निर्वाचन आयोग का निर्णय मान्य करोगे अथवा नहीं?
प्रभाग रचना को लेकर हाईकोर्ट ने जाननी चाही राज्य सरकार की भूमिका
* 25 मई तक सरकार को पेश करना होगा अपना जवाब
मुंबई/दि.21- राज्य में स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव हेतु नई प्रभाग रचना को अंतिम करने संदर्भ में निर्वाचन आयोग द्वारा लिये गये निर्णय को ही कायम रखा जायेगा अथवा इसे लेकर नये सिरे से आपत्ति व आक्षेप मंगाये जायेंगे, इस आशय का सवाल हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार से पूछा गया है. साथ ही इस मामले में 25 मई तक अपनी भूमिका स्पष्ट करने का भी आदेश दिया है.
उल्लेखनीय है कि, सर्वोच्च न्यायालय ने विगत 10 मई को जारी आदेश में राज्य की सभी महानगरपालिकाओं व जिला परिषदों सहित स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव करवाने का आदेश निर्वाचन आयोग को दिया है. जिसके अनुसार सरकारी राजपत्र में अंतिम प्रभाग रचना प्रकाशित करने का कार्यक्रम भी तय कर लिया गया. किंतु इसे पुणे के उज्वल केसकर व प्रवीण शिंदे सहित अन्य कुछ लोगों द्वारा उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है.
इसे लेकर दायर याचिका पर न्या. नितीन सांबरे व न्या. अनिल पानसरे की अवकाशकालीन खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. जिसके दौरान निर्वाचन आयोग द्वारा हाईकोर्ट को बताया गया कि, आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार निर्वाचन प्रक्रिया को शुरू किया है. वहीं याचिकाकर्ताओं का कहना रहा कि, उनका विरोध चुनाव करवाने को लेकर नहीं है, लेकिन आपत्ति व आक्षेप मंगाये बिना प्रभाग रचना को अंतिम करने की अधिसूचना निर्वाचन आयोग द्वारा जारी की गई है, जो पूरी तरह से गलत है.
ज्ञात रहे कि, राज्य निर्वाचन आयोग ने 28 जनवरी को प्रभाग रचना के संशोधित प्रारूप को मान्यता दी थी. जिसे 1 फरवरी को अधिकृत राजपत्र में प्रकाशित किया गया था. पश्चात निर्वाचन आयोग ने इस पर आपत्ति व आक्षेप मंगाते हुए सुनवाई हेतु प्राधिकृत अधिकारी की नियुक्ति भी की थी और इन अधिकारियों ने इन आपत्तियों व आक्षेपों पर सुनवाई करते हुए अपनी रिपोर्ट राज्य निर्वाचन आयोग को पेश की थी. याचिकाकर्ताओें द्वारा आरोप लगाया गया कि, राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है. अत: आयोग को यह रिपोर्ट सार्वजनिक करने हेतु आदेशित किया जाये.
याचिकाकर्ताओं के मुताबिक राज्य सरकार ने विगत 11 मार्च को महाराष्ट्र पालिका अधिनियम की धारा 5 (3) में संशोधन करते हुए प्रभाग रचना से संबंधित आयोग के अधिकार हटाकर अपने पास ले लिये है. साथ ही इस कानून की धारा 5 के तहत राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इससे पहले की गई प्रभाग रचना और आयोग के अधिकारों को भी रद्द कर दिया था. ऐसे में उसी प्रभाग रचना को अंतिम करने और उसके अनुसार चुनाव करवाने का अधिकार निर्वाचन आयोग के पास नहीं है.
दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद अदालत ने सरकार से जानना चाहा कि, महानगरपालिका के आगामी चुनाव हेतु आयोग की ओर से प्रभाग रचना को अंतिम करने के निर्णय को ही कायम रखा जायेगा, या फिर नये सिरे से आपत्ति व आक्षेप मंगाये जायेंगे, इसे लेकर सरकार अपनी भूमिका स्पष्ट करे और 25 मई तक इस संदर्भ में अदालत के समक्ष अपना जवाब पेश करें. ऐसे में अब सभी की निगाहे इस ओर लगी हुई है कि, आयोग द्वारा इस विषय को लेकर क्या भूमिका अपनायी जाती है.