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क्या अमरावती में नवनीत राणा के दम पर खिलेगा कमल?

राणा दम्पति की भूमिका को लेकर भाजपा में फिलहाल संभ्रम

अमरावती/दि.29 – आगामी वर्ष 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है. जिसके लिए लगभग सभी राजनीतिक दल अभी से ही अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए है. जिनमें फिलहाल केंद्र की सत्ता संभाल रही भाजपा का भी समावेश है. परंतु अमरावती संसदीय क्षेत्र में भाजपा के सामने एक अलग ही पेंच पैदा हो गया है. क्योंकि जिले की सांसद नवनीत राणा और उनके पति व विधायक रवि राणा इस समय भाजपा के नेताओं के साथ जमकर नजदीकी साध रहे है. वहीं स्थानीय स्तर पर उनके भाजपा के स्थानीय नेताओं के साथ रिश्ते थोडे खटास भरे है. चूंकि सांसद नवनीत राणा द्बारा अपने पूरे कार्यकाल के दौरान संसद में केंद्र की मोदी सरकार का समर्थन करने की भूमिका अपनाई गई. वहीं उनके पति व विधायक रवि राणा राज्य में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बेहद करीबी है. ऐसे में अब इस बात को लेकर उत्सुकता देखी जा रही है कि, क्या आगामी लोकसभा चुनाव में सांसद नवनीत राणा द्बारा भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर कमल चुनाव चिन्ह से चुनाव लडा जाता है, या फिर उनकी दावेदारी को भाजपा द्बारा समर्थन दिया जाता है.
उल्लेखनीय है कि, भाजपा शिवसेना युती के दौरान वर्ष 1991 के चुनाव से लेकर अब तक भाजपा को अमरावती संसदीय क्षेत्र में कभी भी उम्मीदवार खडा करने का मौका नहीं मिला. बल्कि आज तक इस निर्वाचन क्षेत्र पर युती के तहत शिवसेना का ही वर्चस्व रहा. परंतु वर्ष 2019 के चुनाव में कांग्रेस व राकांपा के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडने वाली नवनीत राणा ने तत्कालीन सांसद व शिवसेना के कद्दावर नेता आनंदराव अडसूल को जबर्दस्त मोदी लहर रहने के बावजूद पराजीत किया. लेकिन नवनीत राणा को समर्थन देने वाली कांग्रेस व राकांपा के लिए यह आनंद बेहद क्षणिक रहा. क्योंकि सांसद निर्वाचित होते ही नवनीत राणा ने तुरंत ही केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्ववाली भाजपा सरकार को समर्थन दे दिया था.
ज्ञात रहे कि, सांसद नवनीत राणा तथा उनके पति व विधायक रवि राणा की स्वतंत्र तौर पर युवा स्वाभिमान पार्टी भी है और राणा दम्पति भी अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहते है. लेकिन वर्ष 2019 से राणा दम्पति ने हिंदुत्व का मार्ग अपना लिया है. यूं तो अमूमन बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय विधायक निर्वाचित होने वाले रवि राणा हमेशा ही राज्य में सत्ता पक्ष के साथ चलते आए है. परंतु राज्य में जब महाविकास आघाडी की सरकार स्थापित हुई, तो रवि राणा ने सरकार विरोधी भूमिका अपनाई और वे तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस के साथ नजदीकी साधते दिखाई दिए. राज्य में कोविड वाली स्थिति को लेकर संभालने में महाविकास आघाडी सरकार को असफल बताते हुए सांसद नवनीत राणा ने सितंबर 2020 में महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी शासन लागू करने की मांग की थी. साथ ही आरोप लगाया था कि, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने घर में बैठकर राज्य का कामकाज चला रहे है. इसके बाद उद्धव ठाकरे पर निशाना साधने का एक भी मौका राणा दम्पति द्बारा छोडा नहीं गया. इसी बीच मुंबई में मातोश्री बंगले के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करने की घोषणा किए जाने के चलते राणा दम्पति को अप्रैल 2020 में जेल जाना पडा और उस समय पूरे देश की मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में राणा दम्पति सफल भी रहे. वहीं अब सांसद नवनीत राणा द्बारा पूरी ताकत के साथ आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरु कर दी गई है. हालांकि उन्होंने फिलहाल यह स्पष्ट नहीं किया है कि, वे किस पार्टी के चुनाव चिन्ह अथवा समर्थन पर चुनाव में उतरने वाली है.
उधर दूसरी ओर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले द्बारा अब तक 2 से 3 बार यह दावा किया जा चुका है कि, इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र में पहली बार कमल चुनावी चिन्ह दिखाई देगा और अमरावती में कमल खिलेंगा. साथ ही प्रदेशाध्यक्ष बावनकुले ने सांसद नवनीत राणा को अप्रत्यक्ष रुप से कमल चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडने की पेशकश भी दे डाली है. लेकिन राणा दम्पति द्बारा अपनी ओर से अभी अपने पत्ते नहीं खोले गए है. बल्कि नवनीत राणा ने हाल ही में यह कहा कि, उन्होंने अब तक एनडीए के साथ रहते हुए अपने स्तर पर गठबंधन का धर्म निभाया और अब एनडीए द्बारा गठबंधन धर्म निभाए जाने की बारी है. वहीं भाजपा की ओर से यह कहा जा रहा है कि, राणा दम्पति की युवा स्वाभिमान पार्टी एनडीए का घटक दल है और उनके बारे में भाजपा का संसदीय मंडल अंतिम निर्णय लेगा. ऐसे में स्थानीय स्तर पर युवा स्वाभिमान पार्टी व भाजपा इन दोनों ही दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं में काफी हद तक संभ्रम वाला माहौल है.
जहां एक ओर भाजपा नेताओं द्बारा यह प्रयास किया जा रहा है कि, नवनीत राणा को भाजपा के कमल चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडने हेतु मना लिया जाए. वहीं सांसद नवनीत राणा ने फिलहाल इस विषय पर प्रतिक्रिया देना टाल दिया है. लेकिन उन्हें योग्य समय पर योग्य निर्णय तो लेना ही पडेगा. उधर सांसद नवनीत राणा को भाजपा के पाले में करते समय भाजपा को उनके पति व विधायक रवि राणा का भी विचार करना पडेगा. क्योंकि विधायक रवि राणा के निर्वाचन क्षेत्र बडनेरा में भी राणा दम्पति से खुन्नस रखने वाले और चुनाव लडने के इच्छूक रहने वाले कई उम्मीदवार मैदान में है. उन्हें भी भाजपा को संभालना पडेगा.
ध्यान रखा जाना चाहिए कि, आगामी चुनाव के जरिए भाजपा को केंद्र में अधिक से अधिक सांसदों की जरुरत है. वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में शिंदे गुट वाली शिवसेना व अजित पवार गुट वाली राकांपा के साथ ही महायुती के अन्य घटक दलों का भी भाजपा को समाधान करना पडेगा. पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने हाल ही में जिले का दौरा कर भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रत्येक घर तक पहुंचने का आवाहन किया. इस समय यद्यपि जिले में भाजपा की संगठनात्मक शक्ति बढी हुई दिखाई दे रही है. परंतु विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा को केवल एक सीट पर समाधान मानना पडा था. वहीं अब आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा नेताओं द्बारा पार्टी को पूरी तरह से तैयार बताया जा रहा है. लेकिन अमरावती संसदीय क्षेत्र में भाजपा की ओर से उम्मीदवार कौन होगा. यह अब तक सामने नहीं आया है. यद्यपि भाजपा के लिए सुविधापूर्ण रहने वाली हिंदुत्व की राजनीति का प्रयोग करने का कौशल्य राणा दम्पति हासिल कर चुके है. लेकिन नवनीत राणा अपनी अगला चुनाव भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के रुप में कमल चुनाव चिन्ह पर लडती है, या वे एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में होगी और इस बार भाजपा द्बारा उनकी दावेदारी का समर्थन किया जाएगा. इस बात को लेकर अच्छी खासी उत्सुकता चल रही है.

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