* महेश भवन में महाराष्ट्र मंदिर महासंघ का अधिवेशन
अमरावती/दि. 20– महाराष्ट्र मंदिर महासंघ , श्री देवस्थान सेवा समिती विदर्भ, श्री पिंगला देवी संस्थान, श्री नागेश्वर महादेव संस्थान, श्री वेंकटेश बालाजी मंदिर ट्रस्ट, और हिंदू जनजागृती समिती के संयुक्त तत्वावधान में महेश भवन में आयोजित महाराष्ट्र मंदिर – न्यास अधिवेशन (अमरावती-विदर्भ प्रांत) में 550 से अधिक मंदिर प्रतिनिधियों की उपस्थिति में उत्साह से प्रारंभ हुआ. श्री महाकाली शक्तीपीठा के पीठाधीश्वर श्री शक्ती महाराज, सनातन संस्था के पू. अशोक पात्रीकर, हिंदू जनजागृती समिती के हिंदू जन जागृति समिति व मंदिर महासंघ के समन्वयक सुनील घनवट, उपाध्याय आम्नाय महंत आचार्य यक्षदेव बाबा शास्त्री, अध्यक्ष यक्ष देव मठ, रिद्धपूर, सुरेश कौदरे सचिव भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग देवस्थान, अधिवक्ता आर.बी.अटल सचिव व्यंकटेश बालाजी ट्रस्ट के हस्ते दीप प्रज्वलन कर अधिवेशन प्रारंभ हुआ.
* सरकार मुक्त करने तक संघर्ष
महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के कार्यात्मक सुनील घनवट ने कहा कि मंदिर याी धर्म की मूलभूत आधारशिला है. देवालय यह संबोधन तक सीमित नहीं है. वह देवालय है, विद्यालय है, मंदिर है, न्यायालय है और मंदिर हे औषधालय भी है. इतना बडा महत्त्व मंदिरों का है. पहले किसी भी समस्या से मंदिर अकेले संघर्ष करता था. परंतु 2017 में मंदिरों और पुजारियों का संगठन का संकल्प किया गया. 2023 तक 2500 से अधिक मंदिर महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के माध्यम से संगठित हुए. मंदिर सरकार मुक्त होकर भक्तों के ताबे में लाने तक संघर्ष शुरु रहेगा.
* धर्म शिक्षा बंद होने का दुष्परिणाम
हमारे मंदिर यह प्राचीन काल से संस्कृति, समाज और अर्थ के केंद्र थे. धर्म की शिक्षा देते. मंदिरों से वेद पाठशालाएं संचालित होती. जिससे भारती संस्कृति के जतन और विकास में योगदान रहता. मंदिरों से धर्मशिक्षा बंद होने के कारण आज हिंदुओं की अवस्था विकट हो गई है.
* दायित्व पूर्ण करें, कमी नहीं होगी
अमलनेर के मंगल ग्रह मंदिर के अध्यक्ष दिगंबर महाले ने कहा कि विश्वस्त अपने दायित्व प्रामाणिकता से निभाए तो ईश्वर उन्हें किसी चीज की कमी नहीं होने देगा. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग देवस्थान के सचिव एड. सुरेश कौदरे ने मंदिरों के जीर्णोद्धार, कर्तव्य, सरकार की अ, ब और क श्रेणी हेतु किए जाते प्रयत्नों पर जानकारी दी.
* सरकार के कारण भ्रष्टाचार
हिंदू जनजागृति समिति के विदर्भ संयोजक श्रीकांत पिसोलकर ने आरोप लगाया कि सरकारीकरण की वजह से मंदिर भ्रष्टाचार के अड्डे बने. आज एक भी मस्जिद या चर्च का सरकारीकरण नहीं हुआ है. केवल मंदिरों के सरकारीकरण पर जोर रहा है. मंदिरों के पैसे और संपत्ति तथा जमीन पर नजरें है. उन्होंने आरोप लगाया कि तुलजापुर भवानी मंदिर में 110 किलो सोना और 220 किलो चांदी पिघलाने का षडयंत्र रचा था. पंढरपुर देवस्थान समिति के पास 1250 एकड जमीन का रिकॉर्ड भी न था. 30 लाख रुपए देवनिधि बोरों में भरकर रखी थी.
* जमीन वापस दिलाई
एड. अनूप जायस्वाल ने कहा कि मंदिरों की समस्याओं का अध्यय करने पर समय-समय पर दानवीरों व्दारा जमीन दान की गई थी. कुल कायदा अस्तित्व में रहने से यह जमीनें अटक गई थी. कई मंदिरों की आमदनी बंद हो गई थी. देवस्थान सेवा समिति स्थापित कर अनेक मंदिरों को उनकी जमीन लौटाने का काम किया गया. इस समय संत लहानुजी महाराज संस्थान टाकरखेडा के अध्यक्ष अशोक पावडे, मंदिर व मूर्ति विषयक अध्ययनकर्ता वसंत सोनपराते, नागेश्वर महादेव संस्थान के कैलाश पनपालिया, पिंगलादेवी संस्थान के आशीष मारुडकर एवं विनित पाखोडे, संयोजक नीलेश टवलारे और अन्य मान्यवर उपस्थित थे.
* मंदिरों के कार्य समाज तक पहुंचाना आवश्यक
अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल ने समयोचित एवं प्रभावी संबोधन किया. उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में मीडिया को अन्नय साधारण महत्व है. सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया सभी का अपना स्थान है. मंदिरों को हिंदू धर्म के प्रचार केंद्र बनाते समय उनके कार्य समाज तक पहुंचना अत्यंत आवश्यक है. इसके लिए मीडिया प्रबंधन की आवश्यकता है. प्रत्येक मंदिर से अपने कार्यो, उपक्रमों की जानकारी वर्ष में कम से कम एक पत्रकार परिषद लेकर समाज के सामने देने की बात अग्रवाल ने कही. उन्होंने कहा कि प्रत्येक मंदिर का एक प्रवक्ता रहे तो क्या ही बेहतर. उन्होंने मुंबई विद्यापीठ में शुरु मंदिर प्रबंधन विषय के अभ्यासक्रम का लाभ लेने का आवाहन भी किया.