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महायुति की सत्ता से वैनगंगा-नलगंगा प्रकल्प की आस जगी

प्रचार दौरान शिंदे व फडणवीस ने दिया था आश्वासन

* नदी जोड प्रकल्प को मिल सकती है गति
* विदर्भ के 6 जिलों को होगा लाभ
अमरावती/दि.3 – सिंचाई के लिहाज से बैकलॉग का सामना करने वाले विदर्भ क्षेत्र में सिंचन समृद्धि को संजीवनी देने के लिहाज से मील का पत्थर साबित हो सकने वाले बहुप्रतिक्षित वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड प्रकल्प को गति मिलने की उम्मीदें अब एक बार फिर बढ गई है. क्योंकि शिंदे सरकार ने अपने कार्यकाल की अंतिम कैबिनेट बैठक में इस प्रकल्प को गतिमान करने हेतु किये जाने वाले काम को मान्यता दी थी. साथ ही एकनाथ शिंदे व देवेंद्र फडणवीस ने अमरावती जिले सहित विदर्भ क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान इस प्रकल्प को पूरा करने का आश्वासन भी दिया था. ऐसे में अब चूंकि राज्य में महायुति की सरकार बनने जा रही है, तो विदर्भ क्षेत्र की ओर से यह उम्मीद भी की जा रही है कि, जल्द ही इस महत्वाकांक्षी प्रकल्प को लेकर राज्य की नई सरकार द्वारा कोई ठोस कदम उठाया जाएगा.
बता दें कि, वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड प्रकल्प को वैधानिक व प्रशासकीय मान्यता अरसा पहले मिल चुकी है, लेकिन इसके बावजूद विगत कई वर्षों से इस प्रकल्प का काम ठंडे बस्ते में पडा हुआ है. विधानसभा चुनाव के समय अन्य मुद्दों के साथ ही विदर्भ क्षेत्र के किसानों के मुद्दों तथा सिंचाई अनुशेष के विषय को महायुति के नेताओं ने केंद्रस्थान में रखा था. जिसके तहत एकनाथ शिंदे ने दर्यापुर व देवेंद्र फडणवीस ने धामणगांव रेल्वे की प्रचार सभाओं के दौरान वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड प्रकल्प का उल्लेख करते हुए कहा था कि, महायुति को सत्ता मिलने पर इस प्रकल्प का काम पहली प्राथमिकता के साथ शुरु किया जाएगा. साथ ही विदर्भ क्षेत्र में सिंचाई के साथ ही औद्योगिक उपयोग व पेयजल हेतु पानी की समस्या को हल करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाये जाएंगे. चूंकि अब विदर्भ सहित समूचे राज्य में महायुति को जबर्दस्त सफलता प्राप्त हुई है. ऐसे में अब इस बात की प्रतीक्षा की जा रही है कि, महायुति के नेताओं द्वारा अपने आश्वासनों की पूर्ति हेतु कब और कैसे ठोस कदम उठाये जाते है.
ज्ञात रहे कि, इस प्रकल्प के जरिए भंडारा जिला स्थित गोसे खुर्द बांध का पानी नदी जोड नहर के जरिए बुलढाणा जिले के नलगंगा बांध में छोडा जाएगा. करीब 426.52 किमी लंबी इस नहर के जरिए विदर्भ के नागपुर, वर्धा, अमरावती, यवतमाल, अकोला व बुलढाणा ऐसे 6 जिलों में सिंचाई समृद्धि लायी जा सकेगी और इन 6 जिलों की 15 तहसीलों में 3 लाख 71 हजार 277 हेक्टेअर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा का लाभ होगा. साथ ही यह पानी औद्योगिक प्रयोग व पेयजल आपूर्ति के लिए भी उपयोगी साबित होगा.
उल्लेखनीय है कि, विदर्भ क्षेत्र के जलाशयों का जलस्तर कई बार घट जाता है और इन प्रकल्पों पर निर्भर रहने वाले किसानों व आम नागरिकों को अच्छी खासी तकलीफों का सामना करना पडता है. विदर्भ क्षेत्र के लिहाज से यह स्थिति बेहद गंभीर है. क्योंकि विदर्भ क्षेत्र में किसान आत्महत्याओं का प्रमाण सबसे अधिक है. ऐसे में इस समस्या को सुलझाने हेतु विदर्भ क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध कराने का विचार कई समितियों द्वारा व्यक्त किया जा चुका है. साथ ही इससे संबंधित रिपोर्ट भी सरकार को पेश की जा चुकी है. इसी के परिणाम स्वरुप विदर्भ में वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड प्रकल्प को साकार करने का काम शुरु किया जाएगा.

* राज्य जल प्रारुप में समावेश
वैनगंगा नदी पर बनाये गये गोसे खुर्द प्रकल्प में उपलब्ध पानी का पूरा प्रयोग इस प्रकल्प के जरिए किया जाएगा. राज्य जल परिषद की आठवीं बैठक में मान्यता मिलने के बाद इस प्रकल्प का समावेश एकात्मिक राज्य जल प्रारुप में किया गया. यह प्रकल्प दो भागों में पूर्ण किया जाने वाला है. जिसके तहत पहले चरण में प्रकल्प अंतर्गत जलसंग्रहण स्थल का सर्वेक्षण, मुख्य नहर से जुडी जाने वाली शाखा नहर व फिडर नहर, इस हेतु किये जानेवाले निर्माण का सर्वेक्षण, प्रकल्प हेतु आवश्यक सभी मान्यता तथा वन जमीन का संपादन जैसे काम किये जाएंगे. इन कामों के लिए 1232 करोड 6 लाख रुपए की रकम को प्रशासकीय मान्यता दी जा चुकी है.

* सिंचाई अनुशेष होगा पूरा
इस प्रकल्प के दूसरे चरण के तहत 87,342 करोड 86 लाख रुपए के काम किये जाएंगे. जिन्हें तत्वत: मान्यता दी जा चुकी है. इस प्रकल्प के जरिए जहां एक ओर विदर्भ का सिंचाई अनुशेष दूर होगा. साथ ही विदर्भ क्षेत्र के माथे पर लगा किसान आत्महत्याओं का कलंक भी मिटाने में मदद मिलेगी, ऐसा दावा विशेषज्ञों द्वारा किया गया है.

 

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