अमरावती

कोविड के इलाज हेतु भूमका के पास गई महिला की हुई मौत

मेलघाट का पीछा नहीं छोड रही अंधश्रध्दा

  • रातभर घर में रखा शव, 20 घंटे बाद हुआ अंतिम संस्कार

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१७ – आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में अब भी बडे पैमाने पर तंत्र-मंत्र विद्या को लेकर अंधश्रध्दा व्याप्त है और लोगबाग बीमार पडने पर इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाने की बजाय भूमका यानी मांत्रिक के पास जाते है. जो कभी-कभी जानलेवा भी साबित होता है. ऐसे ही कोविड संक्रमित पाई गयी 45 वर्षीय महिला भी दवाखाने का औषधोपचार छोडकर इलाज करवाने हेतु गई, जिसकी गुरूवार की शाम मौत हो गई.
जानकारी के मुताबिक कोविड पॉजीटिव रहने के बावजूद यह महिला सेमाडोह के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से निकलकर 10 किमी दूर स्थित भवई गांव पहुंची. जहां पर एक भूमका ने उसका तंत्र-मंत्र विद्या से इलाज करना शुरू किया. किंतु गुरूवार की शाम इस महिला का स्वास्थ्य बिगडना शुरू हुआ और इस महिला की मौत हो गयी. पश्चात उसके शव को सेमाडोह लाया गया. चूंकि इस महिला की मृत्यु कोविड संक्रमण की वजह से हुई थी. अत: प्रशासन ने उसके पार्थिव पर रात में ही अंतिम संस्कार करने का प्रयास किया. किंतु महिला के रिश्तेदारों ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया और शव को रातभर घर में रखा. पश्चात करीब 20 घंटे बाद शुक्रवार की दोपहर 2 बजे इस महिला के पार्थिव पर उसके रिश्तेदारोें द्वारा अंतिम संस्कार किया गया.

  • अपनी ही जिद पर अडे रहे परिजन

इस महिला का शव गुरूवार की रात 8 बजे सेमाडोह स्थित उसके घर पर लाया गया था. पश्चात गांववासियों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. महेश कूर्तकोटी, जिप सदस्या सुनंदा काकड, सरपंच अनिल चिमोटे व ग्राम सेवक सुरेंद्र चिकटे को इसकी जानकारी दी. जिसके बाद इस महिला के पार्थिव पर रात में ही अंतिम संस्कार करने हेतु स्वास्थ्य पथक ने पीपीई कीट सहित अन्य आवश्यक साहित्य के साथ तैयारी शुरू की. किंतु महिला के रिश्तेदार रात के समय अंतिम संस्कार करने हेतु तैयार ही नहीं थे और किसी की कुछ सुन भी नहीं रहे थे. ऐसे में उनकी जिद की वजह से कोविड संक्रमित महिला का शव रातभर घर में ही रखा गया और करीब 20 घंटे बाद शुक्रवार की दोपहर 2 बजे महिला के पार्थिव पर अंतिम संस्कार किया गया.

  • अंधश्रध्दा का मकडजाल है मजबूत

मेलघाट के आदिवासी आज भी सर्दी-खांसी सहित किसी भी इलाज के लिए भूमका के पास ही जाते है और छोटे बच्चों को डम्मा (गर्म सलाख के चटके) देने सहित विविध अघोरी पध्दति से इलाज भूमकाओं द्वारा किया जाता है. अब तक ऐसे अनेकों मामले सामने आये है. जिनमें भूमकाओं द्वारा किये जानेवाले इलाज के दौरान लोगों की मौत हुई है. किंतु बावजूद इसके मेलघाट से अंधश्रध्दा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही.

सेमाडोह निवासी कोविड संक्रमित महिला की मौत शुक्रवार को भवई गांव में हुई. वह इलाज के लिए एक मांत्रिक के पास गई थी. पश्चात गुरूवार की रात महिला के मृतदेह पर अंतिम संस्कार करने को लेकर भी उसके रिश्तेदारों ने काफी विरोध व हंगामा किया.
– माया माने
तहसीलदार, चिखलदरा

पॉजीटीव महिला की मौत होने की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य कर्मचारी वहां पर पीपीई कीट सहित अन्य साहित्य लेकर पहुंचे. साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर महिला के रिश्तेदारों को समझाने का प्रयास किया गया. किंतु वे कुछ भी सुनने की मानसिकता में नहीं थे. अत: महिला का अंतिम संस्कार शुक्रवार की दोपहर किया गया.
– सतीश प्रधान
तहसील वैद्यकीय अधिकारी, चिखलदरा

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