अमरावती

जिले में महिलाएं चलाती हैं 49 बीयर बार व 6 वाईन शॉप

कहीं महिलाएं हैं मालिक, तो कहीं भागीदार

* कर में छूट मिलने का होता है लक्ष्य
अमरावती/दि.7– शराब बिक्री की नई नीति पर अमल करते समय सुपर मार्केट व किराणा दुकान में वाईन बिक्री को अनुमति देने का राज्य सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है. जिसका विभिन्न क्षेत्रों में नागरिकों, विशेषकर महिलाओं द्वारा विरोध किया जा रहा है. जिसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि, शराब पीने को प्रोत्साहित करने से लोगों के घर-परिवार पर असर पडेगा तथा इससे विशेष तौर पर महिलाओं को काफी समस्याओं का सामना करना पडेगा. किंतु वहीं दूसरी ओर एक जानकारी यह भी है कि, अमरावती जिले में 49 बीयरबार व 6 वाईन शॉप खुद महिलाओं द्वारा चलाये जा रहे है, या इन शराब बिक्री के प्रतिष्ठानों में महिलाओं की भागीदारी है. यानी एक तरफ तो महिलाओं के लिए सामाजिक स्तर पर मद्यप्राशन को निषिध्द माना जाता है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं के नाम पर वाईन शॉप का लाईसेन्स लेने की प्रवृत्ति दिनोंदिन बढ रही है.
बता दें कि, जिले में कुल 219 बीयरबार व परमीट रूम है. जिसमें से 49 बीयर बार व परमीट रूम की मालिक महिलाएं है. वहीं 8 बीयरबारों में महिलाएं भागीदार है. इसके अलावा वाईन शॉप की 34 दुकानों में से 6 दुकानों के लाईसेन्स महिलाओं के नाम पर है. साथ ही दो दुकानों में महिलाएं भागीदार है. देशी शराब की कुल 141 दुकानों में भी स्थिति इससे कोई अलग नहीं है. जानकारी के मुताबिक शराब दुकान चलाने हेतु सरकार को प्रतिवर्ष लाखों रूपयों का टैक्स संबंधितों द्वारा अदा किया जाता है. ऐसे में टैक्स में विविध तरह की छूट प्राप्त करने हेतु कई शराब व्यवसायियों ने अपनी पत्नी अथवा परिवार की महिलाओं के नाम पर बीयर बार या वाईन शॉप का लाईसेन्स प्राप्त किया है. जब कि इन दुकानों को परिवार के पुरूषों द्वारा ही चलाया जाता है.
उल्लेखनीय है कि, शराब के नशे की वजह से पारिवारिक कलह की स्थिति बनती है और कई घर परिवार टूटकर बिखर जाते है. नई-नवेली शादी के बाद होनेवाले तलाक में शराब ही सबसे प्रमुख वजह होती है. ऐसे में आये दिन शहर सहित जिले के तहसील एवं ग्रामीण क्षेत्रों में शराब बंदी को लेकर आंदोलन भी होते है और कई स्थानों पर शराब की दुकान बंद करने को लेकर बाकायदा मतदान तक कराया गया. जिसमें महिलाओं ने बढ-चढकर हिस्सा लेते हुए कुछ शराब दुकानों को बंद कराने या स्थलांतरित करने में सफलता भी पायी. जहां एक ओर समाज के विभिन्न वर्गों की महिलाएं शराब की समस्या से त्रस्त है, वहीं दूसरी ओर एक हकीकत यह भी है कि, शराब की कई दुकानें व बीयर बार खुद महिलाओं के नाम पर ही चल रहे है.

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