तुकाराम मुंढे की नियुक्ति के साथ ही स्वास्थ्य महकमा हुआ ‘तंदुरूस्त’
चुस्त-दुरूस्त तरीके से काम करने पर दिया जा रहा जोर
पूरा अमला आया ‘एक्शन मोड’ में, काम में कोताही करनेवालों की खैर नहीं
अमरावती दि.27– स्वास्थ्य सेवा व अभियान संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के आयुक्त पद पर आईएएस अधिकारी तुकाराम मुंढे की नियुक्ति होते ही अब स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह आलस की बीमारी को झटककर तंदुरूस्त होता दिखाई दे रहा है. साथ ही इस महकमे का पूरा अमला अब चुस्त-दुरूस्त होकर अपने कामकाज में जुट गया है. स्वास्थ्य महकमे के ‘एक्शन मोड’ में आते ही काम में कोताही करनेवाले लोगों की हालत खराब होनी शुरू हो गई है.
आयुक्त पद का जिम्मा स्वीकार करने के बाद तुकाराम मुंढे ने अपनी पहली ही बैठक में सभी जिला शल्य चिकित्सकों तथा जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को पूरी तरह अलर्ट रहने का निर्देश दिया है. उल्लेखनीय है कि, सरकार की ओर से प्रतिवर्ष जिला सामान्य अस्पताल सहित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व उपकेंद्रोें के लिए करोडों रूपयों की निधी उपलब्ध करायी जाती है. साथ ही कई जिला अस्पतालों में अत्याधुनिक मशीने भी मुहैय्या करायी जाती है. किंतु या तो ये मशीनें कई वर्षों तक धूल खाती पडी रहती है या फिर शुरू होने के बाद ये मशीने जल्द से जल्द खराब कैसे हो सकती है, इसे लेकर संबंधीतों द्वारा प्रयास किया जाता है. जिसके चलते गरीब एवं सर्वसामान्य वर्ग के मरीजों को इन मशीनों के जरिये इलाज व चिकित्सा की सुविधा नहीं मिल पाती. इसके अलावा स्वास्थ्य महकमे में अक्सर ही कम-अधिक पैमाने पर लचर कामकाज देखा जाता है. इस विभाग में अधिकारियों का आना-जाना चलता रहता है, लेकिन कब कौन सा अधिकारी आया और कब कौन सा अधिकारी चला गया, यह पता ही नहीं चलता. लेकिन तुकाराम मुंढे इसमें अपवाद साबित होते दिखाई दे रहे है. पदभार स्वीकार करने के साथ ही उन्होंने सभी जिला शल्य चिकित्सकों व जिला स्वास्थ्य अधिकारियों की सबसे पहले बैठक बुलाई. जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा कि, अगर जिला शल्य चिकित्सकों व जिला स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा पूरी इमानदारी के साथ काम किया जाता है, तो उनके अधीन रहनेवाला पूरा महकमा भी इमानदारी के साथ काम करेगा. जिसका बदलाव निश्चित तौर पर दिखाई देगा और उस समय विभिन्न गांवों व जिलों से लोगों की मांग सामने आया करेगी कि, उन्हें जिला स्वास्थ्य अधिकारी व जिला शल्य चिकित्सक के तौर पर फलां-फलां व्यक्ति ही चाहिए. अगर ऐसी स्थिति बनती है, तो ही स्वास्थ्य महकमे में काम करनेवाले लोगों ने अपनी सरकारी नौकरी को लेकर समाधान मानना चाहिए.