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अमरावती को द्वेष की प्रयोगशाला नहीं बनने देंगे

पूर्व पालकमंत्री यशोमति ठाकुर व डॉ. सुनील देशमुख का कथन

* अमरावती व उदयपुर की घटनाओं को लेकर पत्रवार्ता में बोले
* भाजपा पर लगाया जातिगत द्वेष को बढावा देने का आरोप
अमरावती/दि.11– जब से देश में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्ववाली सरकार बनी है, तब से देश में जगह-जगह पर दो समुदायों के बीच नफरत को बढाने का काम किया जा रहा है. जिससे जातिय व धार्मिक तनाव एवं टकराववाली स्थिति बनी हुई है. इसमें भी विगत डेढ-दो वर्षों से अमरावती को एक तरह से हिंसा व नफरत की प्रयोगशाला बनाकर रखा गया है. जहां पर एक प्रयोग विगत नवंबर माह में किया गया था. वहीं दूसरा प्रयोग विगत माह 21 जून को किया गया. ऐसे ही प्रयोग विगत एक-डेढ वर्ष से पूरे महाराष्ट्र में किये जाते रहे, ताकि अब तक महाराष्ट्र की सत्ता में रही महाविकास आघाडी सरकार को अस्थिर किया जा सके. हमें सत्ता के रहने या नहीं रहने से कोई फर्क नहीं पडता, लेकिन हम अमरावती के सामाजिक सद्भाववाले माहोल को खत्म नहीं होने देंगे और अमरावती को किसी भी तरह की प्रयोगशाला नहीं बनने दिया जायेगा. इस आशय का प्रतिपादन पूर्व जिला पालकमंत्रीद्वय एड. यशोमति ठाकुर तथा डॉ. सुनील देशमुख द्वारा यहां बुलाई गई पत्रकार परिषद में किया गया.
शहर व जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के सभागार में बुलाई गई इस पत्रवार्ता में पूर्व पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने साफ शब्दों में आरोप लगाया कि, उदयपुर और अमरावती की घटनाओं में लिप्त आरोपियों के तार सीधे तौर पर भाजपा और भाजपा समर्थकों के साथ जुडते नजर आ रहे है. जहां एक ओर उदयपुर में हुए हत्याकांड का आरोपी मो. रियाज अत्तारी भाजपा का सदस्य पाया गया और यह भी साबित हो गया है कि, उसके उदयपुर में कई भाजपा नेताओं के साथ करीबी संबंध थे. वही दूसरी ओर अमरावती में घटित उमेश कोल्हे हत्याकांड का मुख्य आरोपी शेख इरफान भी भाजपा का समर्थन करनेवाले राणा दम्पति का करीबी निकला है. जिसका सीधा मतलब है कि, इन दोनोें हत्याओं के पीछे कहीं न कहीं भाजपा व उससे जुडे लोगों का कोई न कोई लिंक जरूर है. लेकिन अब इन लोगों द्वारा दूसरों पर उंगलियां उठाई जा रही है.
इस पत्रवार्ता में पूर्व पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने जम्मु कश्मीर, आसाम व मध्यप्रदेश में उजागर हुए आतंकी नेटवर्क के साथ भाजपा के कई पदाधिकारियों का कनेक्शन उजागर होने की ओर उदाहरण देते हुए कहा कि, इन तमाम घटनाओं को देखकर यह संदेह होना बेहद लाजमी है कि, कहीं ये तमाम घटनाएं पूर्व नियोजीत तो नहीं है. उन्होंने ऐसी तमाम घटनाओं को सामाजिक सौहार्दवाले वातावरण के लिए घातक बताते हुए कहा कि, अमरावती में ऐसी प्रवृत्तियों को कदापि सहन नहीं किया जायेगा. क्योंकि यहां के लोगबाग आपस में मिल-जुलकर रहने में भरोसा रखते है. इसके अलावा उन्होंने राणा दम्पति द्वारा हर बात में हनुमान चालीसा का पठन करने को लेकर तंज कसते हुए कहा कि, कुछ लोगों ने हनुमान चालीसा के पठन को मजाक बनाकर रख दिया है और ऐसे लोगों से ही तंग आकर उमेश कोल्हे के परिजनों ने हाथ जोडते हुए निवेदन किया कि, अब उन्हें अकेला छोड दिया जाये और उमेश कोल्हे की मौत का तमाशा न बनाया जाये.
इसके अलावा इस पत्रवार्ता में पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, भाजपा द्वारा वोटों का जातिगत धृ्रवीकरण करने हेतु हमेशा ही हिंसा और नफरतवाली राजनीति का सहारा लिया जाता है. अमरावती में उमेश कोल्हे की हत्या 21 जून को हुई थी, लेकिन तब भाजपा द्वारा इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई. वहीं जैसे ही हत्या की वजह सामने आयी, वैसे ही इसे राजनीतिक तौर पर भुनाने के लिए 4 जुलाई को यानी उमेश कोल्हे की हत्या होने के करीब 14 दिन बाद श्रध्दांजलि सभा बुलाई गई. तब तक तो उमेश कोल्हे की तेरहवी भी हो चुकी थी. इस मामले को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जिस तरह आनन-फानन में एनआईए जैसी केंद्रीय जांच एजेंसी को अमरावती भेजा गया, उसे लेकर भी डॉ. सुनील देशमुख का कहना रहा कि, एनआईए, सीबीआई व ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां इन दिनों किस तरह से कार्य कर रही है, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है. डॉ. देशमुख के मुताबिक अमरावती पुलिस ने इस मामले में बेहतरीन तरीके से जांच की और एनआईए के आने से पहले ही मामले में लिप्त आरोपियों को गिरफ्तार भी किया. साथ ही एनआईए के पास जांच का जिम्मा जाने से पहले ही अमरावती पुलिस ने इस हत्याकांड की वजह भी सबके सामने रख दी थी. ऐसे में साफ है कि, अमरावती शहर पुलिस पर इस मामले की जांच को लेकर किसी तरह का कोई राजनीतिक दबाव नहीं था. अत: इस संदर्भ में कुछ लोगों द्वारा पूर्व पालकमंत्री यशोमति ठाकुर को लेकर लगाये जा रहे आरोपों में किसी तरह का कोई दम नहीं है.
इस पत्रवार्ता में पूर्व पालकमंत्रीद्वय यशोमति ठाकुर व डॉ. सुनील देशमुख के साथ ही विधायक बलवंत वानखडे, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष व जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष बबलू देशमुख, शहराध्यक्ष तथा मनपा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष बबलू शेखावत, पूर्व महापौर विलास इंगोले, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के अध्यक्ष सुधाकर भारसाकले, संचालक हरिभाउ मोहोड, पूर्व जिप सदस्य प्रकाश कालबांडे, पूर्व विधायक प्रा. वीरेंद्र जगताप तथा कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता एड. दिलीप एडतकर उपस्थित थे.

सांसद नवनीत राणा को उदयपुर की घटना एक दिन पहले कैसे पता थी?
इस पत्रवार्ता में पूर्व पालकमंत्री यशोमति ठाकुर व डॉ. सुनील देशमुख ने जिले की सांसद नवनीत राणा की ओर से विगत 27 जून को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नाम भेजे गये पत्र को प्रस्तुत करते हुए बताया कि, 27 जून को इस पत्र में सांसद नवनीत राणा ने अमरावती में हुई घटना की तुलना उदयपुर में हुए हत्याकांड के साथ की है. जबकि हकीकत यह है कि, उदयपुर में हत्या की वारदात 28 जून को घटित हुई. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, 28 जून को घटित होनेवाली घटना की जानकारी घटना घटित होने से एक दिन पहले ही सांसद नवनीत राणा को कैसे थी? इस बात की सघन जांच होनी चाहिए.

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