंत्रण हेतु जंगल क्षेत्र, व्याघ्र प्रकल्प में अलर्ट जारी किया गया है. इसके लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है. आग को नियंत्रण में लाने के लिए 24 घंटे वन कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं. वनक्षेत्र अथवा व्याघ्र प्रकल्प की आग की जानकारी मिले, इसके लिए नासा सॅटेलाइट द्वारा वनविभाग को फायर अलर्ट दिया जाता है. वन्यजीवों को पानी के लिए भटकना न पड़े, इसके लिए वनक्षेत्र, व्याघ्र प्रकल्प में नैसर्गिक, कृत्रिम जलाशयों पर ध्यान है.
वन विभाग के लिए डेढ़ महीना धोखादायक
नासा का फायर अलर्ट यह वन विभाग के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहा है. लेकिन आगामी डेढ़ महीने जंगल क्षेत्र की आग को नियंत्रण ंमें लाना वनविभाग के लिए कसरत है. दरी में आग लगने पर वहां तक पहुंचने के लिए साधन सामग्री भी कम होने से समस्या निर्माण होती है. अप्रैल के आखिरी सप्ताह व मई माह में आग लगने की काफी संभावना रहती है. तेज धूप व जंगल की आग यह दोनों बातें वन्य वीजों के लिए धोकादायक साबित होने वाली है.