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यजमान रोशन के साथ, समर्थन से बढी आगे

शहर की जसगायिका स्वरश्री का कहना

* प्रशंसकों ने दी स्वर मीरा की उपाधि
अमरावती/ दि. 5-महिला दिवस के मौके पर अमरावती मंडल ने शहर के विविध क्षेत्र की कामकाजी व कार्यकर्ता महिलाओं से चर्चा की. यह चर्चा छोटे- बडे रूप में पाठकों तक पहुंचाई जा रही है. इसी कडी में गत 7-8 वर्षों से अमरावती के आध्यात्मिक सांगितिक पटल पर तेजी से उभरी गायिका लीना रोशन कडू अर्थात स्वरश्री से वार्तालाप किया गया. उन्होंने बडी सादगी और सहजता से आरंभ में ही कह दिया कि प्रत्येक सफल व्यक्ति के पीछे किसी महिला का साथ सहयोग होने की उक्ति उनके मामले में सिध्द हुई है. वे आज धार्मिक सांगितिक आयोजनों में सहभागी है और सतत कार्यक्रम दर कार्यक्रम निखर रही है तो इसके पीछे उनके यजमान रोशन कडू का संपूर्ण समर्थन, सहकार्य है. उल्लेखनीय है कि रोशन कडू भी विद्यापीठ से संगीत विषय के पदवीधर है. स्वरश्री को भी संगीत विशारद के साथ ही विद्यापीठ की डिग्री प्राप्त है. उन्होंने इस बातचीत में अपनी विषम परिस्थिति में की गई यात्रा के बारे में बतलाया. आज अंबानगरी के अनेकानेक धार्मिक आयोजनों में मंच से भक्ति सरिता प्रवाहित करनेवाली स्वरश्री को मान्यवरों और प्रशंसकों ने ‘स्वर मीरा’ नाम दिया है. नाम को सार्थक करने का यथोचित प्रयत्न यह युवा कलाकार अपनी घर गृहस्थी सहेजते हुए कर रही है.
सगणे परिवार की सुपुत्री
स्वरश्री ने बताया कि उनका जन्म ग्राम सावलापुर में बालासाहब और चंचल सगणे के यहां अक्तूबर 1990 में हुआ. उनकी प्राथमिक शिक्षा सावलापुर की जिला परिषद और राधाकृष्णन शाला में हुई. पूर्णानगर में उच्च माध्यमिक शिक्षा प्राप्त कर शासकीय ज्ञान विज्ञान संस्था अमरावती से लीना कडू अर्थात स्वरश्री ने एम.ए. भारतीय शासकीय संगीत में किया. उन्होंने बताया कि लडकपन में जहां उनकी अध्यापिका माताजी चंचल सगणे ने उन्हें गीत, संगीत और संस्कारों की शिक्षा दी. वही थोडी बडी होने पर उन्हें प्रतिभा रोडे मैडम ने संगीत के बारे में बतलाया. प्राथमिक सांगितिक शिक्षा प्रतिभा रोडे से प्राप्त की. संगीत विशारद उपरांत उन्हें द्बितीय सांगितिक गुरू प्रा. डॉ. मुक्ता महल्ले मिली. प्रा. डॉ. महल्ले ने स्वरश्री की प्रतिभा को और निखारा.
छोटी स्पर्धाएं, गायन की प्रतिभा बडी
स्वरश्री ने अपने पैतृक गांव सावलापुर में ही गायन की छोटी- बडी स्पर्धाओं में भाग लेना प्रारंभ कर दिया था. उनकी माताजी सौ. चंचल सगणे उन्हें प्रेरित करती. वे मंच पर जाकर प्रस्तुति देती. स्वरश्री ने बताया कि, एक के बाद एक स्पर्धाओं के माध्यम से उनका स्टेज से प्रस्तुति का आत्मविश्वास बढा.
रोशन कडू से विवाह
फरवरी 2019 में स्वरश्री अमरावती के संगीत विशारद और अपने क्षेत्र के बढिया कलाकार रोशन कडू से विवाह हुआ. विवाह पश्चात भी उनकी संगीत सेवा जारी रही. इसके लिए वे रोशन कडू को श्रेय देती है. स्वरश्री ने बताया कि उनके यजमान रोशन पर भी लडकपन से ही वारकरी सम्प्रदाय के संस्कार रहे हैं. जिससे रोशन ने सदैव उन्हें आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, धार्मिक कार्यक्रमाेंं में सहभागी होने सतत प्रेरित किया. आज उनकी जोडी स्वरश्री रोशन नाम से पहचानी जाती है. इस दंपत्ति को आसावरी नाम की 5 वर्ष की सुपुत्री है. आसावरी का भी स्वाभाविक रूप से इन्हीं संस्कारों में पालन हो रहा है.
अर्थ सहित संगीतयुक्त सुंदरकांड
स्वरश्री ने अमरावती मंडल से खास चर्चा में बताया कि उन्होंने श्री रामचरित मानस का पठन किया. उसमें निहित सुंदरकांड का अध्ययन किया. पश्चात पहला बडा सोलो धार्मिक कार्यक्रम 3 अप्रैल 2015 को साईनगर के साई मंदिर में प्रस्तुत किया. अर्थ सहित संगीतमय सुंदरकांड की स्वरश्री की प्रस्तुति सभी को पसंद आयी. उपरांत कार्यक्रमों का सिलसिला चल पडा. आज वे सुंदरकांड के अलावा अनेकानेक आयोजनों में अधिकार पूर्वक सहभागी हो रही है. अत्यंत कठिन परिस्थिति से आगे आकर कार्य कर रही है. संगीत की सेवा साधना को अपना लक्ष्य बना चुकी लीना कडू को स्वरश्री उपाधि अथवा कह लीजिए नाम राजस्थान के आध्यात्मिक कार्यक्रम में दिया गया था. जिसका वे सहर्ष व सगर्व उल्लेख करती है. पद्मश्री पोपटराव पवार के हस्ते उन्हें 2022 में अमरावती भूषण अवार्ड से अलंकृत किया गया.
* भागवत और शिव महापुराण का मानस
स्वरश्री ने चर्चा दौरान कहा कि भजन गायिका के रूप में उन्हें नाम और दाम मिल रहे हैं. माता-पिता के आशीर्वाद से यह संभव होने की बात विनयपूर्वक वह कहती है. स्वरश्री ने कहा कि अनेक परिस्थितियों का उन्होंने सामना किया है. वे नारी दिवस पर महिलाओं से भी प्रत्येक परिस्थिति का मुकाबला करने का आवाहन करती है. साथ ही उन्होंने बताया कि श्रीमद भागवत कथा और शिवमहापुराण कथा करने का उनका मानस है.
* अपनी प्रतिभा को आप निखारें
स्वरश्री ने महिला दिवस के संदेश में कहा कि नारियां ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है. उनमें नानाविध कलागुण आत्मसात होते हैं. वे शीघ्र सीखती है. ऐसे में अपनी प्रतिभा को महिलाओं को स्वयं निखारना होगा. स्वरश्री ने इन शब्दों में बात पूर्ण करने का प्रयत्न किया- ‘मैं पियादा थी आज वजीरों में गिनी जाती हूं/ मैं ईश्वर के भक्तों में गिनी जाती हूं/ जब से कृपा हुई है मेरे कृष्ण की/ कांच का टुकडा थी, आज हीरों में गिनी जाती हूं.’

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