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नये व पुराने निष्ठावानों को जोडकर पार्टी को दिलाएंगे गत वैभव

राकांपा (शरद पवार) के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष प्रदीप राउत का संकल्प

* दैनिक अमरावती मंडल से की विशेष बातचीत
अमरावती/दि.14 – यद्यपि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी आज दो गुटों में विभाजीत हो गई है. लेकिन इसके बावजूद पार्टी के सभी निष्ठावान लोग आज भी पार्टी के सर्वेसर्वा व संस्थापक शरद पवार के साथ ही बने हुए है. जिले के इक्का-दुक्का पदाधिकारियों को छोडकर कोई भी कार्यकर्ता दूसरे गुट में शामिल नहीं हुआ है. ऐसे में शरद पवार के विचारों को मानने वाले सभी पुराने निष्ठावानों को एकजुट करने के साथ ही नये कार्यकर्ताओं को तैयार करते हुए अमरावती जिले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर पुराना वैभव दिलवाने का काम किया जाएगा. इस आशय का संकल्प राष्ट्रवादी कांग्रेस शरदचंद्र पवार पार्टी के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष प्रदीप राउत द्वारा किया गया.
शरद पवार गुट वाली राकांपा के जिलाध्यक्ष नियुक्त होने के उपरान्त दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए प्रदीप राउत ने कहा कि, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना होने के बाद वे अमरावती जिले से पहले कार्यकर्ता के तौर पर शरद पवार के साथ खडे हुए थे और 26 मई 1999 को अपने पास कोई पद नहीं रहने के बावजूद उन्होंने राजीव सेना व शरद पवार विचार मंच की स्थापना करते हुए पूरे जिले का दौरा किया था. इसके बाद शरद पवार के विचारों से जुडाव रखने वाले जिले के नेता राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल होना शुरु हुए. पार्टी की स्थापना होते ही आम चुनाव की घोषणा हो गई थी. पश्चात 26 जून 1999 को पहला युवक सम्मेलन आयोजित किया गया था.
इस साक्षात्कार में प्रदीप राउत ने यह भी बताया कि, उस समय कोई राजनीतिक सहारा नहीं रहने के बावजूद भी उन्होंने अमरावती में पार्टी की स्थापना के लिए भरपूर मेहनत की और साइकिल पर बैठकर जिले के एक-एक कोने तक पहुंचे. इसकी बदौलत जिले में कार्यकर्ताओं की फौज तैयार हुई और देखते ही देखते जिले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का प्रभाव बढा. प्रदीप राउत के मुताबिक पार्टी के लिए अच्छे व बुरे दिनों में भी निष्ठा को बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण होता है और उनकी इसी निष्ठा को देखते हुए पार्टी ने उन्हें जिलाध्यक्ष का पद सौंपा है. ऐसे में वे निश्चित तौर पर अपने पद और अपनी पार्टी के साथ पूरी तरह से प्रामाणिक रहते हुए जिले में एक बार फिर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को गत वैभव प्रदान करेंगे. साथ ही पार्टी प्रमुख शरद पवार हमेशा ही अपने पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को कानमंत्र देते है. उसी कानमंत्र का अब अमरावती जिले में प्रयोग किया जाएगा. राउत के मुताबिक जिले में राष्ट्रवादी कांग्रेस के कई कार्यकर्ता आज भी शरद पवार के विचारों से जुडे हुए है. किंतु इसी कारणवश पार्टी में सक्रिय नहीं है. ऐसे सभी लोगों को एक बार फिर पार्टी के मुख्य प्रवाह में लाना होगा. जिसके लिए पूरी तरह से एकजुट होकर काम किया जाएगा, ताकि अमरावती जिले में कांग्रेस पार्टी को सबसे अव्वल राजनीति बल बनाया जा सके.

* आगे के लिए एक्शन प्लान तैयार
राकांपा के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष प्रदीप राउत के मुताबिक पार्टी ने निश्चित रुप से उन्हें आगामी लोकसभा व विधानसभा एवं स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव को देखते हुए जवाबदारी दी है और यह जबाबदारी बेहद चुनौतिपूर्ण भी है. ऐसे में पूरी ताकत के साथ काम करने की जरुरत पडेगी. इस हेतु नये व पुराने कार्यकर्ताओं को एकजूट करते हुए उनकी संयुक्त बैठकें ली जाएगी. साथ ही केवल राजनीतिक घराने शाही की विरासत रहने वालों को ही पार्टी में पद नहीं दिया जाएगा, बल्कि जो कार्यकर्ता जमीनीस्तर पर जनता से जुडाव रखेंगे, ऐसे सभी कार्यकर्ताओं को पार्टी में पद एवं काम करने का अवसर प्रदान किया जाएगा. इसके अलावा आने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक गांव में शाखा स्थापना के साथ ही जमीनीस्तर पर प्रत्यक्ष काम करने का नियोजन किया गया है.

* बिना सिफारिश मिला जिलाध्यक्ष का पद
इस बातचीत के दौरान प्रदीप राउत ने यह भी बताया कि, जिलाध्यक्ष पद के लिए उन्हें कोविड काल के दौरान ही ऑफर मिली थी और तब उन्हें जिले के स्थानीय नेताओं से सिफारिश लाने हेतु कहा गया था. लेकिन उन्होंने यह कहते हुए सिफारिश लाने से इंकार कर दिया था कि, यदि सिफारिश के दम पर पद मिल रहा है, तो उन्हें ऐसा पद नहीं चाहिए. जिसके चलते उस वक्त वह अवसर उनके साथ ही चला गया. वहीं विगत दिनों जब एक बार फिर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को जिले में मजबूती देने हेतु जिलाध्यक्ष बदलने की गतिविधियां शुरु हुई, तो इस बार 5 पदाधिकारियों के नाम चर्चा में चल रहे थे और इस बार भी कुछ नेताओं ने सिफारिश लाने हेतु कहा था. जिस पर पिछली बार की तरह इंकार करते हुए उन्होंने पार्टी के सामने स्पष्ट भूमिका रखी थी. सिफारिश नहीं रहने वालों को पार्टी ने मौका देना चाहिए, ताकि जिनके पीछे कोई राजनीतिक ताकत नहीं है, उन्हें भी पार्टी में काम करने का मौका मिले. उनकी इस भूमिका को पार्टी नेतृत्व का समर्थन मिला और पार्टी नेतृत्व ने निष्ठावान कार्यकर्ताओं का विचार करते हुए अन्य इच्छूकों को परे कर उन्हें जिलाध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया. जिसके चलते जिले के इतिहास में बिना सिफारिश रहने वाला पहला जिलाध्यक्ष बनने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ.

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