शिवणगांव में महिलाओं ने खडा किया डेअरी उद्योग
‘उमेद’ के जरिए बचत गट की महिलाएं बनी उद्योजिका

अमरावती /दि. 8– महिलाओं को उद्योजकता के जरिए आर्थिक रुप से सक्षम बनाने हेतु सरकार द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे है. इसके चलते अब महिलाएं केवल चूल्हे-चौके तक मर्यादित न रहते हुए सही अर्थो में सक्षम होती दिखाई दे रही है. इसका उदाहरण तिवसा तहसील अंतर्गत शिवणगांव में रुक्मिणी स्वयंसहायता महिला बचत गट द्वारा शुरु किए गए डेअरी उद्योग को कहा जा सकता है. ‘उमेद’ अभियान के जरिए गांव में ही डेअरी उद्योग स्थापित करते हुए महिलाओं ने डेअरी व्यवसाय में जबरदस्त प्रगति की है.
जानकारी के मुताबिक शिवणगांव में रहनेवाली जयश्री खवले इससे पहले पारंपरिक पद्धति से सीमित स्तर पर दुग्धजन्य पदार्थ बनाया करती थी. जिन्होंने करीब चार-पांच वर्ष पहले रुक्मिणी महिला बचत गट की स्थापना की और उन्हें ‘उमेद’ के जरिए व्यवसायिक मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ. जिससे उन्हें यह एहसास हुआ कि, विविध उद्योगों के जरिए आर्थिक प्रगति को साधा जा सकता है. जिसके बाद इस बचत गुट ने बैंक के मार्फत व्यवसाय हेतु कर्ज लिया और इस कर्ज का उपयोग करते हुए खोवा, श्रीखंड, पनीर, कुल्फी व क्रीम बनाने हेतु मशीन खरीदकर छोटी सी जगह में अपना डेअरी उद्योग शुरु किया. आज इस उद्योग में खोवा, श्रीखंड, पनीर, दही, मख्खन, छांछ, घी व कुल्फी जैसे अनेक दुग्धजन्यों पदार्थों की निर्मिती करते हुए उनकी बडे पैमाने पर विक्री भी की जाती है.
बचत गुट की जयश्री खवले, छाया भोजने, माला खरबडे, मंदा खोपे, ज्योति नारिंगे, योगिता खोपे, गीता सोनोने, चंदा दरेकर, सुशीला बेले व विमल केवटे इन 10 महिलाओं ने इकठ्ठा होकर इस उद्योग की स्थापना की थी और आज वे इस उद्योग के जरिए प्रति माह अच्छा-खासा फायदा कमाकर आर्थिक रुप से सक्षम भी हो रही है.
* गांव के दूध की गांव में ही खरीदी
गांव में डेअरी उद्योग उपलब्ध रहने के चलते अब गांव के पशुपालकों को अपनी गाय व भैसों के दूध को बाहर कहीं लेजाकर देने की जरुरत नहीं पडती, जिससे उनका पैसा, समय व मेहनत की बचत हो रही है. गांव के दुग्ध व्यवसायियों से 50 लीटर से अधिक दूध खरीदकर उनसे उसी दिन अलग-अलग दुग्धजन्य पदार्थ तैयार करते हुए उनकी नांदगांव पेठ, मोझरी, तिवसा व आसपास के गांवों में विक्री की जाती है.
* खर्च व लाभ को लेकर प्रति माह होती है बैठक
डेअरी उद्योग स्थापित करने के बाद इस पर होनेवाले खर्च और इससे होनेवाले लाभ को लेकर प्रति माह बैठक लेते हुए सबके सामने हिसाब रखा जाता है. साथ ही लाभ एवं उद्योग के दायरे को बढाने हेतु क्या किया जा सकता है, इस पर चर्चा की जाती है.
* महिलाओं को आर्थिक रुप से सक्षम बनाना उद्देश्य
‘उमेद’ अभियान की तिवसा तहसील व्यवस्थापक श्रुती वानखडे के मुताबिक सरकार के उद्देश्य के अनुसार ‘उमेद’ अभियान के तहत गांव-गांव में मिटिंग लेकर मार्गदर्शन करते हुए बचत गट की महिलाओं को आर्थिक व सामाजिक रुप से सक्षम बनाने हेतु काम किया जा रहा है. इसके चलते महिलाएं अब घर-परिवार व चूल्हे-चौके तक सीमित न रहते हुए उद्योजिका के तौर पर काम कर रही है. यह अपने आप में बेहद खुशी की बात है.