अमरावती/दि.17 – प्राकृतिक आपदा अथवा शिकारियों के निशाने में आने से बीते तीन वर्षों में बाघ व तेंदुए की मृत्यु हुई है. इसका वन्यजीव विभाग की ओर से ऑडिट शुरु हुआ है. जिसके तहत राज्य वन्यजीव विभाग ने साल 2018 से 2021 इन तीन वर्षों में मृत बाघ और तेंदुए की रिपोर्ट मांगी है. जिसे लेकर वन्यजीव, वन विभाग की टीम जानकारी इकट्ठा करने के लिए दौडभाग कर रही है.
बता दें कि विदर्भ में बाघ, तेंदुए की संख्या में इजाफा हो रहा है, लेकिन बीते 3-4 वर्षों से वन्यजीवों की मृत्यु की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है. बाघ, तेंदुए की मृत्यु से वन्यजीव विभाग हैरानी में है. इसलिए साल 2018-19, 2019-20 व 2020-21 इन तीन वर्षों का बाघ, तेंदूए मृत्यु के कारणों को ढुंढा जा रहा है. राज्य के वनबल प्रमुख पी साईप्रसाद ने हाल ही में कुछ दिनों पहले वन विभाग के 11 वनवृत्त और वन्यजीव विभाग के 5 विभाग प्रमुखों से ऑनलाइन पध्दति से संवाद साधकर बाघ, तेंदूए के मृत्यु के कारणों और उसके पीछे की भूमिका की रिपोर्ट मंगवाई है. बीते कुछ दिनों से वन विभाग इसकी ही तैयारी कर रही है. बाघ तेंदुए के मृत्यु के कारणों को बतलाते समय वस्तुनिष्ठ रिपोर्ट देना अनिवार्य है. छिपाने का प्रयास होने पर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होगी. बाघ, तेंदुए का दुर्घटना या फिर अचानक मृत्यु होने पर वैसे सबूत देने पडेंगे. वहीं शिकार होने पर आरोपी, अपराध के स्वरुप, सामग्री जब्त, चमडा आदि की जानकारी देनी पडेगी.