अमरावती

विवाह के लिए कोई बेटी दोंगे क्या?

 राज्य समेत जिले में संख्या घटी

* जिले में हजार युवकों के पीछे केवल 940 युवतियां
* जनजागरण की आवश्यकता
अमरावती/दि.18– राज्य समेत जिले में भी युवतियों की जन्मदर में कमी आई है. राज्य में जन्मदर 940 से कम होकर 932 पर पहुंच गई है. जबकि जिले में वर्ष 2021-22 में जन्मदर 952 थी. लेकिन वर्ष 2022-23 में यह आंकडा कम होकर 940 पर पहुंच गया है. युवतियों के जन्मदर में दिनोंदिन हो रही कमी को ध्यान में रखते हुए भविष्य में युवकों को शादी के लिए युवती मिलने में दुविधा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. इस कारण युवतियों की जन्मदर बढाने के लिए प्रभावी जनजागरण की आवश्यकता है. वंश चलाने के लिए बेटा चाहिए, ऐसी सोच आज भी समाज में कायम है. दहेज प्रथा और अंधश्रद्धा के कारण आज भी अनेकों को बेटियां नहीं होनी चाहिए, ऐसा लगता है. युवक-युवतियों का भेदभाव आज भी ग्रामीण इलाकों समेत शहरी इलाकों में देखने मिलता है.
* राज्य में हजार युवकों के पीछे 932 युवतियां
राज्य में युवतियों के जन्मदर में गिरावट आई है. हजार युवकों के पीछे 940 जन्मदर थी. वह कम होकर अब हजार युवकों के पीछे 932 युवतियां है. इस कारण युवतियों का जन्मदर बढाने के लिए जनजागरण की आवश्यकता है.
* हजार के पीछे 12 से कमी
जिले में युवतियों के जन्मदर में वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 में जन्मदर में हजार के पीछे 12 से कमी आई है. क्योंकि 2021-22 में जन्मदर 952 थी. जबकि 2022-23 में यह संख्या 940 हुई है.
* जिले में स्थिति क्या?
जिले में वर्ष 2029-20 में हजार युवकों के पीछे 952 युवतियां थी. 2020-21 और 2021-22 में भी यही संख्या थी. लेकिन 2023 में अब युवतियों की जन्मदर का आंकडा 940 पर पहुंच गया है.
* गैर कानूनी लिंगनिदान बाबत जनजागरण
युवतियों का जन्मदर बढाने की आवश्यकता है. सोलापुर जिले के बार्शी गांव में गैर कानूनी गर्भपात करने वाला रैकेट हा पर्दाफाश हाल ही में किया गया है. जिले में फिलहाल इस तरह की घटना कहीं घटित नहीं हुई . फिर भी इस पर ध्यान रखना आवश्यक है.
* बेटा ही होने की मानसिकता बढी
वंश चलाने बेटा चाहिए, ऐसी सोच आज भी समाज में कायम है. दहेज प्रथा और अंधश्रद्धा के कारण आज भी अनेकों को बेटी नहीं चाहिए. युवक-युवतियों में होने वाले भेदभाव कुछ प्रमाण में समाज में अभी भी कायम है. समाज को इस मानसिकता से बाहर निकालना आवश्यक है.
* महिला समाजिक कार्यकर्ता
परिवार को वंश चलाने बेटा चाहिए, ऐसी सोच अब समाज से नष्ट हो रही है. पहले की तरह युवक-युवतियों में भेदभाव अब नहीं होता. अनेक परिवार अपनी बेटियों को बेटे की तरह ही रखते हैं. लेकिन कुछ समाज बंधुओं में अभी भी जनजागरण करने की आवश्यकता है.
– मयूराताई देशमुख,
राष्ट्रीय संगठक जिजाउ ब्रिगेड

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