अमरावती

शिक्षकों की क्षमता जांच का करेगें बहिष्कार

आदिवासी विकास मंत्रालय व विभाग कर रहा शिक्षकों के साथ मजाक

पत्रपरिषद आदिवासी विकास विभाग कर्मचारी संगठन ने दी जानकारी
अमरावती-दि.11– आनेवाले 17 सितंबर से आदिवासी शासकीय व अनुदानित आश्रम शाला के शिक्षकों की क्षमता का मापन करने हेतु आदिवासी विकास मंत्रालय के आदेश पर आदिवासी विकास विभाग व्दारा जांच परिक्षण किया जाएगा. जिसका बहिष्कार सभी आदिवासी आश्रम शाला में कार्यरत शिक्षक 17 सितंबर को करने की जानकारी पत्रपरिषद में आदिवासी विकास विभाग कर्मचारी संगठन व उससे जुड़े अन्य संगठनों व्दारा दी गयी.
सोमवार को हुए पत्र परिषद में जानकारी देते हुए संगठन राज्याध्यक्ष संतोष राऊत ने बताया कि राज्य सरकार के आदिवासी विकास मंत्रालय के आदेश पर आदिवासी विकास विभाग की ओर से 17 सितंबर से सभी आश्रमशालाओं व आदिवासी शालाओं में पढाने वाले शिक्षकों की क्षमता की जांच ली जा रही है. वही सभी आदिवासी विद्यालयों में सुबह 10 से 12 बजे शालाएं प्रारंभ होती थी. किंतु अब शालाओं का समय बदल कर सुबह 8.45 बजे किया जा रहा है. पत्रपरिषद में कहा गया कि जब से आदिवासी मंत्री विजय कुमार गवित ने पद संभाला है तब तब वे शालाओं का समय बदलते रहते है. उसी तरह 10वीं 12वीं के परीक्षा परिणाम के अनुसार ही शिक्षकों को वेतन वृध्दी के निर्णय से भी शिक्षकों में दहशत निर्माण हो रही है. सरकार व्दारा अनुदानित आश्रम शालाओं में अतिरिक्त कर्मचारी का काम नहीं और वेतन भी नहीं यह निर्णय से भी शिक्षकों व कर्मचारियों में रोष नजर आ रहा है. जहां कई आश्रम शालाओं में मुलभुत सुविधाएं उपलब्ध कराई नहीं जा रही, स्वच्छता गृह नहीं. शिक्षकों को रुकने के लिए रुम नहीं रहने से शिक्षकों को कक्षाओं में रुक कर रात बितानी पड़ती है. ऐसी समस्याओं को नजर अंदाज कर सिर्फ शिक्षकों की योग्यता पर सवाल उठाते हुए जांच करना यह शिक्षकों का अपमान करने जैसा है. इसका विरोध करते हुए 17 तारीख को होने वाली जांच का आदिवासी विकास विभाग कर्मचारी संगठन तथा संगठन से जुड़े अन्य संगठन के सभी पदाधिकारी व कार्यकर्ता बहिष्कार करेगें. वही 2 अक्टुबर को संगठन की ओर से नाशिक में एक दिवसीय अन्न त्याग आंदोलन कर निकाले गए आदेश का बहिष्कार करेगें. पत्र परिषद में संतोष राऊत, साहेबराव मोहोड़, सचिन खंडारे, टी.आर अडबलवार, राजीव उगे, रिजवान काजी, सुभाष राठोड, सुनिल पाझारे, अनिल परमने, प्रशांत मेश्राम, यशपाल जोंधले, भिमराव खाडे, प्रभारकर मुरकुटे, संजय देशमुख, धनराज डोंगरदिवे, एन.बी देशकर आदि उपस्थित थे.

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