क्या सचमुच कांग्रेस से चुनाव नहीं लडेगी सुलभा खोडके!
बलवंत वानखडे के नामांकन रैली में थी चर्चा
* सीटींग एमएलए के नहीं आने से भौहें चढी
अमरावती/दि. 30 – आजादी के पूर्व और आजादी के बाद के 75 वर्ष ऐसे 150 वर्ष पुरानी कांग्रेस का देश में सबसे खराब दौर चल रहा है. इस चुनाव से तय होगा कि, कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर अस्तित्व कायम रख पाती है या नहीं. देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बनी रह पाती है अथवा नहीं. इसलिए कांग्रेस की द़ृष्टि से एक-एक लोकसभा सीट महत्वपूर्ण है. इसमें भी वे सीटे और ज्यादा महत्व की है. जहां कांग्रेस का भाजपा से सीधा मुकाबला है. अमरावती भी ऐसी सीटो में शामिल है. यहां अब तक की घोषणा और राजनीतिक समिकरणों के अनुसार भाजपा, कांग्रेस तथा प्रहार ने त्रिकोणीय टक्कर के आसार है. अभी कह नहीं सकते कि, चुनाव कौन जीतेगा?
ऐसी परिस्थिति में आज कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार बलवंत वानखडे के नामांकन भरते समय लोकसभा क्षेत्र में मुख्यालय अमरावती शहर की विधायक सुलभा खोडके का न दिखाई देना आश्चर्य का विषय रहा. कई कांग्रेसियों ने आपस में यह चर्चा भी की. हालांकि कुछ माह से कांग्रेस तथा सुलभाताई के बीच रस्साकशी चल रही है. परंतु आज पार्टी प्रत्याशी का लोकसभा चुनाव का फॉर्म भरते समय सुलभाताई का न दिखाई देना लगभग तय कर चुका है कि, आनेवाले विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस की टिकट पर नहीं लडेगी.
क्योंकी अमरावती विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम और एससी-एसटी वोटर्स की संख्या के कारण यह महत्वपूर्ण है. पार्टी प्रत्याशी वानखडे के लिए अमरावती क्षेत्र में लीड लेना महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यहां कांग्रेस नेता विलास इंगोले, बबलू शेखावत, सुनील देशमुख तो बलवंत के साथ दिखाई दे रहे है. सीटींग एमएलए का न दिखाई देना चर्चा का विषय बना है. गत एक माह की पूरी चुनाव प्रक्रिया में सुलभा खोडके का नदारद रहना घोषित कर चुका है कि, आनेवाले विधानसभा चुनाव में संजय खोडके क्या करेंगे?
आज नामांकन रैली में कांग्रेस का हर छोटा-बडा नेता यहीं बोल रहा था कि, शायद सुलभा खोडके कांग्रेस की टिकट पर चुनाव नहीं लडेगी. वे कांग्रेस की और पार्टी उनसे खुल्लमखुल्ला बगावत कर रही है.
इस चुनाव में संजय खोडके क्या करेंगे? यह सवाल कई लोगों के जेहन में उठा है. उनके पास जो मुस्लिम मतदाता है, वे किसी के भी कहने से कांग्रेस से अलग होकर वोटींग नहीं कर सकते. गैर मुस्लिम समर्थक वोटर्स को खोडके किस ओर मोडते है, यह देखना दिलचस्प रहेगा. दबे स्वर में खोडके भी चाह रहे थे कि, कांग्रेस से हिंदू-दलित को उम्मीदवारी दी जाए. उन्होंने कुछ कांग्रेस नेताओं से बात की थी. कांग्रेस ने बलवंत वानखडे को टिकट दी. राजनीति ने अलग करवट ले ली है. अब एक ओर तगडा हिंदू-दलित उम्मीदवार मैदान में उतर गया है. दिनेश बूब पिछले लोकसभा चुनाव के समय से संजय खोडके के चहेते रहे हैं. 2019 में खोडके के ही बूब को शरद पवार तक लेकर गए थे. कांग्रेस-राकांपा का टिकट दिलाना चाहते थे. विधानसभा चुनाव में दिनेश ने अंदरबट्टे खोडके का काम किया था. ऐसे में क्या अब यदि खोडके बलवंत को नहीं चाहते तो दिनेश का साथ देंगे. क्योंकी जिस तरह बच्चू-राणा घोर समर्थक हैं, उसी तरह राणा-खोडके की शोले फिल्म के गब्बर-ठाकुर के किरदार रहे हैं. अमरावती विधानसभा की राजनीति को ध्यान में रखकर लोकसभा चुनाव में काम होगा, इस तरह के संकेत दोनों ओर से मिल रहे हैं.