बच्चूभाऊ के एक इशारे पर पूरा राज्य करा देंगे बंद

मोझरी पहुंचे मनोज जरांगे ने भरी हुंकार

* किसान संगठनों से एकजुटता का किया आवाहन
अमरावती/दि.11 – अमुमन बडे नेताओं द्वारा किसानों एवं आम जनता के हितों से जुडे मुद्दों को लेकर कन्नी काट ली जाती है और ऐसे मुद्दों की सुविधापूर्ण तरीके से अनदेखी की जाती है. लेकिन बच्चू कडू एक ऐसे नेता है, जिन्होंने इससे पहले भी किसानों व दिव्यांगो के लिए अपनी जान को खतरे में डाला है. साथ इस समय भी पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने किसानों, दिव्यांगो, निराधारों व विधवा महिलाओं की मांगो के लिए अन्नत्याग आंदोलन करते हुए अपनी जान को दांव पर लगाया है. ऐसे में अब महाराष्ट्र के सभी किसानों की यह जिम्मेदारी बनती है कि, वे खुद अपने अधिकारों की लडाई को लडने के लिए सडक पर उतरे, साथ ही सभी किसान संगठन भी एक मंच पर आए, ताकि सरकार पर पूर्व मंत्री बच्चू कडू द्वारा उठाई गई मांगों को पूरा करने हेतु दबाव बनाया जा सके और किसानों के लिए आंदोलन कर रहे बच्चू कडू की जान को बचाया जा सके, इस आशय का प्रतिपादन मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रणेता मनोज जरांगे पाटिल द्वारा किया गया.
पूर्व मंत्री बच्चू कडू द्वारा विगत 8 जून से गुरुकुंज मोझरी में किए जा रहे अनशन का समर्थन करने हेतु आज गुरुकुंज मोझरी पहुंचे मनोज जरांगे पाटिल ने अनशन स्थल पर जाकर पूर्व मंत्री बच्चू कडू से मुलाकात की और सबसे पहले उनके स्वास्थ को लेकर हालचाल जाना. पश्चात उपस्थितों को संबोधित करते हुए उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि, किसानों के आंदोलन को जाति व धर्म तथा राजनीतिक दृष्टिकोन से नहीं देखा जाना चाहिए. बल्कि किसानों के आंदोलन को किसानों एवं आम जनता से जुडे मुद्दे की तरह देखा जाना जरुरी है. क्योंकि महाराष्ट्र में लगभग हर दूसरा-तीसरा व्यक्ति किसान ही है. जिसके चलते महाराष्ट्र यह कृषिप्रधान राज्य है. जहां पर डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, शिक्षक के साथ-साथ नेता और अधिकारी रहनेवाला व्यक्ति भी सबसे पहले किसान ही होता है. ऐसे में सभी लोगों ने राजनीतिक विचारधार व प्रतिद्वंदिता को परे रखते हुए किसान हित के मुद्दे पर पूर्व मंत्री बच्चू कडू के साथ खडे होना चाहिए. इस समय मराठा आंदोलक मनोज जरांगे ने यह भी कहा कि, गुरुकुंज मोझरी में किसानों की मांगों को लेकर चार दिन का समय बीत चुका है और अब अनशन कर रहे बच्चू कडू की स्थिति भी बिगड रही है. ऐसे में किसानों के लिए अपनी जान को दांव पर लगानेवाले बच्चू कडू की जान को बचाने हेतु सभी किसान संगठनों का एक मंच पर आना बेहद जरुरी हो गया है. क्योंकि, किसानों की बहुलता रहनेवाला महाराष्ट्र इस समय किसान आत्महत्या के लिए भी कुख्यात है. ऐसे में यह केवल बच्चू कडू की जान और जिंदगी से जुडा मसला नहीं है. बल्कि यह राज्य के हर किसान के हित की बात है. इस समय मनोज जरांगे पाटिल ने सभी किसान संगठनों के एक मंच पर आने का आवाहन करने के साथ ही यह भी कहा कि, सभी किसान संगठनों के साथ चर्चा करते हुए पूर्व मंत्री बच्चू कडू द्वारा एक डेडलाइन तय कर दी जानी चाहिए, हम उस डेडलाइन का पालन करेंगे और उस डेडलाइन के बाद राज्य का प्रत्येक किसान अपनी खेतीबाडी के कामों को छोडकर शांतिपूर्ण तरीके से राज्य की सडको पर दिखाई देगा.
* हमें डराने, धमकाने व दबाने के बारे में सोचना भी मत
मनोज जरांगे ने सरकार को किया आगाह
इस समय मराठा आंदोलक मनोज जरांगे ने मीडिया के साथ भी बातचीत की और मीडिया द्वारा पूछे गए विभिन्न सवालों का जवाब भी दिया. जिसके तहत मनोज जरांगे का कहना रहा कि, आज बच्चू कडू जैसा जबरदस्त जनाधार वाला नेता चार दिनों से अन्नत्याग आंदोलन कर रहा है. लेकिन इसके बावजूद सरकार द्वारा इस बेहद गंभीर मामले की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इसका सीधा मतलब है कि, राज्य के मुख्यमंत्री तथा दोनों उपमुख्यमंत्री सहित सरकार एवं प्रशासन तमाशबीन बने हुए है और संभवत: वे इस आंदोलन को दबाने के बारे में भी सोच रहे है. लेकिन सरकार ने इस आंदोलन को दबाने या हमें डराने व धमकाने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए अन्यथा इसके परिणाम बेहद गंभीर होंगे. साथ ही साथ मनोज जरांगे ने यह चेतावनी भी दी कि, यदि सरकार द्वारा समय रहते मोझरी में चल रहे बच्चू कडू के अनशन को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई तो समूचे राज्यभर के किसान अपने-अपने खेतो में खरीफ फसलों की बुआई का काम बंद करते हुए सडकों पर उतर आएंगे. क्योंकि वैसे भी कडी मेहनत के बाद खेतो में की जानेवाली बुआई के बाद हाथ हानेवाली फसलों को अपेक्षित भाव भी नहीं मिल रहे है, तो वैसे भी खेती-किसानी करने का कोई फायदा नहीं है.
इस समय मनोज जरांगे ने किसानों को सबका बाप यानि अन्नदाता बताते हुए यह भी कहा कि, आज जो लोग राज्य में बडे-बडे मंत्री व अधिकारी बनकर बैठे है, वे सभी लोग भी किसान परिवारों से ही वास्ता रखते है. ऐसे में सरकार एवं प्रशासन में बैठे लोगों ने भी किसान पुत्र होने के नाते पूर्व मंत्री बच्चू कडू द्वारा उठाई गई मांगो और उनके द्वारा किए जा रहे अनशन का समर्थन करना चाहिए और इस आंदोलन को बिलकुल भी राजनीतिक चष्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.

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