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क्या डॉ. बोंडे होंगे भाजपा के राज्यसभा प्रत्याशी

राज्यसभा में विदर्भ की दो सीटें हो रही है रिक्त

* राकांपा के कोटेवाली एक सीट पर प्रफुल्ल पटेल का ‘रिपीट’ होना तय
* भाजपा के कोटेवाली दूसरी सीट को लेकर चल रही नामों की माथापच्ची
अमरावती/दि.13– राज्यसभा में महाराष्ट्र के हिस्से में रहनेवाली 6 सीटें रिक्त हो रही है. जिसमें से 2 सीटें विदर्भ क्षेत्र के हिस्से में है. इन दो सीटों पर इस वक्त तक राकांपा की ओर से प्रफुल्ल पटेल तथा भाजपा की ओर से डॉ. विकास महात्मे निर्वाचित थे और अब इन दोनों का कार्यकाल खत्म हो चुका है. ऐसे में अब सभी की निगाहें इस ओर लगी हुई है कि, चूंकि इस बार भी विदर्भ क्षेत्र के हिस्से मेें राज्यसभा की दो सीटें आयेगी. जिसमें से भाजपा व राकांपा के हिस्से में पहले की तरह एक-एक सीट रहेगी. ऐसे में इन दोनोें पार्टियों द्वारा इन सीटों पर किसे मौका दिया जाता है.
बता दें कि, नौ वर्ष पूर्व सन 2013 में धनगर आरक्षण का मुद्दा काफी जमकर उछला था. जिसे लेकर हुए आंदोलनों का डॉ. विकास महात्मे द्वारा नेतृत्व किया गया था. पश्चात केंद्र व राज्य में भाजपा की सत्ता आते ही डॉ. विकास महात्मे को पार्टी द्वारा राज्यसभा में अवसर दिया गया. जहां पर उन्होंने यद्यपि कई सवाल उपस्थित किए, परंतू वे धनगर आरक्षण का मसला हल नहीं करवा पाये. ऐसे में कार्यकाल के पूरे अनुभव को देखते हुए भाजपा द्वारा उन्हें दुबारा अवसर दिये जाने की संभावना बेहद कम है. हालांकि डॉ. महात्मे द्वारा अपने स्तर पर दोबारा अवसर प्राप्त करने के लिए पूरे प्रयास किये जा रहे है. वहीं इस सीट के लिए भाजपा के पूर्व सांसद अजय संचेती का नाम भी चर्चा में है. साथ ही साथ शिवसेना से भाजपा में आये और पिछली सरकार में अल्पकाल के लिए मंत्री रहे डॉ. अनिल बोंडे भी भाजपा के हिस्से में रहनेवाली राज्यसभा की एक सीट प्राप्त करने के खासे इच्छूक है. उल्लेखनीय है कि, डॉ. अनिल बोंडे विगत कुछ दिनों से अचानक ही विभिन्न मुद्दों को लेकर काफी मुखर व सक्रिय दिखाई दे रहे है और मीडिया सहित सोशल मीडिया की सूर्खियों में भी बने हुए है. यद्यपि हाल-फिलहाल स्थानीय स्वायत्त निकायों सहित विधान परिषद व विधान सभा के चुनाव नहीं होनेवाले, ऐसे में डॉ. बोंडे की सक्रियता सभी के लिए समझ से परे थी. परंतू अब यह समझ में आ रहा है कि, राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी के समक्ष अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए डॉ. बोंडे द्वारा विगत लंबे समय से अपने प्रयास शुरू कर दिये गये थे. ऐसे में भाजपा के कोटे में रहनेवाली राज्यसभा सीट पर विदर्भ क्षेत्र से किसकी दावेदारी रहेगी, इस ओर सभी की निगाहें लगी हुई है.
वहीं दूसरी ओर राजनीतिक क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक पिछली बार की तरह इस बार भी राकांपा के हिस्से में राज्यसभा के लिए महाराष्ट्र से एक सीट ही उपलब्ध है और इस एकमात्र सीट के लिए प्रफुल्ल पटेल के अलावा किसी अन्य नाम पर विचार होने की कोई संभावना नहीं है. क्योंकि सांसद प्रफुल्ल पटेल राकांपा में पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के बाद दूसरे सबसे बडे नेता माने जाते है और पार्टी ने सन 1999 से उन्हें लगातार संसद में विदर्भ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्रदान किया. साथ ही सन 2014 के चुनाव में मोदी लहर के चलते भाजपा प्रत्याशी के हाथों पराजीत हो जाने की वजह से पार्टी ने उन्हें तुरंत राज्यसभा में भेजा. दिल्ली में शरद पवार के बाद प्रफुल्ल पटेल को ही राकांपा के प्रभावशाली नेताओं मेें गिना जाता है. ऐसे में यद्यपि उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है, किंतु उनके स्थान पर इस सीट के लिए किसी अन्य नेता द्वारा दावा किये जाने की कोई उम्मीद नहीं है, क्योेंकि ऐसा दावा करने पर संबंधित नेता द्वारा बगावत किये जाने का संदेश पार्टी में जायेगा और कालांतर में इसके परिणाम भी दिखाई देंगे. ऐसे में राज्यसभा की सुप्त इच्छा रखनेवाले लोग भी इस समय अपनी भावनाओं को गुप्त रख रहे है.
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक भाजपा के स्तर पर शायद इस बात को लेकर भी विचार किया जा सकता है कि, विदर्भ क्षेत्र से अपनी सीट को कायम रखना है, या फिर स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं सहित आगामी चुनावों की दृष्टि से अन्य समीकरणों व पर्यायों पर विचार करना है. हालांकि इस बारे में पार्टी द्वारा कोई संकेत नहीं दिये गये है. लेकिन बदलते राजनीतिक हालात को देखते हुए ऐन समय पर कुछ भी हो सकता है. ऐसा खुद पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता ने बातचीत के दौरान बताया.

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