अमरावती

बाल मजदूरी की अनिष्ट प्रथा को जड़ से नष्ट करेंगे-बच्चू कडू

बाल मजदूरी मुक्त महाराष्ट्र की संकल्पना में योगदान देने का आवाहन किया

अमरावती/दि.14 – हंसने-खेलने, शिक्षा ग्रहण करने के दिनों में बच्चों का बचपन छीनकर उन्हें बाल मजदूर बनाना कानून अपराध है. किसी भी बच्चे पर परिस्थिति के कारण बाल मजदूरी की नौबत न आए, इसके लिए बाल मजदूरी की अनिष्ट प्रथा को जड से नष्ट करने के लिए ‘बाल मजदूर मुक्त महाराष्ट्र’ की संकल्पना में योगदान देेने का आवाहन कामगार राज्यमंत्री बच्चू कडू ने किया है. बाल मजदूर विभाग द्वारा शनिवार को विश्व बाल मजदूर प्रथा नष्ट करने जनजागृति कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर वे अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
राज्यमंत्री कडू ने कहा कि आर्थिक तंगी के कारण गरीब परिवार के बच्चों को कम उम्र में मजदूरी करनी पडती है. ऐसे बच्चों को काम पर रखने हर व्यक्ति को इनकार करना चाहिए. जरूरतमंद बच्चों को समय पर सहायता करनी चाहिए. कोई भी बच्चा पारिवारिक परिस्थिति से जुझते हुए मजदूरी हेतु प्रेरित न हो. यह प्रयास करने की आवश्यकता है. ऐसे बच्चों के प्रति संवेदनशीलता रखते हुए उन्हें सहायता करने आगे आए.

कानून पर तत्काल अमल करें- राज्यमंंत्री ने कहा कि संवैधानिक रूप से बालमजदूरी को रोकने कई कानून बनाए गये है. जिन पर कडाई से अमल होना चाहिए. कार्यालय, उद्योग, व्यवसाय आदि स्थानों की जांच करें. जिन प्रतिष्ठानों में बाल मजदूर पाए जाते है. उनके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कारवाई करे. कामगार आयुक्त कार्यालय की ओर से राज्य मेें पिछले वर्ष 155 स्थानों प विशेष अभियान चलाया गया. जहां से 637 बाल मजदूरों को मुक्त किया गया. इस प्रकार की छापामार कार्रवाई निरंतर जारी रहे. बाल मजदूरी को बढावा देनेवालो के खिलाफ शिकायत के लिए पेंसिल पोर्टल क्रियान्वित है. इस पोर्टल के जरिए नागरिक शिकायत कर सकते है.

कानून व्यवस्था- बाल व किशोर कामगार अधिनियम 1986 के अनुसार 14 साल से कम आयु के बच्चों से मजदूरी कराना गैर कानूनी है. 14 से 18 साल तक के किशोर किशोरियों को जानलेवा व्यवसाय में काम पर रखना फौजदारी की श्रेणी में आता है. फौजदारी कानून के तहत संबंधितों को 6 माह से 2 साल तक जेल, 20 से 50 हजार रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजा सुनाई जा सकती है. अपराध की पुनरावृत्ति होने पर कम से कम 1 से 3 साल तक की सजा सुनाई जा सकती है.

प्रत्येक विभाग के अधिकारी कर्मचारियों का सहभाग जरूरी

महाराष्ट्र नागरी सेवा नियम 1979 की धारा 27 अ के तहत किसी भी सरकारी कर्मचारी अथवा उनके परिवार द्वारा घरेलू कामकाज के लिए 14 साल के कम आयु के बच्चों को नौकरी पर रखना गैर कानूनी है. उस मामले में व्यक्ति को सजा भी हो सकती है. किसी भी आस्थापना में बाल मजदूर नजर आने पर संबंधित अधिकारी व कर्मचारी इसकी जानकारी कामगार विभाग व पुलिस विभाग को देनी चाहिए. ताकि उस बाल मजदूरी करनेवाले बच्चे का भविष्य सुधारा जा सके.

बालकामगार विरोधी सप्ताह मनाया

विश्व बाल मजदूर विरोध दिवस के माध्यम से समाज में बाल मजदूरी की प्रथा जड से नष्ट की जाए. इसके लिए राज्य में बाल मजदूर विरोधी सप्ताह मनाया जा रहा है. जिसके तहत कामगार आयुक्तालय ने ऑनलाईन पध्दति से बेवीनार का आयोजन किया है. जिसमें औद्योगिक संगठन, व्यापारी संगठन के साथ विविध संगठनाओं के पदाधिकारी शामिल हो रहे है.

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