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मेलघाट, ताडोबा में आज रात वन्य प्राणियों की गणना

बुध्द पूर्णिमा के चंद्र प्रकाश में की जाती है गिनती

* राज्यभर के वन्य प्रेमी बनेंगे इस पल के साक्षी
* शेर, चिते, भालू, निलगाय समेत कई वन्य प्राणियों के होंगे दर्शन
अमरावती/ दि.16– दुनियाभर में विख्यात ताडोबा, अंधारी टायगर प्रोजेक्ट और मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट के चारों वन्यजीव विभाग अंतर्गत आज 16 मई बुध्द पूर्णिमा की रात चंद्र प्रकाश में वन्य प्राणियों की गणना करने के लिए विशेष तैयारी की गई है. कोरोना की वजह से दो वर्ष बाद होने जा रही प्राणी गणना के लिए महाराष्ट्र के कोने-कोने के वन्यजीव प्रेमी काफी उत्सूक है. ऑनलाइन बुकिंग भी फुल्ल हो चुकी है. इसके लिए नियमों का कडाई से पालन करते हुए वन्य प्रेमियों को शेर, चिते, भालू, निलगाय व अन्य वन्य पशु, पक्षियों के दर्शन का सुनहरा अवसर मिलेगा.
* 40 मचान तैयार की गई
ताडोबा-अंधारी टायगर प्रोजेक्ट के क्षेत्र संचालक जितेंद्र रामगावकर ने बताया कि, इस बार ताडोबा-अंधारी टायगर प्रोजेक्ट के घने जंगल में 40 मचान पर 80 लोगों के माध्यम से वन्य प्राणियों की गणना की जाएगी. इसके अलावा डॉक्टर, एम्बुलेंस आदि की व्यवस्था की गई है. गणना के लिए ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी. जिसके लिए कई लोगों ने बुकिंग की थी. वे फुल्ल हो चुकी है. ताडोबा के मचान पर्यटन वर्षभर शुरु रहता है, इसके कारण ताडोबा में आने वाले के लिए यह नया नहीं है. इस दिन विशेष चंद्र प्रकाश होने के कारण प्राणी स्पष्ट दिखाई देते हैै.
* मेलघाट में 466 पनघट पर मचान
शेर, भालू, दिवटे, सियार, लोमडी, तेंदुआ, निलगाय समेत अन्य पशु, पक्षियों के दर्शन वन्य प्रेमी को होंगे. यह गणना दर्ज करना पडेगा. टायगर प्रोजेक्ट के सिपना, गुगामल, अकोट, मेलघाट बफर, अकोला, पांढरकवडा ऐस 6 वन्यजीव विभाग में प्राकृतिक व कृत्रिम इस तरह 466 पनघट पर प्राणी गणना के लिए मचान तैयार किये गए. प्राणी गणना की पूरी तैयारी हो चुकी है. पनघट पर अन्य प्राणियों के दर्शन के लिए प्रकृति प्रेमी व स्वयंसेवी संस्था ने शुल्क भरकर आरक्षण कराया है. मुंबई, कोल्हापुर, नागपुर समेत मध्यप्रदेश से भी वन्य प्रेमियों ने अपना नाम दर्ज कराया है. इस समय नियमों का कडाई से पालन करना पडेगा.
* दो प्रगणक के साथ एक वन कर्मचारी
प्राणी गणना में शामिल होने वाले प्रगणक को 16 मई की सुबह ऑनलाइन बुकिंग के अनुसार नियुक्त किये गए स्थान पर खुद के खर्च से उपस्थित रहना पडेगा. एक या दो प्रगणक और एक वन्यकर्मचारी एक मचान पर बिठाए जायेंगे. उन्हें लिखित रिकॉर्ड दिया जाएगा. जिसमें पानी के स्त्रोत पर आगामी 24 घंटे में कितने वन्यप्राणी दिखे यह दर्ज करना पडेगा. प्रगणना समाप्त होने के बाद वन विभाग की एक जिप्सी हर मंच से स्वयंसेवक को अपने साथ लेगी. नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कडी कार्रवाई की जाएगी, ऐसी चेतावनी व्यवस्थापन व्दारा दी गई है.
* 424 प्रकृति प्रेमी व 58 स्वयंसेवी संस्था का समावेश
मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट की क्षेत्र संचालक ज्योती बैनर्जी, सिपना की उपवन संरक्षक दिव्या भारती, गुगामल के उपवन संरक्षक सुमंत सोलंखे, अकोट के उपवन संरक्षक नवकिशोर रेड्डी, अकोला के विभागीय वन अधिकारी निमजे व पांढरकवडे, विभागीय वन अधिकारी किरण जगताप के मार्गदर्शन में आज रात प्राणी गणना की जएगी. इस वर्ष 424 प्रकृति प्रेमी और 58 स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधियों ने भाग लिया है. बोर्डिंग पाँईंट से मचान तक वन विभाग के वाहन से पहुंचाने व वापस लाने की व्यवस्था की गई है.
* कई लोगों को मिली निराशा
ऑनलाइन तरीके से कई लोगों को इस गणना में भाग लेने का अवसर नहीं मिला, जिससे उन्हें निराशा मिली हेै. फिर भी अमरावती जिले समेत अकोला, औरंगाबाद, बैतुल, भंडारा, हैद्राबाद, जाफराबाद, मुंबई, पुणे, यवतमाल, किनवट, परभणी, नांदेड, नागपुर, वाशिम, वर्धा समेत राज्यभर के विभिन्न स्थानों से वन्य प्रेमियों ने इस गणना में भाग लिया है.

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